दफ्तर के लिए निकलते हुए कभी रुमाल तो कभी सेलफोन भूलने की आदत आम हो चुकी है। सप्ताह में एक-दो बार हम अपनी चीजें भूलते रहते हैं। लेकिन जब ऐसी घटना बढ़ने लगे तो बगैर देर किए डॉक्टर से मुलाकात करनी चाहिए।
नोहर मनचंदा निजी कंपनी में एक्जीक्यूटिव हैं। नई सोच के कारण उन्हें तीन साल में चार बार तरक्की मिली। लेकिन बीते छह महीने से वह अपने काम नहीं बल्कि अपनी कुछ आदतों को लेकर परेशान है। सुबह घर से निकलते वक्त मोबाइल, गाड़ी की चाभी आदि भूल जाना तो आम बात हो गई है, बिजली बिल और बच्चों की टय़ूशन फीस की तारीख भी भूल जाते हैं। शुरू में परेशानी लगने वाली यह आदत अब बीमारी का रूप ले चुकी है। मनोहर अब याददाश्त ठीक करने के लिए योगासन और मेडिटेशन का सहारा ले रहे हैं।
सप्ताह में कभी एक बार तो कभी दो बार हम भी अपनी साधारण चीजें भूलते रहते हैं। डॉक्टरी भाषा में भूलने की इस बीमारी को अम्नेसिया कहते हैं। इसमें याद रखने की क्षमता धीरे-धीरे कम हो जाती है। बीती घटनाओं को याद कर पाना मुश्किल होता है। एम्स के मनोचिकित्सक डॉ. एच. एस. मलिक कहते हैं कि भूलना तो समस्या है, लेकिन हर बात भूल जाना बीमारी हो सकती है। परेशानी यह है कि लोग इन दोनों के बीच आसानी से फर्क नहीं समझ पाते हैं। आपको भूलने की बीमारी हो चुकी है, इसकी जांच आप खुद कर सकते हैं। दिनभर कई काम के बावजूद यदि आप सोने से पहले सुबह से शाम तक की हर छोटी बात को आसानी से याद रख पाने में सक्षम हैं तो इसका मतलब है कि आपकी याददाश्त बेहतर हैं, लेकिन ओपीडी में आने वाले 40 प्रतिशत युवा चार घंटे पहले की बात भी याद नहीं रख पाते हैं। ऐसे में सबसे अधिक असर नियमित दिनचर्या पर पड़ता है। डॉ. मलिक कहते हैं कि कई निजी क्लीनिक में मरीजों को दवाई व जांच की तारीख याद दिलाने के लिए एसएमएस की सेवा शुरू की गई जो लोगों की कम होती याददाश्त का ही एक उदाहरण है।
क्यों होती है समस्या
डॉ. मोनिका सूद के मुताबिक याददाश्त कम होना या फिर याददाश्त खो जाना दो अलग बाते हैं, बुजुर्गो में यह समस्या 60 के बाद होती है, जिसे डिमेंशिया कहा जाता है। युवाओं में याददाश्त कम होने की वजहें अलग हैं, जैसे- अधिक तनाव, सिगरेट, एल्कोहल या फिर अनियमित नींद। मार्ग दुर्घटना या फिर मस्तिष्क में टय़ूमर की वजह से भी याददाश्त खो जाती है, लेकिन इन दो वजहों से याददाश्त खोने के कई सजिर्कल उपाय हैं। यदि अनियमित दिनचर्या से याद रखने की क्षमता कम होती है तो उसे मेडिटेशन, योग या फिर बेहतर डायट से ठीक किया जा सकता है। हालांकि याददाश्त बढ़ाने के लिए चिकित्सक दवाओं के इस्तेमाल को सही नहीं मानते हैं।
याददाश्त कम होने की वजहें
अवसाद : अवसाद अम्नेसिया की की वजह हो सकती है। जिंदगी में अधिक हासिल करने की इच्छा जब पूरी नहीं होती तो व्यक्ति का ध्यान सामान्य बातों पर नहीं रहता, वह हरदम कुछ बढ़ा करने की योजना बनाता रहता है। समाज से कटे या अकेले रहने वाले लोगों में यह लक्षण अकसर देखने को मिलता है।
