चॉकलेट अब हमारी जन्मदिन पार्टियों और त्योहारों का हिस्सा बन गई है। बच्चों, युवाओं और बुजुर्गों को चॉकलेट खाने के लिए लुभाने वाले विज्ञापन टेलीविजन पर छाए रहते हैं। आज भी आम आदमी के मन में चॉकलेट के बारे में बहुत स्पष्ट मत नहीं है कि यह स्वास्थ्य के लिए अच्छी है या बुरी। चॉकलेट में अच्छे और बुरे दोनों ही तरह के गुण होते हैं लेकिन खाने वाले को जानकारी के आधार पर निर्णय लेना चाहिए। इसलिए अपनी चॉकलेट चुनने और खाने से पहले कुछ बातें जानना ज़रूरी है।
फायदे
-जर्मनी के हेनरिच हेन विश्वविद्यालय में चॉकलेट खाने वालों पर एक शोध किया गया। चॉकलेट खाने वालों को छह सप्ताह के लिए पराबैंगनी प्रकाश में जाने को कहा। चॉकलेट खाने वाले वालों की त्वचा इस तरह के प्रकाश से १५ प्रतिशत तक कम प्रभावित हुई। शोध करने वालों का मानना है कि चॉकलेट में पराबैंगनी किरणों से लड़ने वाले तत्व होते हैं।
-जॉर्जटाउन विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने पाया कि स्तन कैंसर की कोशिकाएँ चॉकलेट में पाए जाने वाले फ्लेवेनोल की वजह से बहुगुणित नहीं होती है।
-हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के डॉ. नार्मन होलेनबर्ग का मानना है कि कोको का सेवन करने वालों में हृदयाघात, हृदयरोग, कैंसर और मधुमेह की आशंका १० प्रतिशत तक कम होती है। कोको में एक तत्व पाया जाता है जो नाइट्रिक ऑक्साइड को बढ़ाता है। नाइट्रिक ऑक्साइड रक्त वाहिनियों को फैलाकर रक्त संचार को सुचारू बनाता है।
-ब्रिटेन के नॉटिंघम विश्वविद्यालय में शोधकर्ताओं ने पाया कि फ्लेवेनॉल से भरपूर कोको मस्तिष्क तक रक्त संचार को बेहतर करता है। कोको स्मृतिभ्रंश (डिमेंशिया) और अल्ज़ाइमर्स जैसे मानसिक रोगों में भी फायदेमंद हो सकता है।
-लगातार थकान महसूस करने वालों को डार्क चॉकलेट फायदा पहुँचाती है। शोधार्थियों का मानना है कि यह न्यूरोट्रांसमीटर्स को रेगुलेट करती है और इससे नींद और मूड अच्छा रहता है।
नुक़सान
-ऑस्ट्रेलिया के सिडनी स्थित प्रिंस ऑफ वेल्स हॉस्पिटल के शोधकर्ताओं के अनुसार चॉकलेट खाने से थोड़े समय के लिए भले ही मूड अच्छा हो जाए लेकिन चॉकलेट का असर खत्म होते ही यह फिर बिगड़ सकता है। खराब मूड को अच्छा करने के लिए एक एंटीडिप्रेसेंट टेबलेट खाना ज़्यादा अच्छा है क्योंकि इसकी जगह चॉकलेट बहुत अधिक मात्रा में लेने से ही फायदा होगा।
-चॉकलेट में पाए जाने वाले एक तत्व की वजह से उसका स्वाद हल्का कड़वा रहता है। कई बार चॉकलेट को पसंदीदा बनाने के लिए उसमें से इस तरह के उपयोगी फ्लेवेनोल्स को निकाल दिया जाता है। ज़्यादा मीठी चॉकलेट से दूर रहने में ही भलाई है। दूध वाली चॉकलेट के बजाय डार्क चॉकलेट लेना फायदेमंद होता है। खाना ही हो तो ऐसी चॉकलेट खाएँ जिसमें कोको की मात्रा कम से कम ६० प्रतिशत हो।
