बुधवार, 25 अप्रैल 2012

कुत्ते ही नहीं,अन्य जानवरों के काटने को भी गंभीरता से लें

हम लोग सिर्फ इंसानों के बीच नहीं रहते। ऐसे कई जानवर भी हैं , जो हमारे घर के दायरे और उससे बाहर आबाद हैं। बहुत - से जानवरों को तो हम बाकायदा पालते हैं। लेकिन बिल्कुल आंखों के सामने रहने वाले ये जानवर हमारे लिए खतरा भी साबित हो सकते हैं। कुत्ता , बिल्ली , बंदर , सांप , छिपकली से लेकर छोटे - बड़े कीड़े के काटने / डसने पर अगर हम सही वक्त पर सही इलाज न कराएं तो जान से भी हाथ धोना पड़ सकता है। इन जानवरों के काटने पर इलाज क्या है , एक्सपर्ट्स से बात कर जानकारी दे रहे हैं अनुराग वत्स... 

कॉमन है काटना 
डॉग बाइट यानी कुत्ते का काटना सबसे कॉमन है। लगभग हर इलाके में कुत्ते होते हैं , जिनसे आपका सामना घरों , गलियों , पार्कों जैसी जगहों पर होता है। ज्यादातर लोग डॉग बाइट का शिकार इन जगहों पर खुले में घूमते कुत्ते के जरिए ही होते हैं। डॉग बाइट के तीन ग्रेड होते हैं। ये ग्रेड इस बात पर निर्भर करते हैं कि बाइट कितनी गहरी है : 

 ग्रेड 1 
- अगर कुत्ता प्यार से भी चाटता है , तो होशियार हो जाएं। 

 - अगर कुत्ते में रेबीज का इन्फ़ेक्शन होगा तो आपके शरीर में रेबीज के वायरस जाने की आशंका बनी रहती है , खासकर अगर कुत्ते ने शरीर के उस हिस्से को चाट लिया हो , जहां चोट की वजह से मामूली कट या खरोंच हो। 

ग्रेड 2 
-अगर किसी कुत्ते के काटने के बाद स्किन पर उसके एक या दो दांतों के निशान दिखाई पड़ते हैं , तो समझिए कि एहतियात बरतने की जरूरत है। 

 - ऐसे कई लोग हैं , जो यह सोचकर कि कुत्ते को रेबीज न रहा होगा , एक या दो दांतों के निशान को मामूली जख्म की तरह ट्रीट करते हैं। 

 - ऐसी अनदेखी घातक साबित हो सकती है , क्योंकि रेबीज का वायरस एक बार आपके शरीर में जाकर बरसों - बरस डॉर्मन्ट ( सुप्तावस्था में ) रह सकता है। 

 - कई बरस बाद जब यह अपना असर दिखाना शुरू करता है तो इलाज के लिए कुछ नहीं बचता। 

ग्रेड 3 
-कुत्ता आमतौर पर तीन जगहों में किसी एक जगह पर काटता है : हाथ , चेहरा या टांग। - अगर हाथ या चेहरे पर काटने के बाद एक भी गहरा निशान बनता है या दांतों के तीन - चार निशान दिखाई देते हैं तो समझिए मामला बेहद संजीदा है और इलाज के लिए फौरन जाना चाहिए। 

खतरनाक हो सकता है काटना या डसना 
 - किसी जानवर के काटने या डसने से जानलेवा वायरस या जहर शरीर में दाखिल हो सकता है। 

 - इससे रेबीज जैसी बीमारी हो सकती है , जिसका अब तक कोई इलाज मेडिकल साइंस ईजाद नहीं कर पाई है। 

 - सांप या डंक मारने वाले जानवरों के काटने से शरीर में जहर फैल सकता है और मौत भी हो सकती है। 

