कोलेस्ट्रॉल घटाने के लिए कई तरह के खाद्य पदार्थों को आहार श्रृंखला में शामिल करना चाहिए। केवल कुछ चुनिंदा खाद्य पदार्थों के खाने भर से कोलेस्ट्रॉल के स्तर में कमी नहीं होती। नियमित कसरतों को भी जीवनशैली में शामिल करना होगा। आईटी उद्योगों से जुड़े कई संस्थान अपने परिसर में ही जिम्नेशियम उपलब्ध कराते हैं। कर्मचारी अपनी सुविधानुसार कसरत कर सकते हैं। ऑफिस के कैंटीनों में भी हैल्थ फूड लोकप्रिय होते जा रहे हैं।
जो अपनी जीवनशैली में परिवर्तन नहीं कर पा रहे हैं या जिनकी नौकरी ही इस तरह की है कि वे चाहकर भी नियमित कसरतें नहीं कर पाते हैं उन्हें अपने खानपान में थोड़ा परिवर्तन करना चाहिए। उदाहरण के तौर पर मैदे के बने हुए ब्रेड या बन्स के बजाए मल्टी ग्रेन ब्रेड का विकल्प तलाशा जा सकता है।
साबुत अनाज
हाल ही में हुए एक अध्ययन से यह बात सामने आई है कि जिन लोगों के भोजन में साबुत अनाज जैसे अंकुरित धान्य, दलिया वगैरह शामिल है उनकी कोरोटाइड आर्टरी की दीवार पतली रहती है, साथ ही इनमें मोटापन बहुत धीमी गति से आता है। कोरोटाइड आर्टरी जितनी अधिक लचीली होगी दिल और दिमाग के दौरे पड़ने की आशंका उतनी ही कम होगी। कोलेस्ट्रॉल बढ़ा हुआ रहेगा तो कोरोटाइड आर्टरी की दीवार मोटी और सख्त बन जाएगी।
पिस्ता, अखरोट, बादाम
अमेरिकन कॉलेज ऑफ कार्डियोलॉजी के जर्नल में एक शोध अध्ययन प्रकाशित हुआ है जिसके मुताबिक पिस्ता खाने से खराब कोलेस्ट्रॉल का स्तर घट जाता है। भारी वसा युक्त भोजन के बाद खाए गए अखरोटों से आपके दिल को संभावित खतरों से बचाया जा सकता है। पिस्ता,अखरोट और बादाम में मौजूद ओमेगा-३ फैटी एसिड और एंटीऑक्सीडेंट्स वसायुक्त भोजन में मौजूद सैचुरेटेड फैट्स से आर्टरीज़ को होने वाले नुकसान की भरपाई कर सकता है।
अनार का रस
अनार का रस कोलेस्ट्रॉल के थक्के बनाना कम कर देता है, नाइट्रिक ऑक्साइड का उत्पादन बढ़ा देता है। नाइट्रिक ऑक्साइड से आर्टरीज़ में जमे थक्के कम होने में मदद मिलती है।
ओट्स
इसे सामान्य भाषा में जई भी कहते हैं। इसमें बीटा ग्लूकेन नामक रसायन होता है जो खराब कोलेस्ट्रॉल (एलडीएल) को रक्त नलिकाओं से हटा देता है। इसे बनाना बहुत आसान है और प्रायः सभी बड़े स्टोर्स में मिल जाता है।
खाद्य तेल
किसी भी एक तरह के खाद्य तेल पर निर्भर न रहें। हमेशा उसे बदलते रहें। तिल्ली, मूँगफली, सरसों, खोपरे का तेल, सोयाबीन, बिनौले और राइसब्रान को बारी-बारी से इस्तेमाल कर सकते हैं। खाद्य तेल की मात्रा कम की जा सकती है। उदाहरण के तौर पर,यदि सब्जियां दो तेल चम्मच में छौंकी जा रही हैं तो उसे घटाकर एक चम्मच पर लाया जा सकता है। नॉन-स्टिक कुकवेअर इसमें आपकी मदद कर सकते हैं। ऑलिव ऑइल को भी खाद्य श्रृंखला में शामिल किया जा सकता है। बाज़ार में ऐसा ऑलिव ऑइल भी उपलब्ध है,जिसमें भारतीय भोजनशैली के अनुरूप तला भी जा सकता है(डॉ. योगेश साह,सेहत,नई दुनिया,मार्च प्रथमांक 2012)
अच्छी जानकारी........
जवाब देंहटाएंशुक्रिया...
बढ़िया
जवाब देंहटाएंअनुकरणीय ।।
ओट्स से LDL और HDL दोनों पर क्या प्रभाव पड़ता है. इस पर विस्तार से बताने की कृपा करें.
जवाब देंहटाएंउपयोगी जानकारियाँ..
जवाब देंहटाएंअत्यंत उपयोगी जानकारी देती पोस्ट....
जवाब देंहटाएंसादर आभार
बढ़िया जानकारी ...
जवाब देंहटाएंअच्छी जानकारी दी है ।
जवाब देंहटाएंथोड़ी सी सावधानी काफी असर दिखा सकती है ।
वैसे रेड वाइन भी एच डी एल ( गुड कोलेस्ट्रोल ) को बढाती है ।
bahut hi achi jaankari
जवाब देंहटाएंगाफिल जी हैं व्यस्त, चलो चलें चर्चा करें,
जवाब देंहटाएंशुरू रात की गश्त, हस्त लगें शम-दस्यु कुछ ।
आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति
सोमवारीय चर्चा-मंच पर है |
charchamanch.blogspot.com
बहुत अच्छी जानकारी अलावा इसके अलसी के बीज (फ्लेक्स सीड्स ),इसबगोल की भूसी ,त्रिफला ,भी आजमायें नियमित सुबह एक चम्मच त्रिफला चूर्ण सादे या गुनगुने पानी से ले सकतें हैं खाली पेट .अलसी के बीज भूनकर सौंफ की तरह खा सकतें हैं .
जवाब देंहटाएंआपने बहुत ही उपयोगी जानकारी दी हैं |कई लोग हाई कौलिस्त्रोल से त्रस्त हैं |
जवाब देंहटाएंआशा
उपयोगी जानकारी !
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी जानकारी इनके लिए बड़े काम की है !
जवाब देंहटाएंअलसी के बीजों को शायद मराठी में करडी कहते है !
आभार !
बढ़िया जानकारी आभार.....
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