-चॉकलेट का एक बड़ा दुर्गुण यह है कि उसमें खूब वसा होती है। चॉकलेट से मिलने वाली उर्जा में ५० प्रतिशत फैट की वजह से होती है। हालाँकि चॉकलेट में तो आधी संतृप्त वसा स्टीअरिक एसिड होती है जो अच्छे कोलेस्टेरॉल को बढ़ाने में मदद करती है और बुरे को कम करती है। चॉकलेट में पाया वसा की मात्रा अधिक होती है।
-बुजुर्ग महिलाओं पर हुए एक अध्ययन में सामने आया कि जो रोज चॉकलेट खाते हैं उनकी हड्डियाँ मजबूत नहीं होती हैं। इसका कारण है कि चॉकलेट में पाया जाने वाले ऑक्सालेट से कैल्शियम का अवशोषण अवरूद्घ होता है।
तो कैसी चॉकलेट खाएँ
कनाडा में प्रति व्यक्ति चॉकलेट की खपत बहुत ज़्यादा है। वहाँ की खानपान की आदत में चॉकलेट शुमार है। चॉकलेट से रक्त में एंटीऑक्सीडेंट की मात्रा बढ़ाती है और कई अन्य फायदे भी हैं लेकिन चॉकलेट का चयन करते वक्त उसके कोको कंटेंट पर ध्यान देना चाहिए। हमेशा ज़्यादा कोको कंटेंट वाली चॉकलेट ही चुनें। इसके अलावा इस बाद का भी ध्यान रखें कि जब चॉकलेट में दूध ज़्यादा हो तो उसके लाभ पहुँचाने वाले गुण समाप्त हो जाते हैं। शोधकर्ता मानते हैं कि ७० प्रतिशत कोको वाली चॉकलेट या डॉर्क चॉकलेट स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होती है लेकिन यह भी ध्यान रहे कि किसी भी चीज़ को एक सीमा में लिया जाए तो ही यह फायदेमंद होती है(सेहत,नई दुनिया,जून द्वितीयांक 2012)।
आज के नवभारत टाइम्स में भी नवभारत टाइम्स ने डार्क चॉकलेट पर प्रकाश डाला हैः
कई स्टडीज बताती हैं कि डार्क चॉकलेट्स से कई हेल्थ बेनेफिट्स हैं। हालांकि इसका मतलब यह नहीं है कि हर डार्क चॉकलेट आपके लिए फायदेमंद होगी। जानते हैं इस बारे में कुछ फैक्ट्स:
चॉकलेट्स हमारी लाइफस्टाइल से इस तरह से जुड़ गई हैं कि इनके बगैर कहीं भी बात नहीं बनती। वैसे भी , रिसर्च बताती हैं कि कोको का प्रॉडक्शन पिछले कुछ दशकों में कई गुना बढ़ चुका है। दरअसल , चॉकलेट्स के हेल्थ बेनेफिट्स के बारे में जानकर हमें इसे खाते हुए कोई गिल्ट-फीलिंग भी नहीं होती। लेकिन यहां कुछ बातों पर गौर करने की जरूरत है।
कोको है इंपॉर्टेंट
गौरतलब है कि फ्लेवेनॉयड्स और फ्लेवेनॉल्स एक तरह के प्लांट मोलिक्यूल्स हैं। ये कलर्ड वेजीटेबल्स , टी , वाइन और चॉकलेट में मौजूद होते हैं। न्यूट्रीशनिस्ट डॉ. सुरभि तोमर बताती हैं कि कोको में एपिकाटेसीन मौजूद होते हैं , जो ब्लड फ्लो को बढ़ाते हैं और हार्ट को हेल्दी रखते हैं।
डार्क चॉकलेट का मेजर इंग्रीडियेंट कोको ही होता है। जाहिर है कि वाइट और मिल्क चॉकलेट में एपिकाटेसीन नहीं होगा। फिर इससे सेहत को भी कोई फायदा नहीं होगा।
फायदे फ्लेवेनॉल्स के
कुछ स्टडीज बताती हैं कि फ्लेवेनॉल्स हार्ट अटैक के रिस्क को 50 पर्सेंट कम कर सकते हैं। वहीं इनसे कोरोनरी डिजीज को 10 पर्सेंट और प्रिमच्योर डेथ को 8 पर्सेंट तक कम किया जा सकता है। यही नहीं , बॉडी मेटाबॉलिक शुगर की हेल्प करके ये डिवेलपिंग डायबिटीज के रिस्क को भी कम कर देती हैं।
इसके अलावा , ये गुड कोलेस्ट्रॉल को बढ़ावा देती हैं और बैड कोलस्ट्रॉल को कम करती हैं। एक रिसर्च यह भी बताती है कि डार्क चॉकलेट को खाने के दो-तीन घंटे बाद ब्रेन का ब्लड सर्कुलेशन बढ़ जाता है।
