बच्चों को अधिक है खतरा
कंजंक्टिवाइटिस की समस्या बच्चों में अधिक होती है। इसकी मुख्य वजह है समय पर टीकाकरण नहीं होना, भोजन नहीं करना, खाँसी, निमोनिया, डायरिया, चिकनपॉक्स आदि बीमारियाँ। इनके कारण बच्चों में विटामिन-ए की कमी हो जाती है जिससे बारह साल तक के बच्चे इसकी चपेट में आ जाते हैं। बच्चों को कंजंक्टिवाइटिस की समस्या से बचाने के लिए नियमित विटामिन ए का डोज़ दिया जाना ज़रूरी है। साथ ही हरे-पीले रंग के फल आम, गाजर, दूध, रस व रसीले फल दिए जाना चाहिए। इनसे विटामिन-ए की कमी को पूरा किया जा सकता है और बच्चों को कंजंक्टिवाइटिस की समस्या से बचाया जा सकता है।
घातक हैं घरेलू उपचार
कंजंक्टिवाइटिस से आँखों में अल्सर की समस्या भी हो सकती है। आँख शरीर का महत्वपूर्ण अंग है। इसकी सुरक्षा के प्रति लापरवाही नहीं बरतना चाहिए। किसी भी तरह का घरेलू उपचार नहीं करना चाहिए। आँखों में तकलीफ होने पर चिकित्सक के परामर्शानुसार ही उपचार करना चाहिए। आँखों के लिए घरेलू उपचार घातक साबित हो सकते हैं। सही समय पर उचित इलाज के अभाव में आँखों में अल्सर की समस्या हो जाती है जिससे कई बार आँखों की रोशनी भी चली जाती है(डॉ. के. प्रसाद,सेहत,नई दुनिया,जून द्वितीयांक 20120।
गर्मी और बरसात के संक्रमण में यह बीमारी आम है.ध्यान रखना ज़रूरी है !
जवाब देंहटाएंनेक सलाह ।
जवाब देंहटाएंबहुत ही काम की और जरूरी जानकारी राधारमण जी । सुना है कि मौसम में जब नमी हो तो इस रोग के फ़ैलने का खतरा अधिक बढ जाता है
जवाब देंहटाएंआपकी पोस्ट पर साझा करने वाला बटन क्यों नहीं दिखाई दे रहा है
जवाब देंहटाएंसही कहा . आँख के मामले में लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए . आँखों के स्पेशलिस्ट की सलाह लेना ज़रूरी है .
जवाब देंहटाएंक्या बात है!!
जवाब देंहटाएंआपकी यह ख़ूबसूरत प्रविष्टि कल दिनांक 18-06-2012 को सोमवारीय चर्चामंच-914 पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ
बतौर बचावी चिकित्सा उम्दा पोस्ट .
जवाब देंहटाएंआँखों को हाथों से नहीं छूयेँ.... कंजंक्टिवाइटिस होने की 90 प्रतिशत संभावना खत्म...
जवाब देंहटाएंहो ही जाये तो उपचार केवल "नेत्र विशेषज्ञ" से....
||अपनी शक्ति, अपनी दृष्टि
इससे रौशन सारी सृष्टि||
सादर।
bahut mahatvpurn jankari...
जवाब देंहटाएंबेहद जरूरी जानकारी ... आभार
जवाब देंहटाएंइस पोस्ट के लिए आपका बहुत बहुत आभार - आपकी पोस्ट को शामिल किया गया है 'ब्लॉग बुलेटिन' पर - पधारें - और डालें एक नज़र - बुंदेले हर बोलों के मुंह, हमने सुनी कहानी थी ... ब्लॉग बुलेटिन