गुरुवार, 24 मई 2012

मज़बूत मांसपेशियों के लिए योग

भागदौड़ तथा तनाव भरी जीवन शैली ने हमारे शरीर के जिस तंत्र को सबसे अधिक प्रभावित किया है वह है नाड़ी तंत्र। इसकी कमजोरी से हमारी सोचने की शक्ति, मस्तिष्क, हृदय, शारीरिक ताप, पाचन तंत्र, किडनी, वजन बढ़ने लगता है। योग के नियमित अभ्यास से व्यक्ति जीवन शैली के खतरों से बच सकता है। इसके अभ्यास से व्यक्ति मन एवं भावनाओं पर पूर्ण नियंत्रण स्थापित कर सभी रोगों का सहजता से निदान कर लेता है। इसके लिए प्रमुख यौगिक क्रियाएं निम्न हैं: 

आसन: 
यह नाड़ियों स्नायुओं के तनाव और कड़ेपन को दूर कर शरीर को स्वस्थ बनाता है। इस हेतु सबसे उपयुक्त आसन है- पवनमुक्तासन, मकरआसन, हलासन तथा सर्वागासन। दो-तीन माह के बाद अभ्यास में अपनी क्षमतानुसार नौकासन, मेरुवक्रासन, अर्धमत्स्येन्द्रासन, भूनमनासन, भुजंगासन तथा धनुरासन आदि जोड़ दें। यहां मर्करासन के अभ्यास कि विधि का वर्णन प्रस्तुत है: 

मर्करासन की विधि 
अवस्था-1 
-पीठ के बल लेट जाइए। दोनों हाथों को कंधों की सिधाई में शरीर के अगल-बगल फैला दीजिए। 
-दोनों पैरों को घुटनों से मोड़कर पंजों को जमीन पर रखिए। अब दोनों घुटनों को दांयी ओर जमीन पर ले जाइए तथा सिर को बांयी ओर घुमाइए। 
-थोड़ी देर इस स्थिति में रुककर वापस पूर्व स्थिति में आइए। यही क्रिया दूसरी ओर भी कीजिए। इसकी पांच आवृत्तियों का अभ्यास कीजिए। 

अवस्था-2 
अवस्था 1 के प्रथम निर्देश का यथावत पालन करते हुए दांये पैर को घुटने से मोड़कर इसके तलवे को बांये पैर की जांघ पर रखिए। इस पैर के घुटने को बांयी ओर जमीन पर ले जाइए तथा सिर को दांयी ओर घुमाइए। इस अवस्था में आरमदेह अवधि तक रुककर वापस पूर्व स्थिति में आइए और यही क्रिया दूसरी ओर भी कीजिए। इसकी जांच आवृत्तियों का ठीक तरह अभ्यास कीजिए। 

अवस्था-3 
अवस्था-1 के प्रथम निर्देश का यथावत पालन करते हुए दायें पैर को 90 डिग्री तक ऊपर उठाकर बांये हाथ की ओर ले आइए तथा सिर को दांयी ओर ले जाइए। इस स्थिति में आरामदायक अवधि तक रुककर वापस स्थिति में आइए तथा यही क्रिया दूसरी ओर कीजिए। 

प्राणायाम 
नाड़ी को सशक्त करने के लिए सर्वश्रेष्ठ प्राणायाम है- नाड़ीशोधन तथा उज्जायी। जिन्हें हृदय रोग तथा उच्च रक्तचाप की शिकायत न हो वे अभ्यास में कपालभाति जोड़ सकते हैं। लगभग पांच से दस मिनट तक इसका अभ्यास प्रतिदिन करें। 

ध्यान एवं शिथिलीकरण 
मानसिक तनाव, चिंता, अवसाद आदि नाड़ी तंत्र की रुग्णता के सबसे प्रमुख कारण है। ध्यान एवं शिथिलीकरण क्रिया इन समस्याओं को दूर करने की बेजोड़ तकनीक है। यदि नियमित रूप से दस-पन्द्रह मिनट तक इसका अभ्यास किया जाए तो व्यक्ति विभिन्न परेशानियों से बच सकता है। 

आहार 
सादा, संतुलित और प्राकृतिक आहार लें। मौसमी फल और सब्जियों का भरपूर मात्र में सेवन करें। चोकर सहित आटे का प्रयोग करें(कौशल कुमार,हिंदुस्तान,दिल्ली,16.5.12)।

11 टिप्‍पणियां:

  1. बढ़िया प्रस्तुति ।

    आभार ।।

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  2. नए दौर में योग को जन सामान्य के लिए उपयोगी बनाया जा रहा है, यह अच्छा है।

    http://ahsaskiparten.blogspot.in/
    बुराई क्या है और बुराई को मिटाने के लिए कोई अपनी जान क्यों गवांए ? Evil

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  3. योग की अच्छी जानकारी ... आहार सम्बन्धी जानकारी सच में लाभकारी है... आजमा के देखा है मैंने ...

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  4. सार्थक,योग की अच्छी जानकारी देती पोस्ट,.....

    MY RECENT POST,,,,,काव्यान्जलि,,,,,सुनहरा कल,,,,,

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  5. बहुत अच्छी पोस्ट !

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  6. योग की बहुत सरल और अच्छी लाभप्रद जानकारी

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  7. बेनामीमई 26, 2012

    thanks for valuable information

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