रविवार, 3 जून 2012

सफेद दाग एक कॉस्मेटिक समस्या है,बीमारी नहीं

सफेद दाग को लेकर लोगों के मन में तरह-तरह की गलत धारणाएं हैं। सचाई यह है कि हमें-आपको यह बेशक कोई बीमारी लगती हो, डॉक्टरों की निगाह में महज कॉस्मेटिक प्रॉब्लम है। ऐसे में आप अपने मन से दाग निकालिए क्योंकि सफेद दाग वाला शख्स पूरी तरह नॉर्मल है। आइए,जानते हैं सफेद दाग को बढ़ने से रोकने और ठीक करने के लिए विशेषज्ञों के सुझावः 

क्या है सफेद दाग? 
-एक ऑटो-इम्यून डिसऑर्डर है। ऑटो-इम्यून डिसऑर्डर में शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटी) उलटा असर यानी शरीर को ही नुकसान पहुंचाने लगती है। 

-सफेद दाग के मामले में खराब इम्यूनिटी की वजह से शरीर में स्किन का रंग बनाने वाली कोशिकाएं मेलानोसाइट(melanocyte)मरने लगती हैं। इससे शरीर में जगह-जगह उजले धब्बे बन जाते हैं। 

-सफेद दाग को वीटिलिगो, ल्यूकोडर्मा, फुलेरी और श्वेत पात नाम से भी जाना जाता है। 

कितने तरह के सफेद दाग 
शरीर में फैलाव के आधार पर सफेद दाग को नीचे लिखी कैटगरी में बांटा जा सकता है: 

-लिप-टिप: होठों और हाथों के ऊपर 

-फोकल: शरीर में एक-दो जगह पर छोटे-छोटे सफेद दाग 

-सेग्मेंटल: एक पूरे हिस्से में, मिसाल के लिए पूरे हाथ या पांव में सफेद दाग होना 

-जनरलाइज्ड: शरीर के कई हिस्सों में सफेद दाग का फैलना 

क्या हैं लक्षण? 
-जब स्किन का रंग हल्का पड़ना शुरू हो जाए और उस हिस्से के बाल भी सफेद होना शुरू हो जाएं तो समझिए कि यह सफेद दाग है। 

-अगर एक जगह पहले से ही सफेद दाग बन गया हो और उसके बाद कहीं चोट, खरोंच या ठोकर लगती है और वह जगह भी सफेद होने लगे तो मान लेना चाहिए कि सफेद दाग शरीर में तेजी से फैल रहा है। 

-इन सफेद दागों के ऊपर कोई खुजली, दर्द और स्राव (सेक्रिशन) नहीं होता और संवेदनशीलता भी सामान्य रहती है। हालांकि पसीने और ज्यादा गर्मी से जलन पैदा हो सकती है। 

-अगर सफेद दाग बनें, पर उस एरिया की स्किन के बाल काले रहें तो उस स्टेज में इलाज की गुंजाइश ज्यादा और जल्दी होती है। 

इलाज है मुमकिन 
-सफेद दाग न फैले इसके लिए आमतौर पर तीन दवाएं दी जाती हैं: मिनी स्टेरॉयड पल्स(mini steroid pulse), लिवामिसोल(levamisole), एजोरान (Azoran)। मिनी स्टेरॉयड पल्स से हालांकि कई बार वजन बढ़ जाता है। 

-स्किन का रंग वापस लाने के लिए बाबची सीड्स (babchi seeds-8 methody psoralence), एपिफरमल फाइब्रोकास्ट ग्रोथ फैक्टर (epiphermal fibroblast growth factor), कैल्सिन्युरिन इन्हिबिटर ऑइंटमेंट (calcineurin inhibitor ointment), वीक कॉर्टिको स्टेरॉयड क्रीम (weak cortico steroid cream), ऑर्गन प्लैसेंटल एक्सट्रैक्ट क्रीम (organ placental extract cream)। 

