कहते हैं कि आँखे मन का झरोखा होती है। अब एक रिसर्च में यह बात सामने आई है कि आँखों के रंग से कई गंभीर त्वचा रोगों का भी पता लगाया जा सकता है।
शोध बताते हैं कि आँखों के रंग से मेलेनोमा (त्वचा का गंभीर कैंसर) होने की आशंकाओं का सतही अनुमान लगाया जा सकता है। इन दोनों ही बीमारियों के लिए आनुवांशिक कारण भी ज़िम्मेदार होते हैं। प्रायः देखा गया है कि नीली आँखों वाले लोगों को सफेद दाग़ होने की आशंका भूरी आँखों वालों की अपेक्षा कम होती है।
कोलाराडो युनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ मेडिसिन के ह्यूमन मेडिकल जेनेटिक्स एंड जेनोमिक्स प्रोग्राम के शोधकर्ता रिचर्ड स्प्रिट्ज़ के मुताबिक सफेद दाग़ और मेलेनोमा दोनों एक-दूसरे के ठीक विपरीत हैं। आनुवांशिक परिवर्तनों के कारण मेलेनोमा से पीड़ित व्यक्ति को सफेद दाग़ और सफेद दाग़ से पीड़ित व्यक्ति को मेलेनोमा होने की आशंका कम होती है। सफेद दाग़ एक ऑटोइम्यून डिसीज़ है जिसमें मरीज़ की प्रतिरक्षा प्रणाली सामान्य पिगमेंट कोशिकाओं पर आक्रमण करने लगती है। इसी वजह से त्वचा पर अलग-अलग स्थानों पर सफेद दाग़ उभरने लगते हैं। सफेद दाग़ से पीड़ित मरीजों में कई और ऑटोइम्यून डिसीज़ जैसे थॉयराइड, टाईप १ डाइबीटिज़, रूमेटॉइड आर्थ्राइटिस आदि की आशंका भी सर्वाधिक होती है। मेलेनोमा एक गंभीर प्रकार का त्वचा का कैंसर है। नेचर जेनेटिक्स में प्रकाशित शोध के अनुसार शोधकर्ताओं ने सफेद दाग़ से पीड़ित ४५० लोगों में मौजूद जीन की तुलना ३२०० ऐसे अमेरिकी लोगों से की जिनके पूर्वज यूरोपियन मूल के नहीं थे।
परिणामों में १३ ऐसे नए जीन सामने आए जो लोगों में सफेद दाग़ के जोखिम बढ़ाते हैं। शोध से यह भी पता चला कि नीली और स्लेटी रंग की आंख वालों में भूरी आंख वालों की अपेक्षा सफेद दाग की आशंका अधिक होती है।
शोध में टैन या भूरी आंख वाले 43 प्रतिशत लोगों की तुलना में,27 प्रतिशत यूरोपीय मूल के अमरीकी लोगों से की गई। इसी तरह,हरी या हेजेल आंख वाले 30 प्रतिशत लोगों की तुलना 22 प्रतिशत यूरोपीय मूल के अमरीकी लोगों से की गई।
शोध में यह भी सामने आया कि जिन लोगों में प्रतिरोधक प्रणाली के असामान्य रूप से कार्य करने की शिकायत होती है,उनमें मेलेनोमा होने का जोखिम घट जाता है। प्रतिरोधक तंत्र का असामान्य रूप से कार्य करना सफेद दाग से जुड़ा है।
यानी,सफेद दाग से प्रभावित किसी भी व्यक्ति में मेलेनोमा की आशंका स्वतः कम हो जाती है। एक ही व्यक्ति के सफेद दाग और मेलेनोमा- दोनों बीमारियों से पीड़ित होने के मामले बेहद दुर्लभ होते हैं। दोनों बीमारियों के कारण एक-दूसरे से बिल्कुल उलट हैं(सेहत,नई दुनिया,जून द्वितीयांक 2012)
बहुत महत्वपूर्ण जानकारी ...
जवाब देंहटाएंआभार ...
अच्छी जानकारी....
जवाब देंहटाएं:-)
आँखें बताती हैं त्वचा रोग का हाल,,,नई जानकारी,
जवाब देंहटाएंRECENT POST ,,,,पर याद छोड़ जायेगें,,,,,
बहुत ही अच्छी प्रस्तुति ... आभार ।
जवाब देंहटाएंशोधकर्ताओं का काम तो शोध में लगे रहना ही है . ज़रूरी नहीं हर शोध काम की भी हो .
जवाब देंहटाएंआँखे सच में मन का झरोखा ही है
जवाब देंहटाएंबहोत अच्छी पोस्ट है
हिन्दी दुनिया ब्लॉग (नया ब्लॉग)
लाभदायक जानकारी
जवाब देंहटाएंयूनिक तकनीकी ब्लाग
बहुतायत से निकाले निष्कर्षों के आधार पर किये गये शोध... 'अनुमान' अधिक 'तथ्य' कम प्रतीत होते हैं.
जवाब देंहटाएंएक प्रश्न :
क्या मेलेनोमा और सफ़ेद दाग की ही तरह 'पीलिया' और 'जुकाम' भी एक-दूसरे के उलट हैं?
बढ़िया प्रस्तुति भाई जी |
जवाब देंहटाएंबधाई स्वीकारें ||
आंखें सबसे बड़ी नियामत हैं, हमारी। इनकी उत्तम तरीक़े से देख भाल करनी चाहिए।
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