क्या है रेबीज ? 
रेबीज एक वायरस होता है। अगर यह किसी जानवर में फैला हो और वह जानवर हमें काट ले खासकर कुत्ता , बिल्ली या बंदर तो हमें रेबीज हो सकता है। 

लक्षण 
- पानी से डर ( हाइड्रोफोबिया ) 
- प्यास के बावजूद पानी न पीना 
 - बात - बात पर भड़क जाना 
- बर्ताव में हिंसक हो जाना 

नतीजा 
रेबीज का वायरस सेंट्रल नर्वस सिस्टम पर अटैक करता है , जिससे पीड़ित शख्स सामान्य नहीं रह पाता। बाद में तेज दर्द में चीख - पुकार मचाते हुए मरीज की मौत हो जाती है। 

बचाव 
इन सभी लक्षणों से बचना है तो कुत्ता , बिल्ली या बंदर के काटने के 24 घंटे के अंदर ऐंटि - रेबीज टीकों के जरिए इलाज शुरू करवा दें। 

क्या करें काटने के बाद 
कुत्ते के काटने के बाद उस हिस्से को सबसे पहले पानी से खूब अच्छी तरह धोएं। फिर साबुन लगा कर धोएं। वहां पट्टी कतई न बांधें। पहला ऐंटि - रेबीज इंजेक्शन 24 घंटे के भीतर जरूर लगवा लें। 

क्या है प्रॉपर वैक्सिनेशन 
- कुत्ते , बिल्ली या बंदर के काटने को हल्के में लेना बड़ी भूल है। इससे जानलेवा रेबीज हो सकता है। 

- कुत्ते के काटने के बाद अब भी कई लोगों को यह लगता है कि पेट में 14 इंजेक्शन लगेंगे। यह गलत है। वैक्सिनेशन के तरीके और टाइम पीरियड अब बदल चुके हैं। यह भी जान लेना जरूरी है कि कुत्ते , बिल्ली या बंदर के काटने पर आपके काम का डॉक्टर जनरल फिजिशन ( फैमिली डॉक्टर ) ही है। 

- रेबीज को रोकने के लिए प्रॉपर वैक्सिनेशन ( ऐंटि - रेबीज वैक्सिनेशन ) की जाती है। 

- ऐंटि - रेबीज वैक्सीन सेंट्रल नर्वस सिस्टम ( जहां रेबीज के वायरस अटैक करते हैं ) पर रक्षात्मक परत बना कर उस वायरस के असर को खत्म कर देती है। 

- वैक्सिनेशन दो तरह से की जाती है : ऐक्टिव और पैसिव । 

- अगर जख्म गहरा हो तो ऐक्टिव वैक्सिनेशन के तहतदो इंजेक्शन फौरन लगते हैं। इसमें ऐंटि - रेबीज सीरम कोपहले मसल्स ( बाजू या हिप्स ) में और फिर ठीक उस जगह पर जहां कुत्ते , बिल्ली या बंदर ने काटा हो , इंजेक्शन के जरिए डाला जाता है। 

 - इसके बाद बारी आती है पैसिव वैक्सिनेशन की। इसमें पांच इंजेक्शन एक खास टाइम पीरियड में लेने पड़ते हैं। 

पहला इंजेक्शन 
काटने के पहले दिन 

दूसरा इंजेक्शन 
काटने के तीसरे दिन 

तीसरा इंजेक्शन 
काटने के सातवें दिन 

चौथा इंजेक्शन 
काटने के 14 वें दिन 

पांचवां 
काटने के 28 वें दिन 

ध्यान दें 
- आमतौर पर पैसिव वैक्सिनेशन ही किया जाता है। लेकिन ज्यादा जख्म होने पर ऐक्टिव और पैसिव , दोनों तरह का वैक्सिनेशन किया जाता है। वैक्सिनेशन को बीच में छोड़ना या समय से न लेना खतरे को बढ़ावा देना है। 
- चूंकि हमारा देश जानवरों के काटने से फैलने वाली बीमारियों के असर में है , इसलिए डॉक्टर सलाह देते हैं कि लोगों को प्री - एक्सपोजर वैक्सिनेशन ( काटने के पहले ) जरूर लेना चाहिए। इसके तहत तीन इंजेक्शन लगाए जाते हैं। तीनों इंजेक्शन का कोर्स जरूरी है। 

