विटामिन-डी अन्य विटामिनों से भिन्न है। यह हारमोन सूर्य की किरणों के प्रभाव से त्वचा द्वारा उत्पादित होता है। विटामिन-डी के उत्पादन के लिए गोरी त्वचा को २० मिनट धूप की जरूरत होती है और गहरे रंग की त्वचा के लिए इससे कुछ अधिक समय की जरूरत होती है।
विटामिन-डी की कमी एक आम समस्या है, लेकिन ज्यादातर लोगों को इसकी पर्याप्त जानकारी नहीं है। इसकी कमी के लक्षण आमतौर पर बहुत विलंब से पता चलते हैं। विटामिन-डी की कमी का कारण अपर्याप्त आहार के अलावा सूर्य की अपर्याप्त किरणें भी हैं। महिलाओं में आजकल धूप में निकलते समय स्कार्फ, कोट और सनस्क्रीन लोशन लगाने का चलन बढ़ा है।
इसके अलावा ऑफिस में एसी रूम में बैठकर घंटों काम करने का चलन भी बढ़ा है। इन सभी के कारण महिलाओं और पुरुषों में भी विटामिन-डी की कमी देखने को मिल रही है। अतः दिनभर में यदि कुछ समय धूप स्नान किया जाए तो विटामिन-डी की कमी कुछ हद तक पूरी की जा सकती है। विटामिन-डी कुछ खाद्य पदार्थों में जैसे पशु मांस, अंडे, मछली का तेल, डेरी उत्पादों में भी पाया जाता है।
मांसाहारी लोगों के लिए तो ये स्रोत पर्याप्त हैं, परंतु शाकाहारी लोगों द्वारा विटामिन-डी मिश्रित भोजन लेने से इस कमी को पूरा किया जा सकता है, शिशु के लिए माँ का दूध महत्वपूर्ण होता है, परंतु इसमें विटामिन-डी पर्याप्त मात्रा में मौजूद नहीं होता। अतः शिशु को विटामिन-डी मिश्रित दूध देना चाहिए। विटामिन-़ी की कमी आमतौर पर अपर्याप्त दूध,अनुचित आहार,गुर्दा,यकृत या वंशानुगत बीमारियों के कारण हो सकती है।
इसकी कमी से हड्डियां नरम हो जाती हैं तथा हड्डियों में दर्द,थकान,कमज़ोरी,स्नायु ऐंठन,मांसपेशियों में कमज़ोरी(बच्चों में रिकेट्स) और उमरदराज़ लोगों में ऑस्टियोपोरोसिस हो सकते हैं। बच्चों में विटामिन-डी की कमी के कारण रक्त में कैल्शियम का स्तर कम हो जाता है तथा स्नायु ऐंठन,सांस लेने में कठिनआई,नाज़ुक हड्डियां,दांतों का देर से निकलना,चिड़चिड़ापन,अधिक पसीना आदि समस्याएं देखने को मिलती हैं। यदि आप स्वयं या अपने बच्चों में इन लक्षणों को पाएं तो अपने डाक्टर से अवश्य सम्पर्क करें और विटामिन-डी की जांच करवाएं।
विटामिन-डी की कमी के विभिन्न स्तर
अपर्याप्त २०-४० एमजी/एमएल
न्यून १०-२० एमजी/एमएल
न्यूनतम ५ मिलीग्राम/प्रति मिलीलीटर से भी कम
विटामिन-डी टेस्ट
यह टेस्ट मुख्यतः २५ हायड्रॉक्सी विटामिन-डी के रूप में किया जाता है, जो कि विटामिन-डी मापने का सबसे अच्छा तरीका माना जाता है। इसके लिए रक्त का नमूना नस से लिया जाता है और एलिसा या कैलिल्टूमिसेंसनस तकनीक से टेस्ट लगाया जाता है।विटामिन-डी अन्य विटामिनों से भिन्ना है। यह हारमोन सूर्य की किरणों के प्रभाव से त्वचा द्वारा उत्पादित होता है। विटामिन-डी के उत्पादन के लिए गोरी त्वचा को २० मिनट धूप की जरूरत होती है और गहरे रंग की त्वचा के लिए इससे कुछ अधिक समय की जरूरत होती है(डॉ.साधना सोडानी,सेहत,नई दुनिया,फरवरी प्रथमांक 2012)।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआपकी इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा कल दिनांक 13-02-2012 को सोमवारीय चर्चामंच पर भी होगी। सूचनार्थ
अत्यंत ज्ञानवर्धक आलेख...
जवाब देंहटाएंसादर आभार.
यह तो प्राप्त करना बहुत आसान है..
जवाब देंहटाएंवो पुराना गाना इस प्रकार होना चाहिये "धुप में निकला करो रूप की रानी विटामिन डी ढंग से बन जायेगा".
जवाब देंहटाएंसुंदर आलेख.
बहुत उपयोगी जानकारी ... रचनाजी की बात पढ़ हंसी आ रही है :)
जवाब देंहटाएंAchchi Jankari....
जवाब देंहटाएंज्ञानवर्धक लेख....शुक्रिया
जवाब देंहटाएंbahut hi upyogi jankari mili...han ak prashn kya mahilaon ke masik dharm me bhi vitamin D upyogi hai?
जवाब देंहटाएंआपने बहुत सरल उपाय बताया है विटामिन डी की प्राप्ति का |अच्छा ज्ञान वर्धक लेख |
जवाब देंहटाएंआशा
aise lekh blog jagat ke bibidh aayamee roop ko sthapit karte hain...blog jagat se judav ko aaur prabhavee banate hain..is prayas ke liye aap dhanyawad ke patra hain..sadar badhayee aaur amantran ke sath
जवाब देंहटाएंअच्छी और उपयोगी पोस्ट !
जवाब देंहटाएंA diagnosis without fees .... really very good information .thanks .
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंsee
विटामिन-डी की कमी, समस्या और समाधान
http://aryabhojan.blogspot.in/2012/03/blog-post_05.html