विटामिन बी-12 की कमी: अम्नेसिया का यह एक महत्वपूर्ण कारक है। इसकी कमी मस्तिष्क के स्थायी नुकसान का कारण बन सकती है। विटामिन बी-12 हमारे न्यूरोंस और सेंसर मोटर को सुरक्षित रखता है।
दवाओं का दुष्प्रभाव :
नींद की गोलियां, एंटीथिस्टेमाइंस, ब्लड प्रेशर की दवाएं, गठिया में ली जाने दवा, एंटीडिप्रेसेन्ट, गुस्से को नियंत्रित करने के लिए ली जाने वाली गोलियां और दर्द निवारक दवाओं के ज्यादा सेवन से भी अम्नेसिया हो सकता है। लगातार नींद की गोलियां खाने वाले लोग भी सामान्य बातें जल्दी भूलने लगते हैं।
शराब की लत : शराब का अधिक इस्तेमाल, मस्तिष्क की कोशिकाओं की क्रियाशीलता को कम करता है।
थायरॉयड : थायरॉयड ग्रंथि मेटाबॉलिज्म को नियंत्रित करती है। भूलने के साथ-साथ दिमाग को एकाग्र करने में भी दिक्कतें आती हैं। अधिक या कम थॉरोक्सिन याद करने की क्षमता को कम कर देता है।
क्या हैं बीमारी के लक्षण अम्नेसिया के लक्षण अलग-अलग व्यक्तियों में भिन्न होते हैं। कुछ लोगों में अम्नेसिया की शुरुआत तिथि और नाम भूलने के साथ होती है, तो कुछ लोग शुरू किए गए काम का उद्देश्य ही भूल जाते हैं।
एक ही स्थान पर बार-बार जाने के बाद भी उसका पता भूल जाते हैं। कुछ लोग एक ही काम को कई बार करते हैं। अम्नेसिया की शुरुआत कुछ यूं होती है। भ्रम या कम सतर्कता भूलने की बीमारी का पहला लक्षण हो सकता है। हालांकि सभी का व्यवहार एक समान नहीं होता। कुछ में सीधे भूलने की समस्या होती है तो कुछ को शब्द याद करने में मुश्किल होती है। कुछ को समझने में समस्या आती है। उन्हें छोटे-छोटे निर्णय लेने में भी तकलीफ होती है।
कैसे होता है इलाज
हालांकि डॉक्टर भूलने की बीमारी का इलाज दवाओं के जरिए नहीं करते हैं, बावजूद इसके यदि बीमारी की पहचान देर में हो तो इसे न्यूरोलॉजिकल टेस्ट और दवाओं से ही नियंत्रित किया जाता है। हालांकि कुछ आधुनिक इलाज में रेडिएशन युक्त जांच से भी इलाज किया जाता है। पहले मरीज की फैमिली हिस्ट्री ली जाती है। मेमोरी फंक्शन जानने के लिए कई न्यूरोसाइकोलॉजिकल टेस्ट कराए जाते हैं। फिर कुछ अन्य मेडिकल टेस्ट जैसे इलेक्ट्रोइनसेफालोग्राफी, एमआरआई या सीटी स्कैन कराए जाते हैं। हालांकि अन्य उपायों से यदि बीमारी दूर नहीं होती तो डॉक्टर दवाओं का इस्तेमाल करते हैं।
व्यायाम है सहायक
हर उम्र के लोगों के लिए हल्का-फुल्का व्यायाम फायदेमंद है। शोधकर्ताओं का कहना है कि नियमित व्यायाम से याददाश्त बढ़ सकती है। यही नहीं, बल्कि वे अधिक दिनों तक भूलने की बीमारी का शिकार होने से बच सकते हैं। यदि रोजाना सिर्फ आधे घंटे योग किया जाए तो भी इससे राहत मिलेगी। एक अनुमान के मुताबिक दुनियाभर में करीब 3 करोड़ 70 लाख लोग भूलने की बीमारी के शिकार हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अगले बीस सालों में इस आंकड़े में तेजी से बढ़ोतरी की आशंका जताई है।
जरूरी है नींद
