1. शीतल जल में डालकर सौंफ गलाओ आप
मिश्री के संग पान कर,मिटे दाह-संताप
2. फटे बिमाई या मुंह फटे,त्वचा खुरदुरी होय
नींबू मिश्रित आंवला,सेवन से सुख होय
3. सौंफ इलायची गर्मी में,लौंग सर्दी में खाय
त्रिफला सदाबहार है,रोग सदैव हर जाय
4. वात-पित्त जब-जब बढ़ै,पहुंचावै अति कष्ट
सौंठ,आवला,दाख संग खावे पीड़ा नष्ट
5. नींबू के छिलके सुखा,बना लीजिए राख
मिटै वमन मधु संग ले,बढ़ै वैद्य की साख
6. लौंग इलायची चाबिये,रोज़ाना दस-पांच
हटै श्लेष्मा कण्ठ का,रहो स्वस्थ है सांच
7. स्याह नौन हरड़े मिला,इसे खाइये रोज़
कब्ज़ गैस क्षण में मिटै,सीधी-सी है खोज
8. पत्ते नागरबेल के,हरे चबाये कोय
कण्ठ साफ-सुथरा रहे,रोग भला क्यों होय
9. खांसी जब-जब भी करे,तुमको अति बेचैन
सिंकी हींग अरु लौंग से मिले सहज ही चैन
10. छल-प्रपंच से दूर हो,जन-मंगल की चाह
आत्मनिरोगी जन वही,गहे सत्य की राह
(श्री धीरजकुमार जी खरया के ये दोहे कल्याण के आरोग्य अंक से साभार हैं)
मिश्री के संग पान कर,मिटे दाह-संताप
2. फटे बिमाई या मुंह फटे,त्वचा खुरदुरी होय
नींबू मिश्रित आंवला,सेवन से सुख होय
3. सौंफ इलायची गर्मी में,लौंग सर्दी में खाय
त्रिफला सदाबहार है,रोग सदैव हर जाय
4. वात-पित्त जब-जब बढ़ै,पहुंचावै अति कष्ट
सौंठ,आवला,दाख संग खावे पीड़ा नष्ट
5. नींबू के छिलके सुखा,बना लीजिए राख
मिटै वमन मधु संग ले,बढ़ै वैद्य की साख
6. लौंग इलायची चाबिये,रोज़ाना दस-पांच
हटै श्लेष्मा कण्ठ का,रहो स्वस्थ है सांच
7. स्याह नौन हरड़े मिला,इसे खाइये रोज़
कब्ज़ गैस क्षण में मिटै,सीधी-सी है खोज
8. पत्ते नागरबेल के,हरे चबाये कोय
कण्ठ साफ-सुथरा रहे,रोग भला क्यों होय
9. खांसी जब-जब भी करे,तुमको अति बेचैन
सिंकी हींग अरु लौंग से मिले सहज ही चैन
10. छल-प्रपंच से दूर हो,जन-मंगल की चाह
आत्मनिरोगी जन वही,गहे सत्य की राह
(श्री धीरजकुमार जी खरया के ये दोहे कल्याण के आरोग्य अंक से साभार हैं)
useful information. thanks
जवाब देंहटाएंजानकारी भी अच्छी
जवाब देंहटाएंअंदाज भी नया..
बहुत बढ़िया..
:-)
वाह ... स्वास्थ्य की बातें वो भी काव्य रूप में । सभी दोहे संग्रहणीय ।
जवाब देंहटाएंस्वास्थ्य दोहे -- खूब कहे .
जवाब देंहटाएंNice post.
जवाब देंहटाएंगर्भावस्था में अंडे और मांस के सेवन से शिशु को होगा फायदा
http://pyarimaan.blogspot.in/2012/09/blog-post_23.html
बहुत उपयोगी वैद्यकी दोहे हैं।
जवाब देंहटाएंसम्हाल कर रखने लायक।
अरे वाह ..यह पोस्ट दोहे के रूप में,...क्या खूब है !
जवाब देंहटाएंवाह ! शानदार |
जवाब देंहटाएंउपयोगी दोहे मिले , करने को उपचार
जवाब देंहटाएंजनहित खातिर समर्पित,राधारमण कुमार ||
इसीलिये हमारे यहाँ वैद्यों को 'कविराज'कहा जाता होगा - दवा की दवा और काव्य का मज़ा !
जवाब देंहटाएंइसे प्रयोग में लाता रहा हूं। दो साल पहले पीठ मे एक बलतोड़ के कारण आफिस जाना बंद हो गया था। वहां के दर्द को मैं खुद ही सहने की सोच रहा था। पर जब दर्द असहनीय हो गया तो पिताजी को एक पते कि याद आई। उन्होंने पांच रुपये का मंगाया...उसे पानी में दो मिनट तक रखा। फिर एक कागज के बीच में छेद करके..उसके चारों तरफ लगाया। कागज में छेद इसलिए किया ताकि फोड़े का मुंह खुली हवा में रह सके। उसके बाद उस कागज को फोड़े पर रख दिया। मानें या न मानें...महज 25-25 सेंकेंड में सारा दर्द लगा जैसे चारों और से उस खुले छेद की तरफ आकर बाहर निकल गया हो। फिर तो सिर्फ फोड़ा ही रह गया था। जो तीन चार दिन में अपने आप सूख जाने वाला था। पर आफिस की जल्दी से अंग्रेजी दवाई ली और उसे सुखाया। अगर एक हफ्ता रहने देता तो बलतोड़ का घाव प्राकृतिक तौर पर ठीक हो जाता। खैर दर्द से तो महज 25-25 सेंकेड में राहत मिल गई थी। जो कोई एलोपेथी की दवा से भी नहीं होती। दुर्भाग्य से उस पते का नाम याद नहीं आ रहा।
जवाब देंहटाएं