मंगलवार, 2 अक्टूबर 2012

क्या आपको भी ज्ञात-अज्ञात का भय सताता है?

पैनिक अटैक मन की दुनिया का मायावी मर्ज है। इसमें रुग्ण मन अचानक किसी अज्ञात या ज्ञात खौफ से भर जाता है, जबकि इसका कोई ठोस कारण नहीं नजर आता। अगले २०-३० मिनटों तक भय इतना गहराया रहता है कि सांस ऊपर की ऊपर, बदन पसीने से तर-बतर, सर चकराता हुआ और दिल सरपट दौड़ता हुआ मालूम देता है। 

पैनिक अटैक उठता है तो अपने आप शांत भी हो जाता है, लेकिन उसकी छाप मन पर इतनी गहरी पड़ती है कि आदमी डर के मारे घर से निकलना तक बंद कर देता है। समझदारी इसी में है कि पैनिक अटैक्स के जाल में उलझे रहने के बजाय किसी मनोचिकित्सक से सलाह लें। उपयुक्त दवाओं और काउंसलिंग की मदद से इस मर्ज को जीत पाना मुश्किल नहीं है। 

क्या मन का अचानक दहल उठना किसी गंभीर रोग का प्रतीक है? 

नहीं, यह पैनिक डिसऑर्डर का लक्षण है। इसमें अचानक बिना किसी चेतावनी के और बिना किसी तनावपूर्ण स्थिति के मन तीव्र अनजाने भय से घिर जाता है। चाहे यह दौरा कुछ मिनटों तक ही रहता है लेकिन मरीज सुध-बुध गंवा देता है। उसे लगता है जैसे कुछ अनिष्ट होने वाला है और डर के सदमे से तन-बदन पर भी गहरा असर पड़ता है। अचानक ही डर की तेज लहर सी उठती है जिसके कारण दम घुटने लगता है, दिल की धड़कनों की गति तेज हो जाती है, बदन कांपने लगता है, सर चकरा उठता है, पसीने के साथ उबकाई आने लगती हैं। पेट में खलबली मचने लगती है और छाती में दर्द उठ आ सकता है। कभी लगता है जैसे अंतिम समय आ गया है, कभी लगता है कि कहीं मैं पागल तो नहीं हो गया हूँ। १० मिनट में अटैक अपने चरम पर पहुंच जाता है, पर अगले २०-३० मिनट के भीतर जितने नाटकीय ढंग से शुरू हुआ था, उसी तरह शांत हो जाता है। मरीजों के ऐसे दौरे बार-बार होते रहते हैं।

क्या यह एक आम रोग है? 

हां, बहुत से लोगों को पैनिक अटैक्स उठते हैं लेकिन ज्यादातर लोग अपने मर्ज को छुपाते हैं। अधिकतर में यह समस्या युवा उम्र में शुरू होती है। पुरूषों के मुकाबले स्त्रियों में यह दुगनी दर से होता है। १८ प्रतिशत रोगियों के परिवार में दूसरे किसी सदस्य को भी यही विकार होता है।

इसका डायग्नोसिस कैसे करते हैं? 

पैनिक डिसऑर्डर के लक्षण इतने स्पष्ट एवं विशिष्ट होते हैं कि उन्हीं से इस की पुष्टि हो जाती है। यह दौरा कभी किसी भी पल पड़ सकता है। घर बैठे, सड़क पर गाड़ी चलाते हुए, या बाजार में शॉपिंग करते हुए। पहली बार जब यह अटैक होता है तो लगता है जैसे कोई चिकित्सकीय इमरजेंसी है और तुरंत अस्पताल पहुंचना जरूरी है। कई बार इमरजेंसी में पहुंचने तक दौरा शांत हो जाता है, पर कभी-कभी लक्षणों के कारण आनन-फानन में तरह-तरह के टेस्ट हो जाते हैं। अटैक समाप्त होने के बाद यकायक बहुत थकान महसूस होती है। नींद भी घेर सकती है। पैनिक अटैक्स की यह खासियत है कि ऐसे दौरे बार-बार होते रहते हैं। किसी को हर रोज, किसी को हफ्ते में एक बार, तो किसी को कभी-कभी महीनों के अंतराल से दौरा आता है। दौरा हुए पूरा महीना भी बीत जाए तब भी मन डरा रहता है कि कहीं दौरा दुबारा न पड़ जाए। कुछ लोग तो इसी डर से सार्वजनिक जगहों में जाना तक छोड़ देते हैं। कुछ घर में कैद होकर रह जाते हैं। कुछ पर डर इतना हावी हो जाता है कि वे डिप्रेशन में चले जाते हैं, आत्महत्या के विचार मन में घर करने लगते हैं। कई बार मदिरा या दूसरे नशों की लत लग जाती है। किसी-किसी के लिए भेड़िया आया, भेड़िया आया वाली कहानी सच हो जाती है और दिल सचमुच बीमार हो जाता है।