याद्दाशत मजबूत करने के लिए के लिए नींद बहुत जरूरी है। कम नींद या खराब नींद हिप्पोकैम्पस में नए न्यूरॉन्स का विकास प्रभावित करती है और स्मृति, एकाग्रता व निर्णय लेने की क्षमता कम होती जाती है।
डायट का रखें ध्यान
चॉकलेट :
एक सर्वे में कहा गया कि चॉकलेट मस्तिष्क की शक्ति को बढ़ाती है। रोज 10 ग्राम चॉकलेट दिमाग को चॉकलेटी बना देती है।
हरी सब्जियां:
इनमें विटामिन और फोलिक एसिड की भरमार होती है, जो हमें पागलपन से बचाते हैं। ध्यान रहे हरी सब्जियों को ज्यादा देर तक पकाने पर इसके न्यूट्रिएंट्स जल सकते हैं।
काला जामुन :
काला जामुन में एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो न्यूरॉन्स के बीच संचार बढ़ाते हैं और आसानी से समझने में मदद करते हैं। रोज काला जामुन खाएं तो दिन, महीना और तिथि याद रखना आसान होगा।
मछली :
इसमें ओमेगा-3, विटामिन-डी और अन्य ऐसे पोषक तत्व होते हैं, जो आपके मस्तिष्क को किसी प्रकार के मनोविकार यानी मेंटल डिसऑर्डर से सुरक्षित रखते हैं।
चुकंदर :
चुकंदर याद रखने की क्षमता बढ़ाता है। इसमें नाइट्रेट होता है, जो रक्त नलिकाओं को खोलता है और दिमाग तक खून का संचार बढ़ाता है।
होल ग्रेन :
जब भी ब्रेड खरीदें, दुकानदार से होलग्रेन ब्रेड ही मांगें। इसमें एंटीऑक्सीडेंट और फाइबर भरपूर होता है। विटामिन बी और ई से भरा होल ग्रेन शरीर में ब्लड शुगर के स्तर को सामान्य रखने में मदद करता है।
कॉफी :
कॉफी में पाई जाने वाली कैफीन से कार्यक्षमता बढ़ती है। यह अल्जाइमर से लड़ने में भी मददगार है।
सेब : सेब में क्वरसेटिन की मात्र पाई जाती है, जो हमारे ब्रेन सेल की रक्षा करता है।
मेमोरी मैन के कारगर टिप्स
याददाश्त को मजबूत बनाने के लिए मैमोरी मैन विश्व स्वरूप रॉय चौधरी के टिप्स
-सोने से पहले एक बार दिनभर में किए कामों को दोहराने से याददाश्त कभी कमजोर नहीं होती। आप सारी दिनचर्या को याद नहीं कर पा रहे तो यह याददाश्त कम होने की शुरुआत है।
-दिमाग में चीजों का चित्रण कर हम
किसी चीज या बात पर अपनी एकाग्रता बढ़ा सकते हैं। कामों की लिस्ट बनाएं और उसे किसी चीज के साथ समायोजित करें। इससे उस चीज को याद करने से उससे संबंधित काम भी याद आ जाएगा( निशि भाट और वंदना भारती,हिंदुस्तान,दिल्ली,6.6.12)।
काफ़ी उपयोगी जानकारी।
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छी एवं उपयोगी जानकारी ...आभार
जवाब देंहटाएंबड़ी मुश्किल ||
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति |
बधाई स्वीकारें ||
स्वास्थ्य
हटाएंखाइए चाकलेट , बढ़ाइए याददाश्त
हरी सब्जियों में होती है फोलिक एसिड की भरमार ।
पागलपन से दूर रखे यह, कमी से दिखते हैं आसार ।
दुहराना रात्रि बेला में, किये और करणीय काज को
आयु बाधा से निपटेगा, ढल जाओ इनके अनुसार ।।
BADI ACHHI JANKARI,DHANYAVAD
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया जानकारी:-)
जवाब देंहटाएंbahut acchhe tips diya aur vistrit jankari bhi. aabhar.
