मंगलवार, 19 जून 2012

गठिया में राहत देता है आसन

गठिया बेहद तकलीफदेह बीमारी है। भयानक दर्द के साथ ही आदमी चलने-फिरने तक से लाचार हो जाता है। लेकिन कुछ आसन करके आप इससे बचे रह सकते हैं। 

शरीर के जोड़ों में, विशेषकर सायनोबियल ज्वांइट में सूजन या दर्द हो जाने को आर्थराइटिस या गठिया कहते हैं। यह शरीर को अपंग बनाने वाली खतरनाक बीमारियों में से एक है। यह कई तरह का होती है, जैसे-एक्यूट, आस्टियो, रूमेटाइट, गाउट आदि। सर्दियों और बरसात में यह रोग अधिक बढ़ जाता है। 

अप्राकृतिक भोजन, व्यायाम की कमी, अपचन, मानसिक तथा भावनात्मक तनाव इस रोग के प्रमुख कारण बनते हैं। योग के अभ्यास द्वरा इस रोग के सभी कारणों का एक साथ निदान हो जाता है। योग रोगी की दवाइयों पर निर्भरता को हटा कर उसे उनके साइड इफेक्ट से ही मुक्त नहीं करता है, बल्कि उनको एक सामान्य जीवन जीने में भी सक्षम बनाता है। इसकी कुछ क्रियाएं बहुत प्रभावकारी हैं। 

आसन 
गठिया रोग में शरीर के सभी जोड़ कड़े हो जाते हैं। उनके कड़ेपन को दूर करने के लिए सूक्ष्म व्यायाम बहुत प्रभावकारी है। 

ऐसे करें व्यायाम 
दोनों पैरों को सामने की ओर फैला कर बैठ जाइए। पैर की अंगुलियों को आगे की ओर दबाइए। पांच सेकंड तक इस दबाव को रोकिए। इसके बाद अंगुलियों को सामान्य कर उन्हें अंदर की ओर दबाएं। अब पांच सेकंड रुकिए, उसके बाद वापस सामान्य स्थिति में आइए। इसके बाद पैर के पंजों को आगे-पीछे दबाइए। दोनों पैरों में थोड़ा अंतर कर पैर की एड़ियों को घड़ी की सुई तथा उसकी विपरीत दिशा में 5-5 बार घुमाइए। अंत में दोनों पैरों को घुटनों से मोड़ कर इनके तलवों को सामने की ओर आपस में सटा कर घुटनों को ऊपर-नीचे घुमाइए। इन सारी क्रियाओं को प्रारम्भ में पांच-पांच बार तथा धीरे-धीरे इन्हें बढ़ा कर 10 से 15 बार तक ले जाइए। 

इसी प्रकार, हाथों को सामने की ओर फैला कर मुट्ठियों को दबाव के साथ खोलिए तथा बंद कीजिए। फिर हथेलियों को आगे और पीछे की ओर प्रेशर के साथ दबाइए। मुट्ठियों को बंद कर कलाइयों को भी घड़ी की सुई तथा उसकी विपरीत दिशा में 5-5 बार घुमाइए। इसके पश्चात हाथों को कंधों की ऊंचाई तक बगल में उठा कर उन्हें कुहनी से मोड़ लीजिए और 5-5 बार घड़ी की सुई और उसकी विपरीत दिशा में घुमाइए। अंत में दोनों हाथों को सीधा कर उन्हें वृत्ताकार आगे और पीछे से 5-5 बार घुमाइए। प्रारम्भ में इन्हें 5-5 बार करें और धीरे-धीरे इनकी आवृत्तियां 10 से 15 तक बढ़ा दें। 

गर्दन को अगल-बगल,आगे-पीछे तथा घड़ी की सुई की दिशा तथा उसकी विपरीत दिशा में वृत्ताकार घुमाइए। प्रारम्भ में इनकी आवृत्तियां 5-5 तथा बाद में धीरे-धीरे 10 से 15 तक बढ़ा कर अभ्यास कीजिए। 

इन आसनों का भी करें अभ्यास 
लगभग एक महीने तक उपयरुक्त सूक्ष्म क्रियाओं का नियमित अभ्यास करने के बाद अभ्यास में ताड़ासन, एक पाद उत्तानासन, पवन मुक्तासन, कन्धरासन, अर्धशलभासन, मकरासन तथा धनुरासन को भी जोड़ लेना चाहिए। इन अभ्यासों को दो महीने तक करने के बाद अपने अभ्यास में सूर्य नमस्कार के चक्रों को क्षमतानुसार जोड़ लें। धीरे-धीरे इसके 5-7 चक्रों का अभ्यास प्रारम्भ कर देना चाहिए। 

आहार 
संतुलित और सुपाच्य आहार लें। चोकर युक्त आटे की रोटी तथा छिलके वाली मूंग की दाल खाएं। हरी सब्जियों में सहिजन, ककड़ी, लौकी, तोरई, पत्ता गोभी, गाजर, आदि का सेवन करें। ऋतु एवं स्थान के अनुसार सारे फल एवं सब्जियां लेनी चाहिए। दूध तथा दूध से बने पदार्थ, जैसे- घी, मक्खन, पनीर, चीज, मैदा से बनी चीजें, मांसाहार आदि का त्याग करें। चीकू, केला, कद्दू, टिण्डा, टमाटर, लहसुन, प्याज, खट्टे फल, उड़द व चना दाल, राजमा, खट्टे खाद्य आदि सभी वायु उत्पन्न करने वाले आहार का त्याग करें। 

विशेष 
-सोने के दो घंटे पूर्व ही भोजन कर लें। 

-प्रतिदिन रोग की स्थिति के अनुसार एक-दो किलोमीटर की सैर करें। 

-अपने दैनिक जीवन में ध्यान, सत्संग और कर्मयोग जरूर जोड़ें। 

-दर्द के स्थान पर गर्म सेंक तथा हल्की मालिश अवश्य करें(कौशल कुमार,हिंदुस्तान,दिल्ली,14.6.12)। 

 गठिया के प्राकृतिक इलाज़ पर एक उपयोगी आलेख यहां है।

10 टिप्‍पणियां:

  1. ...अच्छी जानकारी गठिया वालों के लिए !

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  2. बढ़िया प्रस्तुति ||

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  3. बहुत अच्छी उपयोगी जानकारी !

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  4. योग संयम और संतुलित आहार ... स्वस्थ रहने के नुस्खे आपके ब्लॉग पे बाखूबी हो ... गठिया की अच्छी जानकारी ...

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  5. बहु उपयोगी जानकारी से पूर्ण प्रस्तुति .आभार .

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  6. अच्‍छी जानकारी दी है आपने ... आभार

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  7. इसे कहते हैं --फेरे बिना .
    यानि जितना हिलाते डुलते रहेंगे , उतना ही जोड़ काम करते रहेंगे .

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  8. अब तो घुटनों और अन्य जोड़ों में गठिया के लक्षण प्रकट हो रहे हैं। आपकी पोस्ट उन आसनों की याद दिला गई, जिन्हें हम भूल-से गए थे।

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  9. बेहतर है आसान अभी से शरु कर दें....वरना जाने क्या क्या झेलना पड़े .....

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