पहला इंजेक्शन 
पहले दिन 
दूसरा इंजेक्शन 
तीसरे दिन 

तीसरा इंजेक्शन 
सातवें दिन 

- प्री - एक्सपोजर वैक्सिनेशन का असर दो साल तक रहता है। इस दरम्यान अगर कुत्ता , बिल्ली या बंदर काटता है तो रेबीज की आशंका नहीं रहती। फिर भी अगर जख्म गहरा हो तो आप डॉक्टर से दिखाकर उसकी राय जरूर लें और अगर वह कहे कि ऐक्टिव या पैसिव वैक्सिनेशन की दरकार है तो उसके लिए जरूर जाएं। 

- पालतू कुत्ते के साथ भी सावधानी बरतनी चाहिए। आप उसका पूरा वैक्सिनेशन कराएं , ताकि उसके शरीर में रेबीज का वायरस न पनपे। अगर आप दूसरे से बड़ा कुत्ता ले रहे हैं तो भी उसके वैक्सिनेशन के बारे में जरूर पूछें। 

- वैक्सिनेशन कराने पर प्राइवेट हॉस्पिटल में करीब 2 हजार रुपए का खर्च बैठता है। ऐसे करें बचाव - कुत्ते , बिल्ली या बंदर अमूमन किसी को काटने नहीं दौड़ते , लेकिन रेबीज इन्फ़ेक्टेड जानवर आपको परेशान कर सकते हैं। 

- सामान्य कुत्ते भी आपकी परेशानी का सबब बनते रहते हैं। ऐसे में आपको अपना बचाव खुद करना पड़ता है।  

- ज्यादातर मामलों में देखा गया है कि कुत्ता अगर किसी पर भौंकता है तो वह शख्स भागने लगता है। ऐसा करने से वह शख्स कुत्ते का शक पक्का कर देता है कि उसकी मंशा गलत थी और उस पर कुत्ते का भौंकना जायज। यही वजह है कि कुत्ता उसके पीछे लग जाता है और कई बार काट लेता है। 

- कुत्ता जब भौंके तो डरें या भागो नहीं , उसे नजरअंदाज करें। 

- अपनी बॉडी - लैंग्वेज को सामान्य बनाए रखें और जताएं कि आप उससे डरते नहीं हैं। 

- अपने हाव - भाव से यह बताइए कि आप उसका कोई नुकसान करने वाले नहीं हैं। 

- अगर कुत्ता आपकी गली का है तो उसे हल्की दूरी बना कर पुचकार भी सकते हैं। इससे वह शांत हो जाएगा और कुछ हद तक आपको पहचान भी लेगा। 

- बड़े सरकारी अस्पतालों के अलावा दिल्ली सरकार के 33 अस्पतालों में भी कुत्ता , बिल्ली या बंदर के काटने पर मुफ्त इलाज की सुविधाएं हैं। 

कुछ अस्पताल हैं 

 - इन्फ़ेक्शस डिजीज हॉस्पिटल , गुरु तेगबहादुर नगर , किंग्सवे कैंप ( यहां रेबीज के मरीजों को अलगरखा जाता है। ) 

 -दीनदयाल उपाध्याय हॉस्पिटल , हरिनगर 

 - बाबू जगजीवन राम हॉस्पिटल , जहांगीरपुरी 

 - चरक पालिका हॉस्पिटल , मोती बाग 

 - कलावती शरण हॉस्पिटल , कनॉट प्लेस 

 - राममनोहर लोहिया हॉस्पिटल , बाबा खड़क सिंह मार्ग 

 - सफदरजंग हॉस्पिटल , किदवई नगर के पास - सुचेता कृपलानी हॉस्पिटल , शिवाजी स्टेडियम के पास 

