मंगलवार, 11 दिसंबर 2012

मधुमेह से मुक्ति के पांच अनुभवसिद्ध प्रयोग-2

3. किसी मिट्टी के पात्र में पावभर शुद्ध कुएं का या गंगाजल रख लें। इस जल में पलाशपुष्प पांच नग डाल लें जो हर जगह आसानी से मिल जाता है। सुबह उस फूल को उसी जल में मलकर छान लें और एक ही बार में बासी मुंह पी जाएं। हर हफ्ते फूल की मात्रा एक-एक करके बढ़ाते जाएं। चार सप्ताह में रोग निर्मूल हो जाएगा। अनुराधा नक्षत्र में तोड़े गए पुष्पों से और भी जल्दी लाभ होता है। इस प्रयोग से प्रमेह में भी लाभ होता है। मूत्रकृच्छ तथा सूजाक तक के रोग भी ठीक होते देखे गए हैं। 

नोटःयह अनुभव डॉ. पन्नालाल गर्ग जी का है जिनका पता हैःअध्यक्ष,पलाश प्रयोगशाला,पीरपुर हाउस,लखनऊ(उत्तरप्रदेश)। 

4. जामुन के 1 हरे पत्ते,नीम के 2 हरे पत्ते,बिल्वपत्र(बेल) के 3 हरे पत्ते तथा तुलसी के 8 हरे पत्ते सुखा लें। अलग-अलग लेकर समभाग में सूखे पत्तों को पीसकर मिला लें। रोज़ चाय की चम्मच से एक चम्मच पाउडर सुबह पानी के साथ पी लें।लेने से पहले रोगी अपने शक्कर की जांच करवा लें,यदि यह 300-400 रहा हो,तो 150 पर आ जाएगा। इसे लेते रहने से शरीर में चीनी नियंत्रित रहती है। 

5. सहदेई(सहदेवी) नामक पौधे को खोदकर ले आएं। उसकी जड़ को अलग निकालकर एक तोला एवं एक पाव जल(ताज़ा या बासी) के साथ इस प्रकार पीसें जिससे वह जल के साथ एकदम घुलमिल कर एक हो जाए। उसे सुबह-शाम दोनों समय पीएं। तीस दिनों तक ऐसा करने से रोग नष्ट हो जाता है। यह अचूक औषधि है। इससे पेट की खराबियां,रक्तदोष,ज्वर आदि रोगों में भी मुक्ति मिलती है। 

नोटःचौथा और पांचवा अनुभव क्रमशः श्री बजरंगलालजी सिंघानिया तथा परसराम जी का है। पांचो अनुभव कल्याण में प्रकाशित हैं)।

6 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत कारगर पोस्ट है।

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  2. एक ख़बर यह भी है कि -
    डायबिटीज से बचना है तो अपनाएं मांसाहार
    Varanasi | Last updated on: December 10, 2012 5:30 AM IST
    वाराणसी। यदि हृदय संबंधी बीमारियों और डायबिटीज से बचना है तो मांसाहार (एनिमल प्रोडक्ट्स) की प्रवृत्ति अपनानी होगी। विटामिन बी-12 की कमी तथा हीमोसिस्टीन केमिकल की अधिकता हृदय संबंधी बीमारियों का एक प्रमुख कारण है। यह जानकारी इंस्टीट्यूट आफ जीनोमिक्स एंड इंटिग्रेटिव बायोलाजी के डा. शांतनु सेनगुप्ता ने दी।
    बीएचयू में रविवार से शुरू हुए इंडियन सोसाइटी आफ ह्यूमन जेनेटिक्स के 38वें वार्षिक सम्मेलन में शामिल होने आए डा. सेनगुप्ता ने बताया कि चूहों पर हुए शोध में यह साबित हो गया है कि विटामिन बी-12 की कमी से लिपिड बढ़ जाता है। कम एचडीएल तथा अधिक ट्राइगिलसराइड के कारण देश में कार्डियो वैस्कुलर बीमारियों का खतरा अधिक है। उन्होंने बताया कि अपने देश में शाकाहारियों की संख्या काफी अधिक है। दूध पीने से दस फीसदी बी-12 की मात्रा बढ़ती है जबकि मांसाहार से अधिक। इसलिए संभव हो तो लोगों को खान-पान की शैली बदलनी होगी। मांसाहार की ओर झुकाव बढ़ाना होगा। शोध में पाया गया है कि क्षेत्र के हिसाब से 40 से 70 फीसदी लोगों में विटामिन बी-12 की कमी है। इस कमी को बी-12 की दवा था खान पान की शैली में बदलाव से दूर किया जा सकता है।
    http://amarujala.com/page.php?c=varanasi&n=Varanasi-83180-140#

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  3. बेनामीदिसंबर 11, 2012

    बेहतर लेखन !!!

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  4. बेहद सार्थक पोस्ट :)

    मेरी नयी पोस्ट पर आपका स्वागत है  बेतुकी खुशियाँ

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  5. मधुमेह भारत में अब एक महामारी का रूप ले चुका है । बेहद उम्दा और उपयोगी जानकारी देने के लिए शुक्रिया और आभार

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