गुरुवार, 28 जून 2012

अच्छी नींद के लिए....

रात भर बेड पर करवटें बदलते हैं, तो आपको स्लीपिंग डिस्ऑर्डर हो सकता है। आखिर क्या वजह है अच्छी नींद ना आने की और कैसे इस प्रॉब्लम को दूर किया जा सकता है, जानते हैं :  

कभी एक रात जागकर तो देखें, उसके अगले दिन आपको नींद की अहमियत समझ में आ जाएगी। वैसे, ऐसे कई लोग हैं, जो चाहकर भी अच्छी नींद नहीं ले पाते। ऐसे लोग सुबह उठकर भी फ्रेश फील नहीं करते, पूरा दिन थके-थके से रहते हैं और छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा करते रहते हैं। यही नहीं, वे तनाव में भी जल्दी आते हैं। वैसे, अगर आपके साथ भी ऐसा है, तो जान लें कि आप स्लीप डिस्ऑर्डर की गिरफ्त में हैं।  

क्या है स्लीप डिस्ऑर्डर 

नींद ना आने की कई वजहें हैं। स्लीप स्पेशलिस्ट डॉ. मनचंदा बताते हैं, 'स्लीप डिस्ऑर्डर 80 तरह के हैं, जो अलग-अलग वजह से हर किसी में होते हैं। केवल इंडिया में ही 7 से 8 करोड़ लोग इस बीमारी की चपेट में हैं। हालांकि खासतौर पर लोगों में चार तरह के स्लीप डिस्ऑर्डर देखने में आते हैं।'  

खर्राटे लेना: खर्राटे लेने को अगर आप गहरी नींद की निशानी समझते हैं, तो यह बिल्कुल गलत है। दरअसल, यह नींद के दौरान ठीक से सांस न ले पाने की वजह से होता है। खर्राटे लेने वाले व्यक्ति की नींद अक्सर पूरी नहीं होती। वह दिनभर नींद से भरा व चिड़चिड़ा रहता है। उसकी याद्दाशत कम होती जाती है और उसे पर्सनैलिटी डिस्ऑर्डर का भी खतरा रहा है। 

नींद न आना: रुटीन सही न रहना, चाय व कॉफी अधिक पीना, ज्यादा ऐल्कॉहॉल लेना, इंटरनेट, लेट नाइट पार्टी, सोने का समय फिक्स न रखना वगैरह से भी स्लीप डिस्ऑर्डर होता है। 

सपने देखना: ज्यादा सपने आने से रात को बार-बार नींद टूटती है। दरअसल, नींद दो तरह की होती है। गहरी नींद यानी नॉन-पिड आई मूवमेंट स्लीप और कच्ची नींद, जिसे सपनों वाली नींद भी कहते हैं। अगर नॉन-पिड आई मूवमेंट स्लीप 6 घंटे की भी आ जाए, तो बॉडी रिलैक्स हो जाती है, लेकिन 9-10 घंटे की कच्ची नींद के बावजूद बॉडी थकी ही रहती है।  

क्यों होता है यह 
स्लीप डिस्ऑर्डर बेसिकली तनाव, चिंता और डिप्रेशन की वजह से होता है। इसके अलावा, शरीर में होने वाला दर्द भी नींद न आने की वजह होता है। एक हॉस्पिटल के क्रिटिकल केयर डिपार्टमेंट के हेड डॉ. अभिनव बताते हैं, 'यह प्रॉब्लम महानगरों में बड़ी बीमारी का रूप ले रही है। दरअसल, अवेयरनेस ना होने की वजह से लोग खर्राटे लेना और अच्छी नींद ना आना जैसी प्रॉब्लम्स को मामूली चीज समझ लेते हैं और डॉक्टर को नहीं दिखाते।' डॉ. अभिनव की मानें, तो इसी वजह से छोटी प्रॉब्लम भी कुछ टाइम बाद बड़ी हो जाती है। 