-फोटो थेरपी का इस्तेमाल भी कर सकते हैं। इसके तहत सूर्य की किरणों UVA और नैरोबैंड UVB का इस्तेमाल स्किन का रंग फिर से सामान्य बनाने के लिए किया जाता है। इस थेरपी का साइड इफेक्ट यह है कि इसे करते हुए सावधानी न बरती जाए तो स्किन काली पड़ सकती है। 

-यूं यह बीमारी 1000-1500 रुपए महीने के खर्च के हिसाब से ठीक की जा सकती है। ठीक होने में कितना समय लगेगा, यह इस पर निर्भर करता है कि शरीर का कितना भाग प्रभावित है? 

-यह अहम है कि सफेद दाग के असर में आने के बाद कोई शख्स कितनी जल्दी सफेद दाग एक्सपर्ट के पास ट्रीटमेंट के लिए पहुंचता है। लेकिन ऐसा देखा गया है कि अमूमन लोग डॉक्टर के पास तब जाते हैं, जब उनकी शादी-ब्याह की बात चलती है और सफेद दाग की वजह से उनके रिश्ते में अड़चन आती है। सचाई यह है कि जितनी देर से कोई शख्स डॉक्टर के पास जाएगा, इलाज में उतनी ही दिक्कत और देरी होगी। 

नोट: इलाज के दौरान यह बात अहम है कि डॉक्टर सफेद दाग होने के कारण के बारे में पता करे। मिसाल के तौर पर अगर यह ऑटो-इम्यून डिसऑर्डर की वजह से हुआ है तो उस डिसऑर्डर के बेहतर इलाज पर सफेद दाग का इलाज निर्भर करेगा। 

गलतफहमियां और तथ्य 
-यह कैंसरस नहीं है और न ही इसमें जान का कोई खतरा है। 

-सफेद दाग का कोढ़ (लेप्रसी) से भी कोई लेना-देना नहीं है। 

-कुछ लोग इसे सोराइसिस(Psoraisis) भी समझ लेते हैं, जिसमें स्किन पर धब्बे तो बनते हैं, लेकिन वे उजले नहीं, लाल धब्बे होते हैं। इन धब्बों पर सफेद रंग के बुरादे के रूप में जैसे डैंड्रफ झड़ता है, वैसे ही निशान बन जाते हैं। इसलिए लोगों को लगता है कि उन्हें सफेद दाग हो गया है। सोराइसिस और सफेद दाग अलग हैं। 

-कुछ लोगों का शरीर पूरा का पूरा उजला होता है। उसकी वजह यह होती है कि उनके शरीर में रंग बनाने वाले कण (मेलानोसाइट) जन्म से ही पूरी तरह नहीं पाए जाते। ऐसे लोगों को एल्बीनो और उनकी बीमारी को एल्बीनिज्म कहा जाता है। यह बीमारी वंशानुगत और लाइलाज है। 

नोट: सफेद दाग साफ लफ्जों में कहें तो हमारे-आपके नजरिए की बीमारी ज्यादा है, क्योंकि शरीर के स्किन के कुछ हिस्से के सफेद हो जाने से न तो उस शख्स की काम करने की क्षमता पर असर पड़ता है और न ही किसी और तरह की दिक्कत पेश आती है। सफेद दाग से प्रभावित शख्स किसी भी आम इंसान की तरह ही है।

क्यों होता है सफेद दाग? 
सफेद दाग अलग-अलग लोगों में अलग-अलग वजहों से हो सकता है: 

-कुछ लोगों में यह सफेद दाग से पीड़ित पैरंट्स से हो सकता है। हालांकि ऐसे मामले 2 से 4 फीसदी ही होते हैं। 

-बच्चों में यह ज्यादातर क्रॉनिक इन्फेक्शन की वजह से यानी लगातार गला खराब होने, पेट खराब होने और अनीमिया की वजह से होता है। इन बीमारियों के इलाज के लिए दी जाने वाली दवाओं से बॉडी की इम्यूनिटी प्रभावित होती है और ऑटो-इम्यून डिसऑर्डर पैदा होता है। 

