चित्त की अस्थिरता के कई कारण हैं। इसमें काम की अधिकता और भरपूर नींद की कमी जैसे कई गुनहगार शामिल हैं। आधुनिक समाज एकाग्रता नष्ट करने वालों से भरा है। लूसी जो पॉलाडीनो, एनसीनिटास, सान डियागो, अमेरिका की मनोवैज्ञानिक हैं। वे सारी दुनिया में "अटेंशन एक्सपर्ट" के तौर पर जानी जाती हैं। उन्होंने "फाइन्ड योर फोकस जोन, ड्रीमर्स, डिस्कवरर्स एंड डायनेमोस" जैसी पुरस्कृत किताबें लिखी हैं। वे गत तीस वर्षों से दुनिया भर में कार्पोरेट प्रोफेशनल्स, स्टूडेंट्स तथा होम मेकर्स के लिए चित्त की एकाग्रता पर आयोजित कार्यशालाओं में व्याख्यान देती हैं।
मनोवैज्ञानिक लूसी जो पॉलाडीनो ने एकाग्रता का सबसे बड़ा दुश्मन सोशल मीडिया को माना है। उनका मानना है कि अपने दोस्तों से सोशल मीडिया के जरिए जुड़ना और घंटों के लिए दुनिया भर के जरूरी कामों से कट जाना बहुत आसान है। हर बार जब भी आप इन साइट्स पर अपना स्टेटस अपडेट करते हैं तब आपके विचारों की श्रंखला टूट जाती है। आपको दोबारा काम की सामान्य गति पकड़ने में वक्त लग जाता है। एकाग्रचित्त रहने के लिए जानते हैं उनके टिप्स-
काम के दौरान रखें सोशल मीडिया से दूरी
काम के दौरान सोशल मीडिया से दूरी बनाए रखें। यदि आपको थोड़ी-थोड़ी देर में अपना मेल चेक करने की आदत है तो इसे थोड़ा विश्राम दें। ब्रेक के दौरान ही स्टेटस अपडेट करें अन्यथा लगातार आ रही पोस्ट्स आपका ध्यान विचलित कर देंगी। यदि आप लगातार अपनी पोस्ट चेक करने की लत के शिकार हो गए तों कुछ देर के लिए अपना लैपटॉप लेकर उस स्थान पर चले जाएँ जहां नेटकनेक्शन ही उपलब्ध न हो।
ई-मेल ओवरलोड
ई-मेल आपके इनबॉक्स पर हर वक्त आती रहती हैं। आप इन्हें देखते ही जवाब देने के लिए उतारू हो जाते हैं। हो सकता है इनमें से कुछ मेल आपके लिए महत्वपूर्ण हों लेकिन इतना तो तय है कि इनका जवाब देते समय आपके मौजूदा प्रोजेक्ट से कुछ समय के लिए दूरी बन जाएगी। यदि आप हर मैसेज का जवाब देने के लिए लगातार रुकते रहेंगे तो आपका काम भी खोटी होगा और ध्यान भी भंग होगा। इसलिए मेल चेक करने तथा जवाब देने के लिए कोई खास समय तय कर लें। शेष दिन भर केवल मौजूदा प्रोजेक्ट पर ध्यान दें। चाहें तो ई-मेल प्रोग्राम को ही शाम तक के लिए बंद कर दें।
सेलफोन
ई-मेल से ज्यादा सेलफोन की रिंगटोन तकलीफ़दायक है। इसकी हर घंटी काम से ध्यान भटका देती है। काम के दौरान कॉल अटेंड करने से आपके मौजूदा काम करने की गति धीमी पड़ जाती है। यदि ज़रूरी न हो तो सेलफोन को सायलेंट मोड पर रख दें। इसे वायसमेल मोड पर भी रख सकते हैं। किसी टाइमबाउंड प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हों,तो सेलफोन बंद कर दें। वॉयसमेल चेक करने के लिए ब्रेक का समय फिक्स कर दें। हर वक्त सेलफोन के मैसेजबॉक्स में से कुछ खोजते रहने की आदमत महत्वपूर्ण समय नष्ट करती है।
मल्टीटास्किंग