हो सकती हैं प्रॉब्लम्स 
डॉ. मनचंदा बताते हैं कि स्लीपिंग डिस्ऑर्डर से पीड़ित लोगों को हाइपरटेंशन, कोरोनरी हार्ट डिजीज, स्ट्रोक, शुगर, हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक का खतरा कई गुना ज्यादा रहता है। दरअसल, नींद थकी हुई मसल्स को रिलैक्स करती है और आपको दूसरे दिन की भागदौड़ के लिए रेडी करती है। यही नहीं, प्रॉपर नींद राइट व क्विक डिसीजन लेने में भी आपकी मदद करती है।  

यानी अगर अच्छी नींद नहीं आएगी, तो उसका असर आपकी फिजिकल व साइकॉलजिकल, दोनों हेल्थ पर पड़ेगा। पिछले दिनों आई एक सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक, इंडिया में 93 फीसदी लोग सही नींद ना आने की प्रॉब्लम से जूझते हैं और 58 फीसदी लोग के रुटीन पर नींद पूरी ना होने का इफेक्ट बेहद नेगेटिव पड़ता है।  

किस पर ज्यादा अटैक 
वैसे तो, यह बीमारी किसी पर भी अटैक कर सकती है, लेकिन हॉस्पिटल, एयरलाइंस, न्यूज पेपर, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और कॉल सेंटर में काम करने वाले लोगों पर इसका ज्यादा असर नजर आता है। यानी ऐसे प्रफेशन्स जहां फिजिकल थकान थोड़ी कम होकर मानसिक थकान ज्यादा रहती है। ऐसे में पूरा आराम ना मिलने पर नींद ना आना, चिड़चिड़ापन, सिर भारी होना, जैसी परेशानियां हो जाती हैं।  

ऐसे आएगी अच्छी नींद  
रुटीन करें फिक्स 
सोने का समय फिक्स रखें। सही टाइमिंग्स ना होने की वजह से भी अच्छी नींद नहीं आती। कभी-कभी टाइमिंग्स का बिगड़ना तो चल जाता है, लेकिन ऐसी हैबिट होने पर नुकसान ही पहुंचता है। इसके अलावा, दिन में बहुत घंटे सोना भी रात को अच्छी नींद ना आने की एक वजह है।  

डेली एक्सरसाइज 
अगर आप रोजाना आधा घंटे की एक्सरसाइज कर लें, तो आपको अच्छी नींद आना तय है। एक्सरसाइज से आपके मसल्स व जॉइंट्स का वर्कआउट हो जाता है, जो अच्छी नींद लाने में मदद करता है। घर, जिम या ब्रिस्क वॉक, जो भी कम्फर्टेबल हो, वह कर लें। इसे रुटीन का हिस्सा बनाएं।  

हॉट बाथ 
सोने से पहले गर्म पानी से नहाएं। हॉट बाथ टेंशन वाली मसल्स को रिलैक्स कर देता है। खाना सोने से कम से कम दो घंटे पहले खा लें। डिनर में खाने की क्वॉन्टिटी कम रखें और स्पाइसी फूड अवाइड करें।  

चाय व कॉफी से तौबा 
आमतौर पर लोग खाने के बाद एक कप कॉफी या चाय पीना पसंद करते हैं। इसे हैबिट से बचें। दरअसल, इस तरह नींद समय पर आएगी ही नहीं और अगर आएगी, तो वह गहरी नहीं होगी। दरअसल, इनमें मौजूद कैफीन नींद को भगा देता है।

बुक रीडिंग 
सोने से पहले बुक रीडिंग की आदत डालें। 15 से 20 मिनट किताब पढ़ लेने से आपको अच्छी नींद आएगी। सोते समय टीवी देखना अवॉइड करें, क्योंकि इससे मांइड स्टेबल नहीं हो पाता।  

विंडो खुली रखें 
सोने से पहले कमरे की सभी खिड़कियां ओपन कर दें। इससे रूम में फ्रेश एयर आती रहेगी, जिससे आप अच्छी नींद ले पाएंगे। हां, ध्यान रखें कि जहां सो रहे हों, वह जगह शांत हो।  

अगर आती है दिन में नींद
नेक्रोलेप्सी एक न्यूरोलॉजिकल स्लीप डिस्ऑर्डर है, जिसमें पेशंट को दिन में बहुत गहरी नींद आती है। जिन्हें यह बीमारी होती है, वे दिन में किसी भी समय गहरी नींद का अनुभव करते हैं। इस प्रॉब्लम में नींद इतनी तेजी से आती है कि आप कोशिश करके भी जाग नहीं पाते।  