60 पर्सेंट कोको
एक्सपर्ट्स की मानें तो , डार्क चॉकलेट्स को अपने बेनेफिशल इफेक्ट्स के लिए 60 पर्सेंट कोको चाहिए। यही नहीं , जब इसमें 75-85 पर्सेंट कोको मौजूद होगा , तब यह ज्यादा इफेक्टिव होगा। खास बात यह है कि इस लेवल के कोको के प्रेजेंट होने के बाद चॉकलेट टेस्टी नहीं हो सकती।
दरअसल , डार्क कलर होने भर से डार्क चॉकलेट नहीं बनती। यह कलर तो कोको सॉलिड्स की वजह से आता है , जबकि चॉकलेट में कोको की उतनी क्वॉन्टिटी नहीं होती। चॉकलेट मनुफैक्चर्स फ्लेवेनॉल्स को पहले ही रिमूव कर देते हैं , क्योंकि इसका टेस्ट कड़वा होता है। फिर इस बारे में प्रॉडक्ट पर भी कोई रिटन इंफर्मेशन नहीं होती।
इसकी तरह एंटरऑक्सिडेंट्स भी नहीं के बराबर रह जाते हैं। जाहिर है , अगर आपको फ्लेवेनॉयड्स और फ्लेवेनॉल्स के बेनेफिट्स चाहिए , तो फ्रूट्स , टी और रेड वाइन को अपनी डाइट में शामिल करना होगा।
आज के नवभारत टाइम्स में भी नवभारत टाइम्स ने डार्क चॉकलेट पर प्रकाश डाला हैः
कई स्टडीज बताती हैं कि डार्क चॉकलेट्स से कई हेल्थ बेनेफिट्स हैं। हालांकि इसका मतलब यह नहीं है कि हर डार्क चॉकलेट आपके लिए फायदेमंद होगी। जानते हैं इस बारे में कुछ फैक्ट्स:
चॉकलेट्स हमारी लाइफस्टाइल से इस तरह से जुड़ गई हैं कि इनके बगैर कहीं भी बात नहीं बनती। वैसे भी , रिसर्च बताती हैं कि कोको का प्रॉडक्शन पिछले कुछ दशकों में कई गुना बढ़ चुका है। दरअसल , चॉकलेट्स के हेल्थ बेनेफिट्स के बारे में जानकर हमें इसे खाते हुए कोई गिल्ट-फीलिंग भी नहीं होती। लेकिन यहां कुछ बातों पर गौर करने की जरूरत है।
कोको है इंपॉर्टेंट
गौरतलब है कि फ्लेवेनॉयड्स और फ्लेवेनॉल्स एक तरह के प्लांट मोलिक्यूल्स हैं। ये कलर्ड वेजीटेबल्स , टी , वाइन और चॉकलेट में मौजूद होते हैं। न्यूट्रीशनिस्ट डॉ. सुरभि तोमर बताती हैं कि कोको में एपिकाटेसीन मौजूद होते हैं , जो ब्लड फ्लो को बढ़ाते हैं और हार्ट को हेल्दी रखते हैं।
डार्क चॉकलेट का मेजर इंग्रीडियेंट कोको ही होता है। जाहिर है कि वाइट और मिल्क चॉकलेट में एपिकाटेसीन नहीं होगा। फिर इससे सेहत को भी कोई फायदा नहीं होगा।
फायदे फ्लेवेनॉल्स के
कुछ स्टडीज बताती हैं कि फ्लेवेनॉल्स हार्ट अटैक के रिस्क को 50 पर्सेंट कम कर सकते हैं। वहीं इनसे कोरोनरी डिजीज को 10 पर्सेंट और प्रिमच्योर डेथ को 8 पर्सेंट तक कम किया जा सकता है। यही नहीं , बॉडी मेटाबॉलिक शुगर की हेल्प करके ये डिवेलपिंग डायबिटीज के रिस्क को भी कम कर देती हैं।
इसके अलावा , ये गुड कोलेस्ट्रॉल को बढ़ावा देती हैं और बैड कोलस्ट्रॉल को कम करती हैं। एक रिसर्च यह भी बताती है कि डार्क चॉकलेट को खाने के दो-तीन घंटे बाद ब्रेन का ब्लड सर्कुलेशन बढ़ जाता है।
60 पर्सेंट कोको
एक्सपर्ट्स की मानें तो , डार्क चॉकलेट्स को अपने बेनेफिशल इफेक्ट्स के लिए 60 पर्सेंट कोको चाहिए। यही नहीं , जब इसमें 75-85 पर्सेंट कोको मौजूद होगा , तब यह ज्यादा इफेक्टिव होगा। खास बात यह है कि इस लेवल के कोको के प्रेजेंट होने के बाद चॉकलेट टेस्टी नहीं हो सकती।
