सूरज जलाने को तैयार..लू झुलसाने को! खानपान में जरा-सी लापरवाही से उल्टी-दस्त लग जाते हैं। कैसे बचें इस मौसम में पांच खास बीमारियों के प्रहार से,जानते हैं विशेषज्ञों की सलाहः
त्वचा को बचाइए..
आजकल जैसी धूप है, उससे त्वचा का झुलसना बहुत आम बात है। आप इसे टैनिंग कह सकते हैं या फिर सनबर्न भी। इसमें आपकी त्वचा का रंग काला पड़ने लगता है। गर्मी के इन दिनों में सबसे अधिक टैनिंग होती है। त्वचा विशेषज्ञ डॉक्टर शेहला अग्रवाल कहती हैं, ‘त्वचा को धूप से काफी नुकसान हो सकता है। खासकर 18 साल से कम उम्र के बच्चों को तो और अधिक, क्योंकि इस उम्र में यदि सनबर्न हो गया है तो बाद में उसे स्किन कैंसर में तब्दील होने की आशंका कई गुना बढ़ जाती हैं।’ इसके अलावा गर्मी से लोगों को पिंपल की समस्या होती है। दरअसल इस मौसम में उमस, पसीना, डेड स्किन सेल्स मिलकर ब्लैकहेड्स को बढ़ावा देते हैं जिससे पिंपल्स होने लगते हैं। इसके अलावा घमौरियां बड़ी आम समस्या है। पसीना इसकी बड़ी वजह है। डेड सेल बढ़ने से त्वचा के रोमछिद्र बंद हो जाते हैं जिससे घमौरियां होती हैं या फिर लाल रंग के चकत्ते हो जाते हैं।
बचाव के उपाय
सनबर्न से निपटने के लिए आप तेज धूप में अधिक देर तक न रहें और दिन में कैलेमाइन लोशन का प्रयोग करें। पिंपल्स से बचने के लिए साफ-सफाई का ध्यान रखें। दिन में दो या तीन बार चेहरे को साफ पानी से अवश्य धो लें। इसके अलावा आप चेहरे से तेल सोखने के लिए किसी फेसपैक का यूज कर सकते हैं। खूब पानी पीएं और विटामिन ए का सेवन करें। घमौरियों के लिए ठंडे पानी से दिन में दो बार स्नान करें, ढीले कपड़े पहनें, स्नान के बाद टेलकम पाउडर लगाएं।
कहीं हो न जाए पेट खराब..
यही मौसम है जब सबसे ज्यादा पेट खराब होता है। बाहर का खानपान और अशुद्ध पानी इसके लिए जिम्मेदार हैं। इस मौसम में उल्टी, दस्त, डायरिया, इन्फेक्शन की शिकायतें तेजी से बढ़ती हैं। डॉक्टर्स कहते हैं कि गर्मी में बैक्टीरिया तेजी से पनपते हैं और इसलिए पानी को उबालकर पीने की सलाह दी जाती है। हालांकि कुछ खास तरह के टॉक्सिन नष्ट नहीं होते और ये दूध व नॉन-वेजीटेरियरन पदार्थों में पाए जाते हैं। इसलिए इनके सेवन में सावधानी बरतनी चाहिए।
तो रहेंगे बीमारी से दूर
बाहर का खाना कम खाएं। अधिक तला-भुना खाना सेहत को खराब कर सकता है। लो-कैलोरी भोजन का सेवन करें। ज्यादा पेट भर खाना न खाएं और न ही देर तक बना खुले में रखा भोजन करें। पानी की अधिकता वाले फलों का सेवन करें। दही अवश्य खाएं, यह पेट को ठंडा रखता है।
आंखों का ध्यान रखिए..
आंखें काफी कोमल होती हैं और इन्हें विशेष देखभाल की जरूरत है। गर्मियों में अक्सर धूल भरी आंधी चलने से या फिर तेज धूप से आंखों पर भी असर पड़ता है। सूर्य की अल्ट्रावायलेट किरणें भी काफी नुकसानदेह होती हैं आंखों के लिए। अक्सर इस मौसम में लोग आंख लाल होने, उसके आसपास फोड़े होने, एलर्जी, सूजन, पानी बहना जैसी समस्याओं की शिकायत करते हैं। मेडफार्ट हॉस्पिटल में आंख के विशेषज्ञ डॉक्टर त्यागमूर्ति शर्मा कहते हैं, ‘गर्मियों में आंखों की शिकायतें बढ़ जाती हैं। हर किसी को धूप में निकलने से पहले अच्छे सनग्लासेज का यूज करना चाहिए।’ स्विमिंग पूल के पानी में मिलाई गई क्लोरीन से भी आंखों में इन्फेक्शन होने का खतरा बढ़ जाता है।
ऐसे मुस्कुराएंगी आंखें
धूप में चश्मा पहनकर बाहर निकलें। खूब पानी पिएं, इससे आंखों में सूखापन नहीं होगा और सूजन भी नहीं होगी। दिन में चार से पांच बार आंखों को पानी से अवश्य धोएं। पानी के तेज-तेज छीटें आंखों में मारें। आंखों की नार्मल आई-ड्राप्स अपने पास रखें, जिसे सप्ताह में एक या दो बार डाल लें।
नाक को बचाकर रखें..
