रजोनिवृत्ति की ओर बढ़ रही महिलाओं की मुख्य चिंता यह रहती है कि वे हारमोन रिप्लेसमेंट थेरेपी कराएँ या नहीं। रजोनिवृत्ति के बाद इस्ट्रोजेन, टेस्टॉस्टेरॉन और प्रोजेस्ट्रोन जैसे हारमोन का स्तर बनाए रखने के लिए महिलाओं को रोजाना हारमोन रिप्लेसमेंट थेरेपी दी जाती है। स्त्रीरोग विशेषज्ञ मरीज देखने के बाद ही तय करती हैं कि मरीज को पैच लगाना है या क्रीम से ही काम चल सकता है।
अक्सर यह प्रश्न पूछा जाता है कि एक उम्र के बाद महिलाओं को ही हारमोन रिप्लेसमेंट थेरेपी क्यों करवाना पड़ती है। इसका उत्तर यह है कि महिलाओं के शरीर में रजोनिवृत्ति की शुरूआत होते ही ये हारमोन बनना कम होने लगता है। एक समय बाद इनका उत्पादन पूरी तरह बंद हो जाता है। इनकी अनुपस्थिति में महिलाओं को हॉट फ्लेशेस आते हैं। रात को सोते समय चेहरा और धड़ पसीने-पसीने हो जाता है। अनिद्रा की समस्या होती है तथा मूड स्विंग होने लगते हैं। योनि शुष्क हो जाती है। इन सब लक्षणों के चलते महिला के जीवन की गुणवत्ता प्रभावित होने लगती है। सभी महिलाओं को हारमोन रिप्लेसमेंट की जरूरत होती है ऐसा भी नहीं है।
रजोनिवृत्ति के लक्षणों का असर कम करने के लिए क्या करें?
हॉट फ्लेशेस, रात को सोते समय पसीने में भीग जाना, अनिद्रा, शुष्क योनि एवं यौनेच्छा में कमी को दूर करने के लिए महिलाएं जीवनशैली में परिवर्तन कर सकती हैं। नियमित एक्सरसाइज, स्वास्थप्रद भोजन तथा तनाव शैथिल्य के लिए योग एवं ध्यान से मदद मिलती है। इसके अलावा जिन महिलाओं को हारमोन रिप्लेसमेंट थेरेपी सूट नहीं करती है उन्हें अवसाद दूर करने वाली औषधियाँ लेने की सलाह भी चिकित्सक दे सकते हैं।
क्या सोयाबीन के प्रयोग की वैकल्पिक चिकित्सा फायदेमंद होगी?
अध्ययन बताते हैं कि प्राकृतिक चिकित्सा का रजोनिवृत्ति के लक्षणों पर बहुत फायदेमंद नहीं होती। सोयाबीन से हॉट फ्लेशेस एवं पसीना आने जैसे लक्षणों कुछ फायदा तो होता है लेकिन जो महिलाएं हारमोन से संबंधित स्तन, गर्भाशय एवं अंडाशय कैंसर के जोखिम पर हैं उनके लिए यह घातक भी साबित होता है।
क्या मेरी हारमोन थेरेपी के लिए यह सही वक्त है?
यह तथ्यों पर निर्धारित होता है कि हारमोन रिप्लेसमेंट थेरेपी आपके लिए सर्वश्रेष्ठ विकल्प है या नहीं। इसमें उम्र सबसे महत्वपूर्ण बिंदु होता है। यह स्त्रीरोग विशेषज्ञ तय करेंगे कि क्या आपका गर्भाशय निकालना ठीक रहेगा या नहीं। या कि आपके परिवार में स्तनकैंसर की हिस्ट्री है या नहीं। इन सब तथ्यों पर विचार के बाद ही तय किया जाता है कि महिला को हारमोन रिप्लेसमेंट थेरेपी देना है या नहीं।
क्या जोखिम हैं
हारमोन रिप्लेसमेंट थेरेपी दो धारी तलवार पर चलने जैसा है। कई महिलाओं में इस थेरेपी से स्तनकैंसर, दौरे पड़ने तथा खून के थक्के जमने का जोखिम होता है। यदि केवल इस्ट्रोजेन नामक हारमोन की खुराक ही दी जा रही हो तो स्तनकैंसर का जोखिम भी कम रहता है। कुल मिलाकर इस थेरेपी के नुकसान एवं फायदों को पूरी तरह तौलकर ही शुरूआत की जाती है।
क्या हैं फायदे
इस्ट्रोजेन रिप्लेसमेंट से रजोनिवृत्ति के दौरान हॉट फ्लेशेस तथा योनि शुष्कता की समस्या से राहत मिल सकती है। इसी के साथ महिला को बड़ी आँत के कैंसर का जोखिम भी कम होता है। उम्र के साथ नज़र कमजोर होने तथा हड्डियों के क्षरण की भी रोकथाम हो सकती है।
कितनी अवधि तक लें
अधिकाँश महिलाओं को न्यूनतम खुराक को अल्पतम समय के लिए देना ही पर्याप्त होता है। ऐसे भी प्रमाण मिले हैं कि थेरेपी लेने के पाँच साल बाद भी स्तन कैंसर, खून के थक्के बनना जैसी समस्याएँ सिर उठाती हैं।
क्या थैरेपी लेना बंद करने पर समस्या फिर उठेगी?
हारमोन रिप्लेसमेंट थेरेपी लेना बंद करने के बाद पहले वाले लक्षण पुनः आ जाते हैं। कुछ महीनों तक धीरे-धीरे कम होने वाली खुराक के जरिए इनसे छुटकारा पाया जा सकता है।
अस्थि-क्षरण रोकने के लिए क्या करें?
इस्ट्रोजेन थेरेपी से अस्थिक्षरण को रोकने में मदद मिलती है लेकिन हारमोन रिप्लेसमेंट थेरेपी केवल अस्थिक्षरण को ठीक करने या इसे रोकने के लिए इस्तेमाल नहीं की जाती है। हड्डियों का स्वास्थ ठीक रखने के और भी कई वैकल्पिक उपाए मौजूद हैं। वजन उठाने वाली कसरतों के साथ भरपूर कैल्शियम तथा विटामिन डी युक्त आहार से फायदा होता है(सेहत,नई दुनिया,सितम्बर 2012 द्वितीयांक)।
जानकारी से परिपूर्ण प्रस्तुति ||
जवाब देंहटाएं्बहुत जानकारीपरक प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंकाफी उपयोगी जानकारी !
जवाब देंहटाएंबहुत उपयोगी प्रस्तुति... सुप्रभात!
जवाब देंहटाएंबहुत उपयोगी जानकारी ........
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