-बड़े लोगों में ऑटो-इम्यून डिसऑर्डर की वजह से थाइरॉयड की समस्या पैदा हो सकती है, जिससे सफेद दाग होने की आशंका रहती है। 

-एलोपेशिया एरियाटा (alopecia areata) भी एक ऑटो-इम्यून डिसऑर्डर है, जिसमें सिक्के के रूप में शरीर से बाल जाने लगते हैं। यह भी सफेद दाग की वजह बन सकता है। 

-कुछ मामलों में सफेद दाग मस्से या बर्थ मार्क (halo nevus) की वजह से हो सकता है। मस्सा या बर्थ मार्क बच्चे के बड़े होने के साथ-साथ आसपास की स्किन का रंग खाना शुरू कर देता है। शरीर के एक हिस्से में शुरू होकर यह दूसरे हिस्से पर भी फैल सकता है। 20-30 फीसदी लोगों को सफेद दाग इसी तरह होता है। 

-इसके अलावा केमिकल ल्यूकोडर्मा (chemical leucoderma) भी हो सकता है, खास तौर से उन औरतों में, जो चिपकाने वाली बिंदी का लगातार इस्तेमाल करती हैं। इससे चेहरे पर सफेद दाग होने का खतरा रहता है। दरअसल, खराब क्वॉलिटी की बिंदी में मोनोबंजाइल ईस्टर्स ऑफ हाइड्रोक्यूनोन (monobenzyl esters of hydroquinone) पदार्थ पाया जाता है, जिससे सफेद दाग होता है, इसलिए अच्छी क्वॉलिटी की बिंदी ही लगाएं। इसी तरह हवाई या प्लास्टिक की खराब क्वॉलिटी की चप्पलों से भी पैरों पर सफेद दाग हो सकता है। 

-ज्यादा केमिकल एक्सपोजर यानी प्लास्टिक, रबर या केमिकल फैक्ट्री में काम करने वाले लोगों को सफेद दाग हो सकता है। कीमोथेरपी कराने वाले लोगों में भी सफेद दाग होने की आशंका रहती है। 

जान लें 
-छूने से नहीं फैलता सफेद दाग। 

-चूमने या शारीरिक संबंध बनाने से भी नहीं फैलता। 

-प्राइवेट पार्ट पर सफेद दाग हो तो न तो सेक्सुअल प्लेजर में कमी आती है और न ही पार्टनर को यह बीमारी होती है। 

-खट्टी चीजें ज्यादा खाने या मछली खाने के बाद दूध पीने से सफेद दाग होने की बात को मॉर्डन साइंस गलत और मनगढंत मानता है। 

-सफेद दाग हैं तो तेज केमिकल वाले साबुन और डिटर्जेंट के इस्तेमाल से बचें। साथ ही पर्फ्यूम, डियोड्रंट, हेयर डाई, पेस्टीसाइड को शरीर को सीधे संपर्क में आने से बचाएं। तेज केमिकल एक्सपोजर से सफेद दाग फैलता है। 

झूठे दावों से बचें 
-सफेद दाग का हल्का-सा भी शक हो तो बिना नीम-हकीमी में पड़े किसी सफेद दाग के एक्सपर्ट (वीटिलिगो एक्सपर्ट) से मिलें। सफेद दाग से शर्तिया छुटकारा दिलाने वाले अलीगढ़ से लेकर दिल्ली तक दीवारों पर लिखे तमाम दावे फर्जी हैं। जितनी जल्दी किसी सफेद दाग के एक्सपर्ट के पास जाएंगे, उतनी जल्दी इससे छुटकारा मिलेगा। 

एक्सपर्ट कौन 
वीटिलिगो एक्सपर्ट भी डर्मटॉलजिस्ट या स्किन स्पेशलिस्ट ही होते हैं, लेकिन उनका सफेद दाग के इलाज करने का अनुभव सामान्य स्किन की बीमारियों को ठीक करने वाले डर्मटॉलजिस्ट की तुलना में कहीं ज्यादा होता है और वे मरीज की दिक्कतों का ज्यादा सही आकलन कर पाते हैं। 

