एक अध्ययन ने उजागर किया है कि मलेरिया से मरने वालों का जो पहले अनुमान लगाया गया था उससे दो गुना मरीज़ मर रहे हैं। मलेरिया फैलाने वाला मच्छर एक ऐसा हत्यारा है जो बच्चों और बड़ों के साथ ग़रीब और अमीर के बीच भेद नहीं करता। इस अध्ययन ने इस मान्यता को भी चुनौती दी है कि केवल ० से ५ साल तक के बच्चे ही मलेरिया की चपेट में आते हैं। यह एक ऐसी बीमारी है जिसकी रोकथाम की जा सकती है।
शोध अध्ययन के मुताबिक वर्ष २०१० में मलेरिया से पूरे विश्व में १२ लाख से भी अधिक लोग मर चुके हैं। मलेरिया के संक्रमित परजीवी मच्छर के जरिए संक्रमण एक से दूसरे तक फैलता है। राष्ट्रीय मलेरिया अनुसंधान संस्थान ने मलेरिया के रोग परीक्षण, निदान एवं इलाज के लिए एक गाइडलाइन जारी की है।
क्या हैं लक्षण
- नाक बहना, खाँसी तथा श्वास संबंधी अन्य परेशानियाँ होना
-पेशाब में जलन होना तथा पेडू के निचले हिस्से में तीखा दर्द उठना। दस्त /पेचिश होना।
-पेशाब में जलन होना तथा पेडू के निचले हिस्से में तीखा दर्द उठना। दस्त /पेचिश होना।
-त्वचा पर चकत्ते होना या कोई संक्रमण होना।
-ज़ख्म होकर मवाद पड़ना।
- जोड़ों का सूजना और दर्द होना।
- कानों में से मैल का रिसाव होना।
- कानों में से मैल का रिसाव होना।
निदान
रक्त पट्टिकाओं का माइक्रोस्कोप से परीक्षण करना मलेरिया के निदान का सर्वश्रेष्ठ एवं मानक परीक्षण माना जाता है। माइक्रोस्कोप का फायदा यह है कि मलेरिया के परजीवी रोगाणु अगर कम घनत्व में भी हों तो इसकी पकड़ में आ जाते हैं।
रैपिड डायग्नोस्टिक टेस्ट
इस टेस्ट से तत्काल सुनिश्चित नतीजा निकल आता है। कई बार फील्ड से लैब तक सैंपल पहुँचाने में वक्त लग जाता है। इस टेस्ट से मलेरिया का इलाज जल्दी शुरु किया जा सकता है। मलेरिया के संक्रमण की जाँच इसलिए ज़रूरी है क्योंकि इसके बाद मरीज़ का पूर्णतः इलाज आसान हो जाता है। इसके अलावा मरीज़ को मलेरिया की अन्य जटिलताओं से मुक्त किया जा सकता है। चूँकि मलेरिया का संक्रमण मच्छरों के ज़रिए एक से दूसरे तक पहुँचता है इसलिए संक्रमित मरीज़ का इलाज तुरंत शुरु कर के मलेरिया के संक्रमण को फैलने से रोका जा सकता है। परीक्षण और जाँचों से इस नतीजे तक भी पहुँच सकते हैं कि मरीज़ के शरीर में संक्रमण ने दवाओँ के प्रति प्रतिरोधक शक्ति तो विकसित नहीं कर ली है।
इलाज
क्लोरोक्वीन या कुनैन की गोलियों का पूरा कोर्स करने से मलेरिया से मुक्ति मिल जाती है। कुछ मरीज़ों को कुनैन की गोलियों का एक समय अंतराल के बाद पुनः कोर्स कराया जाता है। कुनैन की गोलियों का सेवन खुद अपने मन से अथवा केवल केमिस्ट के कहने पर न करें। गर्भवती महिलाओं को मलेरिया होने की दशा में अपने चिकित्सक की सलाह से इलाज कराना चाहिए(डॉ. अनिल भदौरिया,सेहत,नई दुनिया,अप्रैल तृतीयांक 2012)।
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