दरअसल , डार्क कलर होने भर से डार्क चॉकलेट नहीं बनती। यह कलर तो कोको सॉलिड्स की वजह से आता है , जबकि चॉकलेट में कोको की उतनी क्वॉन्टिटी नहीं होती। चॉकलेट मनुफैक्चर्स फ्लेवेनॉल्स को पहले ही रिमूव कर देते हैं , क्योंकि इसका टेस्ट कड़वा होता है। फिर इस बारे में प्रॉडक्ट पर भी कोई रिटन इंफर्मेशन नहीं होती।
इसकी तरह एंटरऑक्सिडेंट्स भी नहीं के बराबर रह जाते हैं। जाहिर है , अगर आपको फ्लेवेनॉयड्स और फ्लेवेनॉल्स के बेनेफिट्स चाहिए , तो फ्रूट्स , टी और रेड वाइन को अपनी डाइट में शामिल करना होगा।
किसी भी चीज़ को एक सीमा में लिया जाए तो फायदेमंद होता है अन्यथा सेहत के लिये नुकशान देह साबित होता है,
जवाब देंहटाएंकिसी भी चीज के अती होने से नुकसान तो होगा ही .
जवाब देंहटाएं7 C's सफलता के
सार्थकता लिए सटीक प्रस्तुति ...आभार ।
जवाब देंहटाएंचोकलेट के गुण दोषों पर प्रामाणिक और अद्यतन जानकारी मुहैया करवाई है आपने .शुक्रिया .
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया जानकारी .
जवाब देंहटाएंआज ही पढ़ा की चॉकलेट खाने वालों में याददास्त की कमी हो जाती है . वैसे वज़न तो बढ़ता ही है . हालाँकि यह चॉकलेट की मात्र पर भी निर्भर करता है .
हमने तो आज तक चॉकलेट की एक बार पूरी कभी नहीं खाई . :)
अब आइसक्रीम के बाद चोकलेट????
जवाब देंहटाएंक्षमा करें.......
हमने आधी पोस्ट ही पढ़ी .....
यानि सिर्फ फायदे.....
:-)
बिटिया के प्यारभरे मनुहारसे ना नहीं कर पाती
जवाब देंहटाएंवो कहती है ममा चाकलेट सबके लिये अच्छी होती है
वैसे इस लेख को भी ध्यान रखूंगी !
चाकलेट न खाना ही बेहतर है तभी तो भारत ऐसा होगा
जवाब देंहटाएं[im]http://kalptaru.files.wordpress.com/2010/04/optimized-harsh3.jpg[/im]
युनिक तकनीकी ब्लाग
मुझे तो पसंद है,निम्न रक्तचाप के लिए भी शायद फायदेमंद है,इसलिए अक्सर खाता हूँ.
जवाब देंहटाएंचोकलेट पुराण को उसकी सम्पूर्णता में परोस दिया आपने .शुक्रिया आपके उत्साह वर्धक ब्लोगिया दस्तक का भी स्वास्थ्य से जुडी बेहतरीन रपटों का भी .आदाब .
जवाब देंहटाएंइस तरह की पोस्टो की निन्दा करती हूं , पहले ही मोटापे के कारण सब तला भुना चाट कचोरी सब छुटा पड़ा है कभी कदार की आस्क्रिम और चाकलेट ही जीने का सहारा है ऐसी पोस्टे प्रकाशित कर हमें जैसो को और ना डराए अब ये भी ना खाये तो क्या खाये , मांसाहारी है नहीं तो बचता बस घांस पात ही है |
जवाब देंहटाएंआपने इतनी तारीफ कर दी चोकलेट की बस अब तो हर बार यही याद आयेगा कि कुछ मीठा हो जाये.
जवाब देंहटाएंखाएं के साथ-साथ न खाएं पर भी आपने प्रकाश डाला है। हमारे क्षेत्र से बनने वाला मॉर्टन आजकल बाज़ार में दिखता नहीं, सो चॉकलेट खाना बंद ही है। फिर भी यदि खाने की इच्छा हुई तो आपकी सलाह पर ध्यान दिया जाएगा।
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