यह रोग किस कारण होता है? 

आकस्मिक अत्यधिक भय उत्पन्ना होने के लिए कई तत्व उतरदायी हो सकते हैं। इसमें कुछ जैविक होते हैं तो कुछ आनुवंशिक! लेकिन उनका अवचेतन दुनिया में बसे अंतर्द्वंदों से गहरा संबंध होता है। समय बीतने के साथ यह दौरे कुछ विशेष परिस्थितियों से इतने जुड़ जाते हैं कि उनसे सामना होते ही पैनिक अटैक का दौरा पड़ जाता है।

पैनिक अटैक्स का इलाज क्या है? 

समग्र उपचार के लिए दवा और मनोचिकित्सा दोनों की ही जरूरत होती है। पैनिक अटैक्स को रोकने में कई दवाएं प्रभावी साबित होती हैं। नींद की गोलियाँ या तनावशैथिल्य की गोलियाँ लेने से तात्कालिक लाभ मिलता है। नींद की अथवा मूड एलिवेटर जैसी गोलियां कुछ दिन तक लेने से उनकी लत लगने का जोखिम रहता है। ये दवाएँ बौद्धिक क्षमताओं पर भी बुरा असर दिखाती हैं। इसीलिए मनोरोगविशेषज्ञ पैनिक अटैक्स को रोकने के लिए सिलेक्टीव सेराटोनिन रिअपटेक इन्हीबिटर प्रयोग में लाते हैं। दवाएं ८०-९० प्रतिशत रोगियों में दौरों को रोकने में सफल सिद्ध होती हैं। जिन रोगियों का रोग बढ़ा हुआ होता है उनके उपचार में काउंसलिंग और बिहेवियर थैरेपी उपयोगी साबित होती है। जिन स्थितियों से डर लगता है, उनका सामना करने की ताकत विकसित करने में बिहेवियर थैरेपी का खास लाभ है। भीतर की मानसिक व्यग्रता मिटाने में विशेष रिलैक्सेशन व्यायाम, प्राणायाम और योग भी नितांत उपयोगी साबित होते हैं(डॉ.यतीश अग्रवाल,सेहत,नई दुनिया,सितम्बर 2012 द्वितीयांक)।

7 टिप्‍पणियां:

  1. इससे बचे हुये हैं .... अच्छी जानकारी मिली

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  2. पैनिक अटैक मन की दुनिया का मायावी मर्ज है।
    बड़ा अजीब मर्ज है ये पहली बार सुन रही हूँ ...

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    1. Madam mujhee ye rog hai samaj lo mayre duneya khatma hai maan may hamesa daar kaam nahi kar sakta kaam nahi to paissa nahi paisse nahi to life bekar.

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  3. मुझे तो इसके बारे में कुछ भी नहीं पता था।
    आपने बहुत अच्छी जानकारी दी। आभार।
    आगे से सावधान रहूँगा।

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  4. इस मायावी मर्ज की जानकारी के लिये आभार,,,,

    RECECNT POST: हम देख न सके,,,

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  5. ये अटैक अधिकतर लोगो को होता है। कुछ सेंकेंड के लिए लगभग सबको होता है। पर योग की सहायता से और सकारात्मक विचारों पर ध्यान केंद्रित करने से धीरे-धीरे इस पर काबू पाया जा सकता है। पर हां इसके इलाज के लिए डाक्टर की सहायता अवश्य ली जानी चाहिए।

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