बच्चों की नींद में बिस्तर गीला करने की समस्या को पालक अक्सर समझ नहीं पाते हैं। अधिकतर यह नहीं जानते कि उन्हें इस बारे में क्या करना चाहिए और क्या नहीं। बिस्तर गीला करना बचपन की एक आम समस्या है। विभिन्न अध्ययनों के ज़रिए शोधकर्ता नींद में बिस्तर गीला करनेके कई कारणों को खोज पाए हैं।
हालिया शोध अध्ययन नींद में बिस्तर गीला करने की समस्या व इससे जुड़े भ्रम पर प्रकाश डालता है। इसके नतीजों में बच्चों की इस शर्मिंदगी भरी समस्या के कारणों के साथ ही इसके लिए उपायों के बारे में भी बताया गया है। एलबर्टा विश्वविद्यालय, कनाडा में पीडियाट्रिक यूरोलॉजी के असि. प्रोफेसर डार्सी किडू का मानना है कि इस समस्या से कई भ्रांतियाँ जुड़ी हैं। अधिकतर पालक सोचते हैं कि यह समस्या बच्चों के काबू में होती है, वे चाहें तो इसे नियंत्रित कर सकते हैं। शोधकर्ता डॉ. किडू के मुताबिक पालकों को यह समझना जरूरी है कि बच्चे का इस पर कोई नियंत्रण नहीं होता। बेवजह इस समस्या के लिए बच्चों को डाँटना-फटकारना उचित नहीं है।
कारण
बच्चे की उम्र चाहे जो हो, यदि बिस्तर गीला करने की समस्या के कारण उसका जीवन प्रभावित हो रहा हो तो चिकित्सकीय सलाह की ज़रूरत होती है। बच्चे बिस्तर गीला करने के बाद घबराने लगें या फिर इसके डर से कहीं भी जाने से कतराने लगें तो चिकित्सकीय परामर्श लेना चाहिए। नींद में पेशाब करने का कारण पता करने के लिए सबसे पहले बच्चे की दिन भर की गतिविधियों पर गौर करना ज़रुरी है। ब्लैडर का अधिक सक्रिय होना यदि समस्या का कारण है तो आमतौर पर इसके लक्षण दिन में दिखाई देते हैं जैसे बार-बार पेशाब आना, पेशाब रोक न पाना आदि। हारमोन के स्तर में असंतुलन से मूत्राशय का कार्य प्रभावित हो सकता है। इसके लिए चिकित्सकीय उपचार की आवश्यकता भी हो सकती है,हालांकि नींद में बिस्तर गीला करने वाले अधिकतर बच्चों को दवाओं की ज़रूरत नहीं पड़ती।
उचटी हुई नींद की वजह से भी बच्चा पेशाब आने पर जाग नहीं पाता है। इस शोध के अनुसार,लड़कों के बिस्तर गीला करने की आशंका लड़कियों के मुक़ाबले दोगुना से भी ज़्यादा होती है। यदि बच्चे की मां भी बचपन में इससे प्रभावित रही हो तो उसके बच्चे के बिस्तर गीला करने की आशंका सामान्य के मुक़ाबले साढ़े तीन गुना अधिक होती है। इसके अलावा,तनाव,घर में नए सदस्य का आना,स्थान परिवर्तन या किसी करीबी की मृत्यु होने पर बच्चे अस्थायी रूप से बिस्तर गीला करने लगते हैं,हालांकि यह कारण कम ही ज़िम्मेदार होता है और इससे समस्या अस्थायी रूप से ही होती है। बेडवेटिंग का कारण जानने का दूसरा क़दम है-बच्चे का शारीरिक परीक्षण।
अमेरिका के वेक फॉरेस्ट विश्वविद्यालय के पीडियाट्रिक यूरोलॉजिस्ट स्टीव जे. हॉजेस मानते हैं कि कब्ज़ नींद में बिस्तर गीला करने का एक आम कारण है,लेकिन अक्सर इसे नज़रंदाज़ कर दिया जाता है। कब्ज़ होने पर बड़ी आंत में मल जमा हो जाता है जिससे मूत्राशय पर ज़ोर पड़ता है और बच्चा पेशाब रोक नहीं पाता। अल्ट्रासाउंड या एक्स-रे से इस स्थिति का पता लगाया जा सकता है। हॉजेस के हाल ही में प्रकाशित एक शोधपत्र के अनुसार,नींद में बिस्तर गीला करने वाले हर 5 में से 4 बच्चों की एक्स-रे जांच में कब्ज़ के संकेत दिखाई दिए जबकि 10 में से केवल 1 को इसके लक्षण महसूस हुए थे। कब्ज़ के उपचार के बाद 83 प्रतिशत बच्चों ने तीन महीने के भीतर बिस्तर गीला करना बंद कर दिया।
उपाय
बेड अलार्म : बिस्तर के नम होते ही अलार्म बजना प्रभावी इलाज है। ये विशेष बेड अलार्म बिस्तर पर थोड़ी सी भी नमी होते ही बजने या वाइब्रेट होने लगते हैं। ताज़ा शोध से पता चलता है कि बेड अलार्म का उपयोग करने वाले ६६ प्रतिशत बच्चों ने अगली १४ रातों तक बिस्तर गीला नहीं किया। वहीं कोई भी उपाय न करने पर केवल ४ प्रतिशत बच्चों में ही इस तरह का सुधार हो पाया। अलार्म का उपयोग बंद करने के बाद भी बच्चों में सुधार जारी रहा(सेहत,नई दुनिया,मई तृतीयांक 2012)।
बहुत ही ज्ञानवर्धक जानकारी दी है परन्तु यदि कोई आयुर्वेदिक उपचार और बताते तो लेख और सार्थक हो जाता ।
जवाब देंहटाएंपीसी मे विन्डो 8 डाले यूनिक ब्लाग