माइकल जैक्सन को भी थे सफेद दाग अगर आपको लगता है कि सफेद दाग होने पर निराशा के अलावा कुछ नहीं बचता तो पॉप म्यूजिक के शहंशाह रहे माइकल जैक्सन का उदाहरण आपके सामने है। जी हां, दुनिया पर राज करने वाले माइकल जैक्सन भी इस समस्या से पीड़ित थे। लेकिन इससे उनका मनोबल कम नहीं हुआ और वह पूरी दुनिया पर छा गए। 

जानें नई तकनीकों को 
सफेद दाग के लिए आजकल कुछ नई तकनीकों का इस्तेमाल भी किया जाता है। ये तकनीक हैं: 

सक्शन ब्लिस्टर एपिडरमल ग्राफ्टिंग (Suction blister epidermal grafting) 

-इसमें सफेद दाग से प्रभावित शरीर के छोटे हिस्से को कवर किया जाता है। 

-स्किन को वैक्यूम के जरिए दो भाग में अलग करके जहां सफेद दाग है, वहां ऊपरी भाग को रखा जाता है। 

-ऊपरी भाग के जो रंग बनाने वाले कण (मेलानोसाइट्स) हैं, वे सफेद दाग स्किन के अंदर जाकर सामान्य रंग ले आते हैं। 

मेलानोसाइट इपिडरमल सेल सस्पेंशन (Melanocyte epidermal cell suspension) 
-इसमें बिना किसी टांके-चीरा के सफेद दाग से प्रभावित बड़े हिस्से को कवर किया जाता है। 

-शरीर से सामान्य स्किन के एक छोटे-से टुकड़े को लेकर उसके रंग बनाने वाले कणों को अलग करके उसे तरल पदार्थ में तब्दील किया जाता है। 

-जहां सफेद दाग है, वहां इस लिक्विड को लगा दिया जाता है। इससे सामान्य रंग वापस लौट आता है।

मिलानोसाइट कल्चर (Melanocyte culture) 

-इसके तहत सामान्य स्किन की बायॉप्सी कर उसके एक बहुत छोटे टुकड़े को स्पेशलाइज्ड लैब में कल्चर किया जाता है और उसे सफेद दाग वाली स्किन पर लगाया जाता है। 

प्लैटलेट रिच प्लाज्मा (Platelet rich plasma) 
-इसके तहत शरीर के अंदर ब्लड से प्लाज्मा निकाल कर उसे ट्रीट किया जाता है। इसके बाद शरीर के जिस हिस्से पर सफेद दाग है, वहां इसे इंजेक्ट किया जाता है। 

-दरअसल, प्लाज्मा में स्टेम सेल्स होते हैं, जिससे हमारे शरीर के बाकी सेल्स बनते हैं। ट्रीट किए हुए प्लाज्मा को सफेद दाग प्रभावित हिस्से में इंजेक्ट करने से स्किन का रंग बनाने वाली कोशिकाओं के नए सिरे से बनने की संभावना बढ़ जाती है। 

-यह सबसे लेटेस्ट तकनीक है और इसके अच्छे रिजल्ट आ रहे हैं। इसका कोई साइड इफेक्ट भी नहीं है।

असरदार हैं ये तकनीकें 
-इन तकनीकों के जरिए सफेद दाग पर काबू बहुत कामयाबी से पाया जा सकता है। वहां भी, जहां चमड़ी के नीचे मांस के बिना हड्डियां होती हैं और दवाइयों का असर कम होता है (मसलन उंगलियों पर), ऐसी जगहों पर सफेद दाग पनपने पर उसे दूर करने के लिए यह तकनीक और भी कारगर है। 

