बुधवार, 4 अप्रैल 2012

ऐसे बढ़ाएं मेटाबॉलिज़म

आपका बेसल मेटाबॉलिक रेट यानी बीएमआर कई फैक्टर्स पर डिपेंड करता है , लेकिन कुछ चीजों को फॉलो करके इसे बूस्ट किया जा सकता है : 

मेटाबॉलिज़म एक ऐसा प्रोसेस है , जिसमें आपकी बॉडी आपके द्वारा खाए गए फूड और ड्रिंक को एनर्जी में कन्वर्ट करती है। ऐसे में , अगर आपका मेटाबॉलिज़म स्लो हो जाएगा , तो आपकी बॉडी में एनर्जी अपने आप कम हो जाएगी। बेशक , आपको पता होना चाहिए कि आपके बेसल मेटाबॉलिक रेट यानी बीएमआर को डिसाइड करने के लिए कई फैक्टर्स मायने रखते हैं। 

क्या हैं फैक्टर्स 
बॉडी साइज 
लंबे - चौड़े लोगों की बॉडी ज्यादा कैलरीज बर्न करती है। जिनकी मसल्स ज्यादा होती हैं , उनके साथ भी ऐसा होता है। सेक्स सेम ऐज के मेल्स और फीमेल्स में बॉडी फैट का अंतर होता है। मेल्स में अधिकतर फैट कम होता है , इसलिए वे ज्यादा कैलोरी बर्न करते हैं। 

एज 
जैसे - जैसे एज बढ़ती है , वैसे - वैसे मसल्स का मास कम होने लगता है और कैलरी बर्न का प्रोसेस स्लो हो जाता है। 

फूड प्रोसेसिंग 
डाइजेस्टिंग , एब्जॉर्बिंग , ट्रांसपोर्टिंग और स्टोरिंग में जब आप फूड कंज्यूम करते हैं , तो कैलरीज भी बर्न होती है। 

फिजिकल ऐक्टिविटी 
फिजिकल ऐक्टिविटी और एक्सर्साइज के दौरान आपकी काफी कैलरीज बर्न होती हैं। 

बीएमआर बढ़ाने के टिप्स 
- आप ब्रेकफास्ट जरूर करें। अगर ब्रेकफास्ट नहीं करते , तो आपका मेटाबॉलिज़म स्लो हो जाता है। 

- कोशिश करें कि आप दिन के समय जल्दी - जल्दी खाएं। ज्यादा देर तक भूखे नहीं रहें। रिसर्च बताती हैं कि अगर आप टाइम पर ब्रेकफास्ट और लंच करें , तो आपका वेट मेंटेन रहता है। 

- बेड पर जाने से दो घंटे पहले तक खाना जरूर खा लें। 

- 1200 से कम कैलरीज कंज्यूम करने पर मेटाबॉलिज़म कम हो जाता है। 

- फ्रूट्स और वेजिटेब्लस को अपनी डाइट में जरूर शामिल करें। - कार्बोहाइड्रेट लें और फैट वाली चीजें कम खाएं। 

- डेली एक्सरसाइज करें। लंच और डिनर के बाद 10 से 15 मिनट तक वॉक जरूर करें। इससे आपका मेटाबॉलिज़म बूस्ट होता है। 

- वेट ट्रेनिंग से मसल्स को टोन करें। 

- एलिवेटर की बजाय सीढि़यों से चढ़ें। ऑफिस से थोड़ी दूर गाड़ी पार्क करें , ताकि इस बहाने आप थोड़ा पैदल चल लें। 

- अल्कोहल अवॉइड करें। इसकी बजाय खूब पानी पिएं। अल्कोहल आपके मेटाबॉलिज़म को डिप्रेस करता है।  

- किसी भी प्रॉब्लम को दूर करने के लिए पिल्स लेना अवॉइड करें(नवभारत टाइम्स,दिल्ली,2.4.12)।

8 टिप्‍पणियां:

  1. आभार राधा-रमण जी ।


    आजकल नए ब्लॉग की खोज में लगा हूँ ।

    आप से कुछ अच्छे ब्लॉग के लिंक की आशा रखता हूँ ।

    चर्चा मंच के लिए ।

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तुति।

    जवाब देंहटाएं
  3. कितनी दर से आप केलोरियाँ खर्च करतें हैं वह है आपकी अपचयन की दर .जिसकी यहाँ सुन्दर विवेचना की गई है .मेटाबोलिज्म माने रेट ऑफ़ बर्निंग केलोरीज़ .कुछ की कुदरती तौर पर बेसल मेटाबोलिक रेट कम, कुछ की ज्यादा होती है .कुछ लोग कुछ भी खा लें ,पतले के पतले ,खाया ,लजाया और कुछ को खाया पीया लगता है इनकी बेसल मेटाबोलि रेट कम है .कम खाते हैं खाए पिए घर के दीखते हैं मोटे ताज़े .

    कमखायो मोटे हो जाओ .यही होता है हाइपो -थायराइड में बेसल मेटाबोलिक रेट कम हो जाती है .और खाते रहो पतले बने रहो ,खूब केलोरीज़ उडाओं इधर खाया उधर हजम दोबारा भूख लग आई .यह है -हाई -पर -थाय-राय -दिज़्म.

    बढ़िया पोस्ट है राध्रमण जी जिसमे इस कुदरती दाय को बदलने का ज़िक्र है .

    जवाब देंहटाएं
  4. बढ़िया प्रस्तुति |

    जवाब देंहटाएं
  5. अच्‍छी प्रस्‍तुति लगी। मगर कई बार इन सारे उपायों को आजमाने के बाद भी लगता है कि‍ मोटापा कम नहीं हो रहा...और बढ़ता ही जाता है।

    जवाब देंहटाएं

एक से अधिक ब्लॉगों के स्वामी कृपया अपनी नई पोस्ट का लिंक छोड़ें।