 - हिंदू राव हॉस्पिटल , नॉर्थ कैंपस के पास 

 - स्वामी दयानंद हॉस्पिटल , शाहदरा - आर . बी . टी . बी . हॉस्पिटल , तिमारपुर 

सांप का डसना 
 - माना जाता है कि सांप के डसने से पीड़ित शख्स की मौत हो जाती है , लेकिन ज्यादातर मामलों में यह राय सही नहीं है। 

 - अव्वल तो हमारी रिहाइश में सांप कम हैं और हैं भी तो उनमें से 90% जहरीले नहीं हैं इसलिए उनके डसने से आमतौर पर जान का खतरा नहीं होता। लेकिन चूंकि हम नहीं जान सकते कि कोई सांप जहरीला है या नहीं , इसलिए सांप के काटने पर जान बचाने के लिए ऐंटि - वेनम इंजेक्शन जरूर लें। 

 - यह भी कहा जा सकता है कि आदमी जितना सांप के डसने से दिक्कत में आता है , उससे कहीं ज्यादा इसके बारे में सुनी - सुनाई बातों के बारे में सोच कर परेशान हो जाता है। 

 - यह भी जान लें कि फिल्मों के जरिए सांप से डसे गए हिस्से को चूसने या तेज धार चाकू से काटने जैसी जो बातें आपने देखी - जानी हैं , वे सब गलत हैं। ऐसा करके आप सांप के डसे शख्स के साथ - साथ अपनी जान भी आफत में डालेंगे क्योंकि इससे इन्फ़ेक्शन का खतरा बढ़ता है। 

क्या करें 
- किसी को सांप ने डस लिया हो तो उस शख्स का डर कम कर उसे सामान्य करने की कोशिश करें , वरना घबराहट में उसके शरीर में दूसरी दिक्कतें बढ़ सकती हैं। मसलन , कमजोर दिल के आदमी को हार्ट अटैक आ सकता है , शुगर के मरीज का ब्लड शुगर लेवल गड़बड़ा सकता है आदि। 

 - जिस हिस्से में सांप ने डसा हो , उसे फौरन साफ कर ढक दें ताकि किसी दूसरे तरह का इन्फ़ेक्शन न हो। 

 - उस हिस्से पर किसी भी किस्म का दबाव बनाकर जहर निकालने की बेजा कोशिश न करें। 

 - अगर हथेली या हाथ पर डसा है तो फौरन अंगूठी और घड़ी वगैरह निकाल दें। ऐसा न करने से सूजन हो सकती है और उस हिस्से में रिऐक्शन बढ़ने से इन्फ़ेक्शन बढ़ सकता है। 

 - जिस हिस्से में सांप ने डसा हो , उस हिस्से को जितना मुमकिन हो , हिलाएं नहीं। जितना कम मूवमेंट होगा , उतना ही जहर को फैलने का मौका कम मिलेगा। 

 - अगर आपको लगे कि आधे घंटे के भीतर आप किसी मेडिकल ट्रीटमेंट के लिए पीड़ित शख्स को ले जा पाने में कामयाब नहीं होंगे तो जहां सांप ने डसा है , उस हिस्से को दोनों तरफ से बांध दें। इससे उस हिस्से में ब्लड - सर्कुलेशन धीमा पड़ जाएगा और ब्लड के जरिए जहर फैलने की आशंका कम हो जाएगी। ध्यान रहे कि उस हिस्से को इतनी मजबूती से न बांधें कि ब्लड - सर्कुलेशन पूरी तरह बंद हो जाए। 

 - इन उपायों के बाद आप जख्मी शख्स को जल्द - से - जल्द अस्पताल ले जाएं , जहां जख्म का इलाज ऐंटि - वेनम इंजेक्शन देकर किया जाता है। 