यह टाइम कुछ सेंकड्स से लेकर कुछ मिनटों तक के लिए हो सकता है। ऐसे लोग बात करते हुए और खाना खाते हुए ही नहीं, बल्कि ड्राइविंग करते हुए ही नींद के आगोश में चले जाते हैं(नभाटा,दिल्ली,१७.६.१२)।

18 टिप्‍पणियां:

  1. इस भाग दौड़ की ज़िन्दगी में अनिद्रा की बीमारी से बहुत से लोग पीड़ित हैं ! आपका यह लेख उनके लिए वरदान सिद्ध होगा !

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  2. बहुत बढ़िया जानकारी ।

    आभार भाई जी ।।

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    1. बरसे धन-दौलत सकल, बचे नहीं घर ठौर |
      नींद रूठ जाए विकल, हजम नहीं दो कौर |

      हजम नहीं दो कौर, गौर करवाते भैया |
      बड़े रोग का दौर, काम का नहीं रुपैया |

      करिए नित व्यायाम, गर्म पानी से न्याहो |
      मिले पूर्ण विश्राम, राधा-कृष्ण सराहो ||

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  3. बेहद उपयोगी जानकारी ... आभार

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  4. आप हमारा काम बखूबी कर रहे हैं .
    इसलिए हम बस मस्ती कर रहे हैं .

    REM = रेपिड आई मूमेंट

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  5. प्राकृतिक नींद तो जैसे सबकी ही खो गई है
    अच्छी जानकारी आभार.....

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  6. बहुत ही अच्छी प्रस्तुति है भाई साहब आपकी .

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  7. कम नींद हो इसकी उपाय की ज़रूरत है।

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  8. बहुत अच्छी जानकारी मिली ..... विचारना होगा आपकी इस पोस्ट पर ...

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  9. सपने देखना: ज्यादा सपने आने से रात को बार-बार नींद टूटती है। दरअसल, नींद दो तरह की होती है। गहरी नींद यानी नॉन-पिड आई मूवमेंट स्लीप और कच्ची नींद, जिसे सपनों वाली नींद भी कहते हैं। अगर नॉन-पिड आई मूवमेंट स्लीप 6 घंटे की भी आ जाए, तो बॉडी रिलैक्स हो जाती है, लेकिन 9-10 घंटे की कच्ची नींद के बावजूद बॉडी थकी ही रहती है।
    इस पैराग्राफ में कुछ त्रुटी रह गई है नींद डीप(रेपिड आई मूवमेंट स्टेट यानी REM),इंटर मीडिएट स्लीप और लाईट स्लीप में से जिस नींद में आई बाल रोल करतीं हैं यानी रेम खाब (स्वप्न )भी इसी अवस्था में आतें हैं जो ९० मिनिट का चक्र होता है .इसीलिए स्वप्न प्राय :रात में ही आतें हैं क्योंकि दिन में डेढ़ घंटे का यह गहरी नीद का चक्र (रेम स्टेट )संपन्न ही नहीं हो पाता है आसपास और बेकग्राउंड नोइज़ से आँख पहले ही खुल जाती है .
    बहर सूरत लेख बहुत जानकारी परक और सचेत करने वाला है .
    शुक्रवार, 29 जून 2012
    ज्यादा देर आन लाइन रहना माने टेक्नो ब्रेन बर्न आउट
    http://veerubhai1947.blogspot.com/
    वीरुभाई ४३.३०९ ,सिल्वर वुड ड्राइव ,कैंटन ,मिशिगन ,४८,१८८ ,यू एस ए .

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  10. बहुत सुन्दर प्रस्तुति..!
    आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज के चर्चा मंच पर भी की गई है!
    सूचनार्थ!

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  11. आपकी आर्टिकल काफी अच्छी है। अच्छी जानकारी के लिए धन्यवाद, मैंने भी नींद न आने का घरेलू उपाय के बारे में बताया है आशा करता हु viewers को मदद मिलेगी।

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