-लेकिन इन तकनीकों का फायदा तभी होता है, जब डॉक्टर ऊपर के इलाज यानी दवाइयों और थेरपी के जरिए सफेद दाग को फैलने से रोक लें। दवाइयों के जरिए सफेद दाग को बढ़ने से रोकने में करीब साल भर लग सकता है, इसलिए नई तकनीक से इलाज की शुरुआत के लिए एक साल का यह वक्त बहुत अहम है। 

-इन तकनीकों की खास बात यह है कि इनमें कोई टांका नहीं लगता, न ही डायरेक्ट स्किन ग्राफ्टिंग की जाती है। ये सफेद दाग से प्रभावित शरीर के बड़े हिस्से को भी कम वक्त में कवर कर सकती हैं। 

ध्यान दें 
-इन तमाम ट्रीटमेंट के दौरान डॉक्टर सफेद दाग से प्रभावित शख्स का रूटीन ब्लड टेस्ट करवाते रहते हैं। इसका मकसद यह जानना होता है कि किसी भी ट्रीटमेंट का शरीर पर साइड इफेक्ट तो नहीं हो रहा। यह टेस्ट महीने में एक बार कर लिया जाना चाहिए। 

- अगर किसी शख्स के शरीर के सिर्फ कुछ हिस्से ही नॉर्मल स्किन कलर के रह जाते हैं तो डॉक्टर की सलाह होती है कि पूरे शरीर को वाइट बना दें। अमूमन ऐसा तब किया जाता है, जब सफेद दाग 60 फीसदी से ज्यादा फैल चुका हो। इस स्टेज में नॉर्मल स्किन कलर लौट आने की गुंजाइश कम ही होती है। स्किन को वाइट करने के लिए मोनोबेंजाइल ईस्टर्स ऑफ हाइड्रोक्यूनोन(Monobenzyl esters of hydroquinone) पदार्थ का ही इस्तेमाल किया जाता है, जिससे शरीर में सफेद दाग पनपता है। 

-ऐसा मुमकिन है कि एक बार दवाओं से ठीक होने के बावजूद एक से डेढ़ साल के भीतर सफेद दाग फिर से पनप जाए। लेकिन अगर डेढ़ साल तक सफेद दाग नहीं लौटे तो बहुत हद तक आप इत्मीनान रख सकते हैं कि आपको इनसे छुटकारा मिल गया है। 

-एक बार अगर आप सफेद दाग से छुटकारा पा गए हैं तो यह मान लेना सही नहीं है कि आपकी आनेवाली पीढ़ी को भी इससे छुटकारा मिल गया है। सच तो यह है कि आप अपने जींस(genes) से नहीं लड़ सकते। यही वजह है कि भाई-बहनों में कुछ लोग सफेद दाग से प्रभावित होते हैं, कुछ नहीं। जिनेटिक कारणों से एक या एक से ज्यादा बच्चों को भी उनके पैरंट्स के जरिए सफेद दाग हो सकता है। 

इससे बचें 

प्लास्टिक सर्जरी 
-सफेद दाग को ठीक करने के लिए पहले प्लास्टिक सर्जरी की जाती थी। 

-इसमें स्किन के मिस-मैच होने की आशंका ज्यादा रहती थी। साथ ही, टांकों के निशान रह जाते थे। 

-अगर सफेद दाग से शरीर का ज्यादा बड़ा हिस्सा प्रभावित है, तो प्लास्टिक सर्जरी के जरिए उतने बड़े हिस्से को ट्रीट करना नामुमकिन है। 

-यही वजह है कि प्लास्टिक सर्जरी को आजकल डॉक्टर तवज्जो नहीं देते। 

कलर 
कुछ लोग फौरी तौर पर स्किन कलर भी लगाते हैं। इससे कुछ घंटों के लिए सफेद दाग छिप तो जाते हैं, लेकिन स्किन के पोर्स (छेद) भर जाते हैं। पोर्स बंद होने से मेडिकली सफेद दाग का इलाज करने में दिक्कत आती है। 

