रविवार, 7 अक्टूबर 2012

लोकोक्तियों में नेत्र-रोग निवारण

1. काली मिर्च को पीसकर,घी बूरा संग खाय 
    नेत्ररोग सब दूर हों,गिद्ध-दृष्टि हो जाए 

2. मिट्टी के नव-पात्र में,त्रिफला रात्रि में डाल 
    रोज़ सवेरे धोय के,नेत्ररोग को टाल 

3. ताम्र के एक पात्र में, घमिरा रस को निचोय 
    रूई साफ भिगोय के,लीजे छांह सुखाय 

4. सरसों तेल मिलाय के,आग में देहु जलाय 
    ढकिए थाली फूल की,काजल लेहु बनाय 

5. कालिख सरसों तेल में,घिसै उंगली डार 
    ऐसे सरल उपाय सो,काजल करो तैयार

6. रतौंधी धुंधी खुजली या नेत्र लाल पड़ जाए 
    बढ़े रोशनी आंख की,सारे रोग नसाय 

7. आंख-कान के मध्य में चूना लेप लगाय 
    आई आंख अच्छी करे और ललाई जाय 

8. भुनी फिटकरी लीजिए,जल गुलाब में घोल 
    आंखों की जलन मिटे,ये वैद्य के बोल 

9. केशर शहद मिलाय के,नेत्रन माहि लगाय 
    लाली और गरमी मिटै,रोग रतौंधी जाय 

10. बरगद के दूध में घिस,कपूर लगाओ नैन 
      फूली मिटे छोटी-बड़ी,और पाओ सुख चैन 

11. शुद्ध शहद में लीजिए,सेंधा नमक मिलाय 
      थोड़े दिन ही लगाइए,फूली देत मिटाय 
(श्रीमती शैल कुमारीजी मिश्र द्वारा संकलित ये दोहे कल्याण से साभार हैं)

8 टिप्‍पणियां:

  1. वाह भाई जी वाह |
    बढ़िया नेत्र ज्योति वर्धक दोहे ||

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  2. इनेमें से अनेक का सार्थक प्रयोग हमने कई बार देखा है.
    प्रस्तुतीकरण हेतु आभार !

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  3. वाह वाह बहुत ही सार्थक दोहे ।

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  4. वाह,,वाह,,,उम्दा उपयोगी जानकारी के साथ साथ बढ़िया दोहे,,,,

    RECENT POST: तेरी फितरत के लोग,

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  5. लाभप्रद जानकारी दोहों द्वारा वाह ...

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  6. उपयोगी नुस्खे, फेसबुक पर दे रहा हूँ, धन्यवाद.

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