पैन्सिल्वेनिया अमेरिका में पैन स्टेट्स कॉलेज ऑफ मेडिसिन में हुए एक शोध अध्ययन से मालूम हुआ है कि तनाव ग्रस्त होने पर महिलाओं में हृदय की ओर रक्त का प्रवाह नहीं बढ़ता है। इसी शोध अध्ययन से पता चला है कि महिलाओं के हृदय को मानसिक तनाव का सामना करना पुरुषों के मुकाबले अधिक मुश्किल हो सकता है।
अध्ययन के दौरान महिलाओं और पुरुषों को गणित का एक कठिन सवाल हल करने के लिए दिया गया। जैसा कि सोचा गया था, सवाल को हल करते हुए सभी का रक्तचाप और दिल धड़कने की गति दोनों बढ़ गए थे। आमतौर पर दिल धड़कने की गति और रक्तचाप के बढ़ने पर हृदय की ओर रक्त का संचार बढ़ जाता है। इससे हृदय को अधिक कार्य करने में मदद मिलती है। शोध के दौरान सभी महिलाएँ और पुरुष तनाव में काम कर रहे थे, उनके हृदय पर भी कार्यभार बढ़ गया था। इस दौरान पुरुषों की तरह महिलाओं के हृदय की ओर रक्त का प्रवाह नहीं बढ़ा था। जाहिर है कि रक्त का प्रवाह कम होने से जोखिम अधिक हो जाता है। इससे पता चलता है कि भावनात्मक तौर पर परेशान होने से महिलाओं में हृदय की समस्या होने की आशंका अधिक होती है।
मानसिक तनाव और हृदय
शोधकर्ताओं ने गणित की यह समस्या ९ पुरुषों और ८ महिलाओं को दी। ये सभी स्वस्थ थे और सभी की उम्र २० वर्ष के आसपास थी। इन सभी का रक्तचाप और दिल की धड़कन की गति नापी गई थी। हृदय की मांसपेशियों की ओर रक्त की आपूर्ति नापने के लिए विशेष अल्ट्रासाउंड का उपयोग किया गया। शोध के दौरान, इसके पहले और बाद में हुए परिवर्तनों को नापा गया था।
मानसिक तनाव को बढ़ाने के लिए शोधकर्ताओं ने उन्हें फटाफट समस्या हल करने के लिए कहा। उत्तर सही होने पर भी उन्होंने कई बार इसे ग़लत बताया। सवाल हल करने से पहले महिलाओं और पुरुषों में तीनों जाँचों का परिणाम एक जैसा ही था। एक बार तनाव बढ़ जाने के बाद पुरुषों के हृदय की ओर रक्त का प्रवाह बढ़ जाता था वहीं महिलाओं में ऐसा नहीं हुआ।
शोधकर्ताओं का मानना है कि तनाव सभी के लिए हानिकारक है, इससे दूर रहने के प्रयास सभी को करने चाहिए लेकिन महिलाओं के इस संबंध में अधिक सर्तक रहने की ज़रुरत है। जो महिलाएँ तनावपूर्ण स्थिति में हृदय संबंधी समस्या के लक्षण महसूस करती हैं उन्हें इस बारे में चिकित्सक से परामर्श ज़रुर लेना चाहिए।
ये करें तनाव-मुक्ति के लिए
-तनाव हर व्यक्ति के लिए नुकसानप्रद होता है, विशेषकर गर्भवती महिलाओं के लिए ये बेहद हानकारक है क्योंकि इससे उसके साथ ही भ्रूण पर भी नकारात्मक असर पड़ता है। तनाव को नियंत्रित न करने पर महिला को उच्च रक्तचाप, अपच या रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने जैसी समस्या हो सकती है। फलस्वरुप गर्भस्थ शिशु गंभीर रुप से प्रभावित हो सकता है।
-पौष्टिक आहार लें। थोड़ी-थोड़ी मात्रा में बार-बार खाएँ। यह रक्त में शर्करा का स्तर नियंत्रित करने में सहायक होता है।
-समय-समय पर पानी पीते रहें ताकि निर्जलीकरण न हो।
-नियमित व्यायाम करें। व्यायाम से दिमाग़ में तनाव को कम करने वाले रसायन स्रावित होते हैं। योग,ध्यान या फिर मन को सुकून देने वाली कोई और गतिविधि केरं।
-पसंदीदा खुशबुओं के साथ अरोमा बाथ लेने से राहत मिल सकती है।
-रचनात्मक कार्यों में समय बिताना तनाव-मुक्ति के सबसे बढ़िया उपायों में से है। इस दौरान आपका दिमाग़ नई रचना की ओर केंद्रित होता है.इसलिए परेशानी से दूर हट जाता है। इन कार्यों को करते हुए दिमाग़ का हल खोजने वाला हिस्सा सक्रिय हो जाता है। भले ही आपका ध्यान इस ओर न हो,लेकिन आपका दिमाग़ समस्य का हल खोज रहा होता है। यानी,आपका तनाव अपने आप कम हो जाता है(सेहत,नई दुनिया,मई द्वितीयांक 2012)।
बहुत बढ़िया विषय ।
जवाब देंहटाएंसटीक उपाय ।
आभार भाई जी ।
जीवित रचनाएं रचें, संस्कार से साज ।
हटाएंवर्ष बीस-पच्चीस में, निपटाएं सब काज ।
निपटाएं सब काज, फ्री होकर के बैंठी ।
मियाँ निखट्टू पास, रहें दिनभर वो ऐंठी ।
उनका टेंसन एक, मियां दिन मस्त बिताये ।
दिल बेहद मजबूत, सदा मनवा भरमाये ।।
आपकी रचना बेहतरीन है।
जवाब देंहटाएंआपकी इस उत्कृष्ठ प्रविष्टि की चर्चा कल मंगल वार १५ /५/१२ को राजेश कुमारी द्वारा चर्चा मंच पर की जायेगी |
जवाब देंहटाएंअच्छी जानकारी आभार !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर उपयोगी जानकारी,......
जवाब देंहटाएंMY RECENT POST काव्यान्जलि ...: बेटी,,,,,
informative
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