अब ब्रेन और स्पाइनल कॉर्ड में होने वाली मल्टीपल सिरोसिस का इलाज संभव है। हालांकि, महंगी दवाइयां इस बीमारी के इलाज में रोड़ा साबित हो रही हैं, लेकिन आने वाले समय में इनकी कीमत में कमी आएगी। वैसे, इस बीमारी का इलाज काफी लंबा चलता है और दो-दो वर्ष तक दवाइयां लेनी पड़ती हैं जो काफी महंगी होती हैं। सिर्फ एक महीने की दवाई की कीमत ही 20 से 30 हजार रुपए के बीच होती है।
एम्स में मंगलवार को आयोजित संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए एम्स न्यूरोसाइंस के विभागाध्यक्ष डॉ. एम बिहारी ने यह जानकारी दी। इस अवसर पर डॉ. एमवी पदमा ने कहा कि इस बीमारी की चपेट में आने पर मरीज में अचानक तीव्र गति से कई तरह के बदलाव देखने को मिलते हैं।
यही नहीं, बीमारी की चपेट में आने पर मरीज को लकवा भी मार सकता है और उसकी देखने की क्षमता भी प्रभावित हो सकती है। वैसे, यह बीमारी असामान्य नहीं है, लेकिन चिंता कि बात यह है कि बीमारी की जद में युवा वर्ग के आने की सर्वाधिक आशंका होती है।
इस मौके पर डॉ. रोहित भाटिया ने कहा कि जागरूकता के अभाव के चलते इस बीमारी के मरीज समय पर अस्पताल नहीं पहुंच पाते हैं। चूंकि, बीमारी के कोई सटीक लक्षण नहीं हैं, इसलिए गांवों और छोटे शहरों में इससे पीड़ित मरीजों की पहचान नहीं हो पाती है।
शायद यही वजह है कि गांवों के अपेक्षा शहरों में इस बीमारी के मरीजों की संख्या अधिक है। उन्होंने कहा कि इस बीमारी के लिए जेनेटिक बदलाव, पर्यावरण, शरीर का इम्यून सिस्टम जैसे कई कारण मुख्य रूप से जिम्मेदार होते हैं। डॉ. भाटिया ने कहा कि लाइफ स्टाइल और खान-पान भी इस बीमारी के लिए जिम्मेदार हो सकता है। वैसे, इस क्षेत्र में अभी ओर अध्ययन की जरूरत है।
बीमारी के संबंध में थी भ्रांति
डॉ. पद्मा ने कहा कि 1970 के दशक तक यह भ्रांति थी कि भारत में मल्टीपल सिरोसिस नामक कोई बीमारी नहीं होती है, लेकिन एमआरआई के विकसित प्रारूप के आने के बाद तेजी से इस बीमारी की चपेट में आए मरीज अस्पताल पहुंच रहे हैं।
एम्स में प्रतिदिन औसतन छह-सात मरीज आते हैं। बीमारी के वास्तविक फैलाव की जानकारी के लिए बीते एक वर्ष से इसकी चपेट में आए मरीजों का आंकड़ा संकलित किया जा रहा है। बुधवार को एम्स में इस बीमारी से संबंधित एक कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा, जो पूरी तरह से नि:शुल्क होगा(दैनिक भास्कर,दिल्ली,30.5.12)।
बहुत अच्छी जानकारी ,,,,
जवाब देंहटाएंRESENT POST ,,,, फुहार....: प्यार हो गया है ,,,,,,
डा0 राधारमन जी नई नई जानकारीयो के लिये धन्यवाद। आपका मेल देवे एक जानकारी चाहिये ।
जवाब देंहटाएंअलग अलग भाषांओ मे पढने का विजेट ब्लाग पर