अत्यधिक गर्मी की वजह से नाक से खून निकलने की समस्या होती है। इसे नकसीर कहते हैं। ऐसा कई कारणों से हो सकता है। शरीर अत्यधिक गर्मी को बर्दाश्त नहीं कर पाता तो भी ऐसा होता है। बच्चों में इस तरह की समस्या होने की संभावना अधिक होती है इसलिए उन्हें बचाकर रखने की अधिक आवश्यकता है। चेहरे को कई बार पानी से धोएं। ज्यादा गर्मी हो तो नाक सहित चेहरे पर बर्फ लगाएं। जूस-पानी ज्यादा पिएं। तनाव से बचें क्योंकि तनाव इस समस्या को अधिक बढ़ा देता है।
डीहाइड्रेशन की समस्या..
गर्मी में पानी की कमी से त्वचा रूखी पड़ जाती है जिसे डीहाइड्रेशन कहा जाता है। सबसे ज्यादा लोग इसी बीमारी की वजह से अस्पतालों में भती होते हैं। गुड़गांव के आर्टिमिस हॉस्पिटल के डॉक्टर प्रवीण गुप्ता के अनुसार, ‘डीहाइड्रेशन में कई लोगों को सांस लेने में दिक्कत, सिर दर्द, चक्कर आना जैसी समस्याएं होने लगती हैं।’
ऐसा करें तो बचे रहेंगे
खूब सारा पानी पिएं। गर्मी में अधिक पसीना आने के कारण पानी की मात्र दोगुनी कर दें। ज्यादा देर तक प्यासे न रहें। डॉक्टर रोज 8 लीटर पानी पीने की सलाह देते हैं। गुनगुने पानी में नींबू मिलाकर खाली पेट पिएं। ज्यादा गर्म भोजन न करें। शराब से दूर रहें। कैफीन युक्त पदार्थो जैसे चाय, कॉफी का सेवन कम से कम करें।
आर्युवेद अपनाएं, गर्मी भगाएं
त्वचा
त्वचा से सबंधित समस्याओं के लिए गुलाब की पंखुड़ी (100 ग्राम), मुलतानी मिट्टी (100 ग्राम), हल्दी पाउडर (25 ग्राम) और चंदन पाउडर (50 ग्राम) में थोड़ा पानी डालकर पेस्ट बना लें। और फिर लगाएं। इसे 15 से 20 मिनट तक सूखने दें, फिर धो डालें। इसे हर रोज लगा सकते हैं। बच्चों के लिए हल्दी की जगह बेसन मिला सकते हैं। अगर फोड़े-फुंसी हो गए हैं तो हल्दी के अलावा नीम के पत्ते भी पीसकर मिला दें। पानी खूब पिएं और मौसमी फलों का सेवन करें।
पेट
पेट को ठीक रखने के लिए बेल का मुरब्बा खाएं। हफ्ते में एक बार ईसबगोल को दही में मिलाकर दिन के समय सेवन करें। अगर रात में लेना है तो दूध के साथ लें। शरीर में नमक की कमी न होने दें।
आंख
आंख के लिए गुलाबजल का प्रयोग करें। आंख में इसे नियमित तौर पर डालते रहें। खाने में अमलती रसायन लें। इसका आधा चम्मच दूध के साथ दिन में एक बार सेवन करें।
नाक
नाक में सरसों के तेल की कुछ बूंदें डालें। इसे हफ्ते में एक या दो बार डाल सकते हैं। तेल के अलावा आप गाय के घी का प्रयोग भी कर सकते हैं। मुलतानी मिट्टी सूंघने से भी आराम मिलेगा।
डीहाइड्रेशन
डीहाइड्रेशन से बचने के लिए नारियल का पानी खूब पिएं। नमक-चीनी का घोल मिलाकर पिएं। रसदार फल व तरल पदार्थ अधिक लें।
गर्मी से बचाव
दो-तीन बार शिकंजी पिलाएं
बच्चों की मासूम त्वचा और कोमल शरीर इस गर्मी का सामना नहीं कर सकते। बच्चों की देखभाल के कुछ टिप्स दे रहे हैं सर गंगाराम अस्पताल के डॉ. कृष्ण चुघः
बच्चे मासूम और कोमल होते हैं। इस कारण गर्मी उन्हें और अधिक परेशान करती है। इस मौसम में बच्चों में पेट की गड़बड़ियां आम होने लगती हैं जिनमें डायरिया, कॉलरा और फूड पॉइजनिंग की समस्या प्रमुखता से शामिल है। इनकी वजह से डीहाइड्रेशन की समस्या होने लगती है। इसके साथ शरीर का इलेक्ट्रोलाइट असंतुलित हो जाता है यानी शरीर में सोडियम, पोटैशियम और क्लोरीन का संतुलन बिगड़ सकता है। इस स्थिति में बच्चे की जान भी जा सकती है।