यदि आपने बहुत से काम एक साथ करने की कला विकसित कर ली है तो संभवतः आपको एहसास भी होता होगा कि आप कम समय में बहुत सारा काम निपटा लेते हैं। यह भ्रम है। शोध अध्ययन सुझाते हैं कि जब आप एक से दूसर काम की तरफ ध्यान बंटाते हैं तो आपका बहुमूल्य समय नष्ट हो जाता है। एक साथ तीन प्रोजेक्ट पर काम करने में अधिक समय नष्ट होता है जबकि एक-एक करके तीनों प्रोजेक्ट अपेक्षाकृत कम समय में निपटाए जा सकते हैं। इसलिए,अलग-अलग कामों की प्राथमिकता तय करें और उन्हें उसी क्रम में निपटाएं। कई सारे हल्के काम एक साथ किए जा सकते हैं। मसलन,अपनी डेस्क पर बिखरे हुए सामान को,फोन पर बात करते समय ढंग से जमा सकते हैं।
बोरियत
ध्यान भटकाने में बोरियत का भी हाथ है। हर दिन कोई नया काम करना हो तो उसमें रुचि बनी रहती है लेकिन रोज एक जैसा काम करने में बोरियत महसूस होने लगती है। अरुचिकर काम से ध्यान मिनटों में हट जाता है। किसी भी वजह से बोरियत होने लगे तो इन्हें छोड़कर आप महत्वहीन काम हाथ में ले लेते हैं। बोरियत से निपटने के लिए अपने आप को इंसेटिव दीजिए। हर १० या १५ मिनट के बाद एक ब्रेक लीजिए। यदि आपका ध्यान ब्रेक की ओर लगा रहे तो बोरियत भरा काम भी आसानी से पूरा हो जाता है। डेस्क पर इकट्ठा हो गई रसीदों और बिलों को फाइल करते समय म्यूजिक सुनने से बोरियत दूर हो सकेगी।
तनाव
तनाव अधिक होने की दशा में आप किसी भी एक काम पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पाते हैं। तनाव का शारीरिक स्वास्थ पर भी विपरीत असर पड़ता है। तनाव के कारण सिरदर्द होता है, दिल की धड़कनों की गति बढ़ जाती है। तनाव शैथिल्य के लिए योग एवं ध्यान का सहारा लें। इससे एक शोध अध्ययन का नतीजा सुझाता है कि आठ हफ्ते के एक ध्यान शिविर में भाग लेने वालों का ध्यान दूसरों की बनिस्पत अधिक देर तक एकाग्र रह सका था।
थकान
शोध अध्ययनों के मुताबिक जो लोग नींद पूरी नहीं ले पाते हैं और पुनः काम शुरू कर देते हैं उनका ध्यान काम में नहीं लग पाता। शारीरिक थकान को दूर करने का एकमात्र उपाए आराम करना ही है। हर वयस्क को ७ से ९ घंटे की नींद लेना जरूरी होता है। रातों की नींद खराब करके घर पर ऑफिस के काम करते रहने से किसी का भला नहीं होता। नींद को प्राथमिकता पर रखें।
भूख
मस्तिष्क का ईंधन है भोजन, खासतौर पर नाश्ता प्रमुख आहार है। सुबह का नाश्ता छोड़कर सीधे लंच करना हितकर नहीं है। भूखे रहने से ध्यान विचलित होता है।
अवसाद
नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ मेंटल हैल्थ के मुताबिक अवसादग्रस्त इंसान एकाग्र नहीं रह पाता। अवसाद की स्थिति में चिकित्सकीय परामर्श लेना ठीक होता है। अवसाद का सफल इलाज औषधियों और काउंसिलिंग से होता है।
घर के काम का खयाल ऑफिस तक पीछा करता है
कई बार ऐसा होता है कि घर का कोई करने का विचार ऑफिस तक पीछा करता रहता है। यह भी होता है कि अधूरा छूटा हुआ काम पूरा करने का खयाल हर वक्त सताता रहता है। इस तरह का कोई भी विचार ध्यान भटकाने के लिए पर्याप्त है। इससे निपटने के लिए घर और ऑफिस के कामों की अलग-अलग सूचियाँ बना लें। कागज़ पर उतारे हुए विचार पीछा नहीं करते।
तनाव और तोंद दोनों कम करेगी डीप ब्रीदिंग