टैटूज 
कुछ लोग सफेद दाग पर टैटू बनवाते हैं। टैटू बनवाना अपने आप में बहुत तकलीफदेह प्रॉसेस है। इससे सफेद दाग के आसपास के हिस्से में फैलने की आशंका भी बढ़ जाती है। 

आयुर्वेद 
-आयुर्वेद मानता है कि सफेद दाग उन बीमारियों में से है, जिनके होने के कारणों के बारे अब भी बहुत कुछ पता नहीं किया जा सका है। 

-देश की रक्षा अनुसंधान विकास संस्थान(DRDO) ने सफेद दाग के निदान के लिए आयुर्वेद में रिसर्च को बढ़ावा दिया, जिसका नतीजा है ल्यूकोस्किन (lokoskin)। 

-ल्यूकोस्किन को तैयार करने में जिन जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता है, वे हैं: विषनाग, बाकुची, कौंच, मंडूकपणीर्, अर्क और एलोविरा। 

-ल्यूकोस्किन ओरल लिक्विड और ऑइन्टमेंट, दोनों रूप में मौजूद है। ओरल लिक्विड का फायदा यह है कि इससे नए सफेद दाग नहीं बनते, शरीर की इम्यूनिटी बढ़ती है और स्ट्रेस में कमी आती है, जबकि ऑइन्टमेंट से मौजूदा सफेद दाग ठीक होते हैं। 

-ल्यूकोस्किन के अच्छे नतीजे तीन महीने में दिखने लगते हैं, जबकि पूरी तरह ठीक होने में दो साल तक का वक्त लग सकता है। 

-लिक्विड और ऑइन्टमेंट पर एक महीने का खर्च करीब 700 रुपए बैठता है। 

हिदायतें 
आयुर्वेद मानता है कि सफेद दाग का ठीक होना इस बात पर बहुत हद तक निर्भर करता है कि आप कुछ जरूरी हिदायतों और खान-पान को लेकर सतर्क रहें। आइए जानें कि क्या हैं हिदायतें, जिनसे आप फायदा पा सकते हैं: 

क्या करें  

-तांबे के बर्तन में पानी को 8 घंटे रखने के बाद पीएं। 

-हरी पत्तेदार सब्जियां, गाजर, लौकी, सोयाबीन, दालें ज्यादा खाएं। 

 -पेट में कीड़ा न हो, लीवर दुरुस्त काम करे, इसकी जांच कराएं और डॉक्टर की सलाह के मुताबिक दवा लें। 

 -30 से 50 ग्राम भीगे हुए काले चने और 3 से 4 बादाम हर रोज खाएं। 

 -ताजा गिलोय या एलोविरा जूस पीएं। इससे इम्यूनिटी बढ़ती है। 

क्या न करें  

-खट्टी चीजें जैस नीबू, संतरा, आम, अंगूर, टमाटर, आंवला, अचार, दही, लस्सी, मिर्च, मैदा, उड़द दाल न खाएं। 

-मांसाहार और फास्ट फूड कम खाएं। 

 -सॉफ्ट डिंक्स के सेवन से बचें। 

-तेज केमिकल वाले साबुन और डिटर्जेंट का इस्तेमाल न करें। 

-पर्फ्यूम, डियोड्रेंट, हेयर डाई, पेस्टिसाइड को शरीर को सीधे संपर्क में आने से बचाएं। 

-नमक, मूली और मांस के साथ दूध न पीएं। 

होम्योपैथी  
-एक बार सफेद दाग होने पर इसके फैलने की आशंका बनी रहती है। होम्योपैथी इसलिए इसके सिस्टमैटिक इलाज पर जोर देती है यानी इलाज सही कारण के आधार पर हो और पूरा हो। 

-जान लेना जरूरी है कि इलाज में अमूमन 2 से 3 साल तक का समय लगता है और होम्योपैथी से 100 में से 70 मामलों में सफेद दाग ठीक होते पाया गया है। 