जवाब देंहटाएंआपकी पोस्ट कल 12/7/2012 के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
जवाब देंहटाएंकृपया पधारें
चर्चा - 938 :चर्चाकार-दिलबाग विर्क
मेरे लिए बड़ी अच्छी जानकारी कुछ यादास्त तो मेरी भी ख़राब हो गई है |
जवाब देंहटाएंइस पोस्ट की ज़रुरत सबको पड़ सकती है .
जवाब देंहटाएंबढ़िया जानकारी .
आपने पोस्ट लिखी ,हमने पढी , हमें पसंद आई , हमने उसे सहेज़ कर कुछ और मित्र पाठकों के लिए बुलेटिन के एक पन्ने पर पिरो दिया । आप भी आइए और मिलिए कुछ और पोस्टों से , इस टिप्पणी को क्लिक करके आप वहां पहुंच सकते हैं
जवाब देंहटाएंउपयोगी जानकारी....
जवाब देंहटाएंआपने पोस्ट लिखी ,हमने पढी , हमें पसंद आई , हमने उसे सहेज़ कर कुछ और मित्र पाठकों के लिए बुलेटिन के एक पन्ने पर पिरो दिया । आप भी आइए और मिलिए कुछ और पोस्टों से , इस टिप्पणी को क्लिक करके आप वहां पहुंच सकते हैं
जवाब देंहटाएंबड़ी जरुरी जानकारियाँ.....!!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर जानकारी सब कुछ याद रहेगा !
जवाब देंहटाएंआभार ...
चलिये अगर हम कुछ भूलते हैं तो उम्र का तक़ाज़ा है :):)
जवाब देंहटाएंबढ़िया जानकारी
thanks for sharing this information
जवाब देंहटाएंविस्तार से लिखा है और बहुत ही अचा लिखा है ... जानकारी से भरपूर है आपका लेख ... शुक्रिया इस भूलने की बिमारी कों ले कर ...
जवाब देंहटाएंचाकलेट की खोल दी, आज ढोल की पोल।
जवाब देंहटाएंखाकर मीठी टौफियाँ, मीठा-मीठा बोल।।
बहुत उपयोगी जानकारी दी है चौकलेट खाने वाली बात बहुत पसंद आई |
जवाब देंहटाएंआशा
Bade kaam ki jaankari.
जवाब देंहटाएं------
’बीमार बनाते हैं खूबसूरत चेहरे!’
दवाओं का दुष्प्रभाव :
जवाब देंहटाएंनींद की गोलियां, "एंटीथिस्टेमाइंस'", ब्लड प्रेशर की दवाएं, गठिया में ली जाने दवा, एंटीडिप्रेसेन्ट, गुस्से को नियंत्रित करने के लिए ली जाने वाली गोलियां और दर्द निवारक दवाओं के ज्यादा सेवन से भी अम्नेसिया हो सकता है। लगातार नींद की गोलियां खाने वाले लोग भी सामान्य बातें जल्दी भूलने लगते हैं।
बहुत बढिया प्रस्तुति अम्नेज़िया और डिमेंशिया का फर्क समझाती हुई .कृपया -=एंटी -हिस्टा-मिनिक कर लें.
Histamines are substances which causes allergy .Anti -histamines relives allergy .
मुझे उपरोक्त कोई बीमारी नहीं है..पर फिर भी कभी रुमाल तो कभी फोन ले जाना भूल जाता हू...ये खानदानी फितरत भी हो सकती है......मेडिकल में इसका भी कोई न कोई नाम होगा ही....
जवाब देंहटाएंवैसे एक चुटकुला याद आ गया...
एक पिता ने बेटे को पत्र में सीख देते हुए लिखा....बेटे अगर तुम कुछ भूल जाते हो तो इसका मतलब है कि तुम सेक्स के बारे में सोच रहे थे....।
जवाब में बेटे ने सिर्फ एक लाइन लिखी..पिताजी आप लिफाफे पर टिकट लगाना भूल गए थे। हीहीहीहीहीहीह