टायफायड भी इस मौसम की आम समस्या है, क्योंकि इसके कीटाणुओं को पनपने के लिए यह अनुकूल मौसम होता है। इस कारण इस मौसम में खाने-पीने की चीजें ज्यादा खराब होती हैं। खासकर कटी हुई चीजें या कम पका हुआ और खुले में रखा हुआ खाना बच्चे को न दें। खाना परोसते समय ग्लव्स भी पहनें, क्योंकि आपके नाखूनों में भी बीमारी के कीटाणु हो सकते हैं। ग्लव्स बदलते रहें।
त्वचा संक्रमण की समस्या इस मौसम में बढ़ जाती है। कई बार मच्छर के काटे हुए खरोचे पर बनने वाली फुंसी को बच्चा नाखून से खुरच देता है। उन्हें ऐसा न करने दें क्योंकि यह फुंसी गंभीर घाव में बदल सकता है। ऐसी फुंसी पर एंटीबायोटिक क्रीम लगा दें।
चेहरे, माथे आदि शरीर के काफी संवेदनशील हिस्से हैं, क्योंकि ये ब्रेन के पास होते हैं। ऐसी जगह फुंसी या दाने हो जाएं तो डॉक्टर की सलाह से पीने वाला एंटीबायोटिक दें।
पेट में कीड़े अधिक बनते हैं जो बच्चे का खाया हुआ खाना खा जाते हैं। डॉक्टर से मिलें जो कीड़े को नियंत्रित करने वाली दवा देंगे।
इस मौसम में बच्चों को दिन में घर से बाहर जाने से रोकें। उसे बार-बार पानी देते रहें। दिनभर में दो-तीन बार नमक, चीनी और नींबू से बना शिकंजी भी देते रहें। अगर वह लगातार दो घंटे से अधिक खेलता है तो उसे शिकंजी जरूर दें। एक बार शाम में खेलने के लिए भेजने से पहले भी उसे शिकंजी दें।
अभी स्कूल खुले हैं। बच्चों को स्कूल जाते समय दूध या फ्रूट जूस जरूर दें। स्कूल के लिए कटे फल के बजाय संतरा, नारंगी जैसे छोटे फल रख दें(आरती मिश्रा,हिंदुस्तान,दिल्ली,16.5.12)।
बहुत लाभदायक.आभार.
जवाब देंहटाएंये पोस्ट काफी पहले दे देनी चाहिये । इससे काफी लाभ मिल सकेगा
जवाब देंहटाएंकम्प्यूटर तकनीकी जानकार
बेटी की बी टेक सेकण्ड इयर का एक्जाम है आज |
जवाब देंहटाएंकल से दस्त हो रहे थे-
आवश्यक है बचाव / उपाय |
बहुत ही ज्ञानवर्धक जानकारी ...आभार ।
जवाब देंहटाएंगर्मी में उल्टी-दस्त से बचाव के लिये उपयोगी पोस्ट ,,,,,,
जवाब देंहटाएंअच्छी जानकारियां दी हैं .
जवाब देंहटाएंबचाव ही बेहतर है .
बहुत सुन्दर और सार्थक विस्तार युक्त प्रस्तुति .आभार .
जवाब देंहटाएंसमय उपयोगी सुन्दर जानकारी.
जवाब देंहटाएंराधारमण जी नमस्कार
जवाब देंहटाएंपूर्व में हुई चर्चा के अनुसार आपके ब्लॉग के लेख हम अपने दैनिक समाचार पत्र भास्कर भूमि में प्रकाशित कर रहे हैं। समाचार पत्र की प्रतियां भेजने के लिए कृपया अपना पता देने की कृपा करें। आपके लेख भास्कर भूमि में प्रकाशित किये जा रहे हंै अत: आप हमारी वेब साइट पर ई- पेपर में देख सकते है
हमारे शहर में तो आजकल भीषण गरमी चल रही है
जवाब देंहटाएंऐसे में अच्छी जानकारी आभार !
bahot achhe
जवाब देंहटाएंHindiXpress
किसी भी ब्राउजर से आपका लिंक खोलने की कोशिश करने पर यही लिखा आता हैः
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ऐक ज़रूरी जानकारी कुत्ते और गीदर के काटने पर उसे कभी भी नज़र अंदाज़ न करें हो सके तो फ़ौरन उसका ईलाज करें ईलाज ना करने की वजह से कभी भी हड़क उठ सकती है । और इंसान या पालतू जानवर जिसके भी काटा हो मर सकता है। और अगर ईलाज के लिये पैसे न हों तो आप बेफ़िक्र होकर हमारे पास चले आइये। या हमसे बात कीजिये।
जवाब देंहटाएंहमारे यहाँ सभी ज़हरीले जानवरों, कीड़े-मकोड़ों का ईलाज एकदम फ्री किया जाता है। हमारा कोन्टेक्ट और वहटसप नंबर है।
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