क्या है इलाज 
अगर सफेद दाग ऑटो-इम्यून डिसऑर्डर की वजह से हुआ है तो शरीर के बीमारी से लड़ने की क्षमता को बढ़ाकर इलाज शुरू किया जाता है। ऑटो-इम्यून डिसऑर्डर के कई कारणों में से एक स्ट्रेस और इमोशनल सेट बैक भी हो सकता है। इसके लिए जो दवाइयां दी जाती हैं, वे हैं: 

1. इग्नेशिया-30 (Ignatia-30) 
2. नेट्रम म्यूर-30 (Natrum mur-30) 
3. पल्सेटिल्ला-30 (Pulsatilla-30) 
4. नक्स वॉमिका-30(Nux vomica-30) (खासतौर से स्ट्रेस की वजह से सफेद दाग पनपने पर) 

अगर केमिकल एक्सपोजर से सफेद दाग हुआ है तो ये दवाइयां दी जाती हैं: 
1. सल्फर-30 (Sulphur-30) 
2. आर्सेनिक एल्बम-30(Arsenic album-30) 

अगर यह जिनेटिक कारणों से है तो सिफलिनम-200 (Syphllinum-200) कारगर है। 
-आर्सेनिक सल्फ फ्लेवम-6(Arsenic sulph Flevum-6) ऐसी दवा है, जिसे किसी भी कारण से सफेद दाग होने पर दिया जा सकता है(अनुराग वत्स,नवभारत टाइम्स,दिल्ली,6 मई,2012)।

12 टिप्‍पणियां:

  1. बढ़िया विस्तृत जानकारी . उचित इलाज डॉक्टर की देख रेख में ही किया जा सकता है .

    जवाब देंहटाएं
  2. सफ़ेद दाग पर प्रामाणिक और अभिनव जानकारी आपने विस्तार से मुहैया करवाई है आम औ ख़ास रोगी निरोगी दोनों के लिए समान रूप से उपयोगी .कृपया यहाँ भी पधारें -
    वैकल्पिक रोगोपचार का ज़रिया बनेगी डार्क चोकलेट
    http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/2012/06/blog-post_03.html और यहाँ भी -
    साधन भी प्रस्तुत कर रहा है बाज़ार जीरो साइज़ हो जाने के .
    गत साठ सालों में छ: इंच बढ़ गया है महिलाओं का कटि प्रदेश (waistline),कमर का घेरा
    http://veerubhai1947.blogspot.in/

    लीवर डेमेज की वजह बन रही है पैरासीटामोल (acetaminophen)की ओवर डोज़
    http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/

    http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/

    इस साधारण से उपाय को अपनाइए मोटापा घटाइए ram ram bhai
    रविवार, 3 जून 2012
    http://veerubhai1947.blogspot.in/

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  3. बहुत विस्तार से इसकी जानकारी दी है आपने ... आज कल ये समस्या कुछ अधिक ही हो गयी है ... शुक्रिया ..

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  4. excellent post

    one thing was missed out
    people with leucoderma should avoid direct sunlight and should always walk in shade .

    जवाब देंहटाएं
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    1. जानकारी के लिए शुक्रिया। पुष्टि की जा रही है।

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  5. बड़ी ही महत्वपूर्ण और विस्तृत जानकारी प्रदान करता आलेख....
    सादर आभार।

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत ही भली प्रकार समझाया है पर आज भी इसे मात्र गम्‍भीर व लान्छित बिमारी के रूप मे माना जाता है
    यूनिक तकनीकी ब्‍लाग

    डा0 साहब vinod.tijara@gmail.com पर मेल पर अपना मेल पता देवे।

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत ही भली प्रकार समझाया है पर आज भी इसे मात्र गम्‍भीर व लान्छित बिमारी के रूप मे माना जाता है
    यूनिक तकनीकी ब्‍लाग

    डा0 साहब vinod.tijara@gmail.com पर मेल पर अपना मेल पता देवे।

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  8. बढ़िया विस्तृत जानकारी। मेरे नए पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।

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  9. बेहद अच्छी विस्तृत जानकारी !

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