एकाग्रता बढ़ाने के लिए डीप ब्रीदिंग से बड़कर कोई दूसरा विकल्प नहीं है। डीप ब्रीदिंग से दो फायदे हैं। पहला तनाव कम होता है दूसरा यह कि इंसान ओवरईटिंग नहीं करता।
कैसे लें गहरी साँस
आप जीवन में कुछ भी कर रहे हों, साँस तो लेते ही हैं। साँस पर ध्यान केंद्रित करने सेयह धीमी और गहरी होने लगती है। नाक से गहरी साँस भरें। साँस से सीना फुलाने की बजाए इसे पेट पर केंद्रित करें। पेट से साँस लेते ही आप रिलेक्स होने लगेगें। साँस अंदर भरने और छोड़ने की पूरी प्रक्रिया में दो बार रुकें। साँस भरने के बाद आठ तक गिनती गिनें।इसी तरह साँस छोड़ने के बाद भी आठ तक गिनें। इन अंतरालों पर ध्यान केंद्रित करें। इससे साँस गहरी होगी। एक मिनट में १० बार साँस लेने की कोशिश करें। धीरे-धीरे अभ्यास से साँस पर नियंत्रण होने लगता है। इससे उच्च रक्तचाप भी कम होगा।
लगातार तनाव बना रहने के कारण साँस तेजी से चलने लगती है। फेफड़े आधे-अधूरे ही भरते हैं और शरीर के हर सेल तक ऑक्सीजन नहीं पहुँच पाती है। तेज गति से साँस लेने की आदत पड़ जाती है। साँस पर ध्यान केंद्रित करने से यह लंबी होती है और शरीर के प्रत्येक सेल को पर्याप्त ऑक्सीजन मिलती है। फेफड़ों से विषैले पदार्थ बाहर निकल जाते हैं। रक्त के साथ नाड़ी भी शुद्ध होती है।
"जंप स्टार्ट युवर मेटाबॉलिज्मः हाउ टू लूज वेट बाय चेंजिंग द वे यू ब्रीद" नामक किताब में पैम ग्राउट ने लिखा है कि उथली साँस लेने से शरीर के ऊतकों को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिलती साथ ही बॉडी मेटॉबॉलिज्म भी धीमा पड़ जाता है। मोटापे का यह भी एक बड़ा कारण है।
हाल ही में हुएशोध अध्ययनों से मालूम हुआ है कि तेज गति से साँस लेने वालों को उच्च रक्तचाप की समस्या होती है। गहरी साँस लेने से अस्थमा के रोग में राहत मिलती है। इससे शरीर द्वारा निर्मित पेनकिलर्स रिलीज होने लगते हैं। इससे सिरदर्द, अनिद्रा, पीठ का दर्द तथा तनाव जनित अन्य दर्दों से राहत मिलती है। डीप ब्रीदिंग से मस्तिष्क को किसी एक काम पर केंद्रित करने में मदद मिलती है(सेहत,नई दुनिया,सितम्बर 2012 द्वितीयांक)।
badhiya lagi post.
जवाब देंहटाएंबढ़िया....
जवाब देंहटाएंबड़े काम की पोस्ट...
शुक्रिया
सादर
अनु
लोग काम से बोर हो कर अपने आप को फ्रेस करने के लिए ही फेस बुक आदि पर जाते है जैसा कहा गया है की काम से ब्रेक ले |
जवाब देंहटाएंआधुनिक समाज में एकाग्रता कहाँ ?
जवाब देंहटाएंसारे प्रयास मन को अस्थिर करने के है
सिर्फ ध्यान को छोड़कर, और ध्यान एक ही प्रयास नहीं !
तथाकथित सोशल नेटवर्किंग ही तनाव का घर है . मन को भटकाती है .
जवाब देंहटाएंसही सलाह दी है .
काम की पोस्ट..
जवाब देंहटाएंमनन करने योग्य हैं सभी बिंदु....
जवाब देंहटाएंये सारे गुण मुझ पर हावी हैं
जवाब देंहटाएंइसलिए ही अकाग्रता दूर भाग गई है।
बहुत कारगर जानकारी …………आभार
जवाब देंहटाएंबेहद सार्थक एवं उपयोगी पोस्ट ... आभार
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