नोट : ऐटि - वेनम इंजेक्शन एक ही लगता है। ऐंटि - रेबीज इंजेक्शन की तरह इसका लंबा कोर्स नहीं चलता। चूहे , बिच्छू और ततैया का काटना कुत्ते , बिल्ली और बंदर के काटने या सांप के डसने के अलावा भी कुछ जानवर या रेंगने वाले जंतु ऐसे हैं , जिनके काटने से जान पर आ बनती है। 

चूहा 
 - चूहा एक डरपोक जानवर है , जो अमूमन सामने से नहीं काटता है , लेकिन सोते वक्त वह आपको काट सकता है या खाने - पीने के सामान को कुतर कर इन्फ़ेक्शन दे सकता है। 

 - चूहे के काटने से आपको उलटी - दस्त की समस्या से लेकर प्लेग जैसी जानलेवा बीमारी हो सकती है। चूहों के जरिए ही प्लेग फैलता है। 

 - प्लेग का कोई प्री - वैक्सिनेशन या इलाज नहीं है और अगर यह हो गया तो इसे महामारी का रूप लेते देर नहीं लगती। 

 - अगर प्लेग की आशंका हो तो फौरन डॉक्टर से संपर्क करें। 

 - चूहा अगर काट ले तो उस जगह को पानी या ऐंटिसेप्टिक सल्यूशन ( डिटॉल , स्पिरिट , आफ्टर सेव लोशन आदि ) से साफ करें। 

 - कोशिश करें कि आप जहां रहते हैं , वहां चूहे न हों। चूहों को खत्म करने के लिए चूहे मारने वाली दवा का इस्तेमाल करें। 

बिच्छू / छिपकली 
 - बिच्छू के डंक को लेकर भी लोगों के मन में तरह - तरह की आशंकाएं रहती हैं। ओझा - गुनी के चक्कर में पड़कर वे इसका नहीं , दरअसल अपने वहम का इलाज करा रहे होते हैं। 

 - साइंस कहता है कि अगर बिच्छू ने काटा हो तो आप सबसे पहले उस हिस्से को पानी या डेटॉल से अच्छी तरह साफ कर लें। 

 - इसके बाद ऐंटि - एलर्जिक दवाओं ( एविल (avil), सिट्रिजन (citirizine) वगैरह ) से डंक के असर को खत्म कर सकते हैं। ये जेनरिक नेम हैं , जो अलग - अलग ब्रैंड नेम से मिलते हैं। 

 - छिपकली के काटने को लेकर भी बहुत सारे वहम लोगों के जहन में हैं। सचाई यह है कि छिपकली के काटने से कोई नुकसान नहीं होता क्योंकि जहर उसके ग्लैंड्स में नहीं , स्किन में होता है। 

 - कई लोग छिपकली के अपने ऊपर गिर जाने को भी तरह - तरह से नुकसानदायक बताते हैं। लेकिन ऐसा नहीं है कि छिपकली की स्किन आपके स्किन के संपर्क में आ जाने भर से नुकसान हो जाएगा। नुकसान तब हो सकता है , जब छिपकली आपके खाने - पीने के सामान में गिर जाए। मिसाल के लिए दूध , पानी या गर्म सब्जी में छिपकली के गिर जाने पर नुकसान होता है क्योंकि छिपकली की स्किन का जहर आसानी से इन चीजों में घुल जाता है। 

 - छिपकली गिरा खाना खा लेते हैं और आपको पता लग जाता है कि खाने में छिपकली गिरी थी तो मुंह में उंगली डालकर उलटी करें और फौरन डॉक्टर के पास जाएं। 

नोट : ऐंटि - एलर्जिक दवाएं कितनी मात्रा में लेनी है , इसकी सलाह आप डॉक्टर से जरूर लें , क्योंकि अलग - अलग वजन या उम्र वाले शख्स को यह अलग - अलग मात्रा में दी जाती हैं। ऐसा न करने पर इसका उलट असर भी पड़ सकता है। 

ततैया 
- इसके काटने से एलर्जिक रिऐक्शन हो सकता है , जिसकी निशानी है खुजली , सूजन और उस हिस्से का लाल होना। 

 - कम रिऐक्शन हो तो ततैया ने जहां काटा हो , उस हिस्से को ठंडे पानी से साफ करने , कूलिंग इफेक्ट वाली क्रीम , टूथपेस्ट या गीला आटा लगाने से भी आराम मिल जाता है। 

 - घर में बीटाडीन हो तो उसे भी इस्तेमाल कर सकते हैं। वह भी सूजन पर कारगर होता है। 

 - लोहा घिसने या अचार बांधने जैसी नीम - हकीमी न करें , इससे इन्फ़ेक्शन का खतरा बढ़ता है। 

 - सूजन में ऐंटि - इन्फ्लमेट्री दवाएं कारगर हैं , लेकिन ऐसी कोई भी दवा आप डॉक्टर से पूछ कर ही लें। 

 - अगर रिऐक्शन ज्यादा हो तो चेहरे या कमर के हिस्से में लाल धब्बे भी हो सकते हैं। 

 - सांस लेने में तकलीफ हो सकती है। दमे के मरीज की दिक्कतें ततैया के काटने से बढ़ जाती हैं। 

 - ऐंटि - एलर्जिक दवाओं ( एविल , सिट्रिजन वगैरह ) से राहत मिलती है। 

मधुमक्खी / कीट / लाल चींटी का काटना 

- मधुमक्खी के काटने पर थोड़ा बुखार या हल्की सूजन हो सकती है। - इसे बर्फ या कूलिंग इफेक्ट वाली क्रीम मलकर ठीक किया जा सकता है। 

 - आप ऐंटि - एलर्जिक दवा ( एविल , सिट्रिजन वगैरह ) भी ले सकते हैं। - ध्यान रहे , कई बार मधुमक्खी के काटने से तेज एलर्जिक रिऐक्शन हो सकता है। इसे मेडिकल साइंस एनाफायलैक्सिस (Anaphylaxis) का नाम देती है। इसमें भयंकर सूजन और दर्द होता है। 

 - अगर मधुमक्खी के काटने के बाद फर्स्ट - एड लेने पर भी बुखार या सूजन बरकरार रहे तो फौरन डॉक्टर के पास जाएं। 

- मधुमक्खी का डंक जहां जहरीला है , वहीं कीट - पतंगों या लाल चींटी के डंक में जहर नहीं होता। 

 - अगर किसी कीट या लाल चींटी वगैरह के काट लेने से आपकी स्किन लाल हो जाती है या उस पर सूजन होती है तो आप ऐंटि - एलर्जिक दवाएं ले सकते हैं। 

कर सकते हैं शिकायत 
 आप अगर अपने गली के आवारा कुत्तों से परेशान हैं तो संबंधित अधिकारियों को नीचे लिखे नंबरों पर कॉल कर सकते हैं... 

 -एमएचओ ( मेडिकल हेल्थ ऑफिसर ), एमसीडी , फोन : 011- 2393-6101 
 -एमएचओ ( मेडिकल हेल्थ ऑफिसर ), एनडीएमसी , फोन : 011- 2374-2752 

नोट : यहां सिर्फ कुत्ते के काटने का इलाज बताया गया है , लेकिन चाहे बंदर काटे या बिल्ली , इलाज कुत्ते के काटने जैसा ही होगा। 

एक्सर्पट्स पैनल - डॉ . अनिल बंसल सीनियर फिजिशन - डॉ . रवि मलिक सीनियर फिजिशन(नवभारत टाइम्स,दिल्ली,15.4.12)

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