शहरों के ज्यादातर लोगों की यह आम समस्या है। लेकिन इसे मामूली समझने की गलती न करें, यह स्लीपिंग डिसऑर्डर भी हो सकता है। इसके प्रति लापरवाही बरतना कितना खतरनाक हो सकता है, बहुत से लोगों को इसका अंदाजा भी नहीं है।
हाल ही में अभिनेता शाहरुख खान ने कहा कि उन्हें सिर्फ चार घंटे की नींद मिल पाती है। यह खबर देखकर शायद आप भी सोचने लगे होंगे कि कई बार आप भी तो इससे ज्यादा नहीं सो पाते। लेकिन शायद आप इस बात पर ध्यान नहीं गया होगा कि नींद की कमी के कारण आपके स्वभाव में क्या कुछ बदलाव आया है। पर यह खतरे की पहली घंटी है। अगर आप नहीं चेते तो यह समस्या कुछ अर्से बाद बड़ी बीमारी का रूप धारण कर सकती है जिसे स्लीपिंग डिसऑर्डर कहा जाता है।
ये समस्या अब सिर्फ सेलिब्रिटीज या बड़े अधिकारियों तक ही सीमित नहीं रही बल्कि आज दिल्ली और ऐसे तमाम बड़े महानगरों में काम का दबाव और जल्द से जल्द आगे बढ़ने की होड़ ने आम आदमी तक में स्लीपिंग डिसऑर्डर के लक्षण दिखने लगे हैं। यह समस्या दिल्ली में भी अधिकांश कामकाजी लोगों की समस्या बनती जा रही है। आजकल की जीवनशैली और व्यस्त दिनचर्या में किसी के पास भरपूर नींद लेने का वक्त नही है। डॉक्टरों के अनुसार, अच्छी सेहत के लिए कम-से-कम आठ घंटे की नींद जरूरी है, लेकिन एक सर्वे के अनुसार केवल 93 प्रतिशत भारतीय पूरे आठ घंटे की जरूरी नींद ले पाते हैं। लेकिन दिल्ली में यह प्रतिशत लगभग 50-50 है। यानी लगभग 50 प्रतिशत लोग नींद पूरी नहीं ले पाते हैं और ऐसे लोगों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। सर्वे में यह भी पता चला कि नींद की कमी के चलते लगभग 60 प्रतिशत लोग सही तरीके से काम नहीं कर पाते हैं। इनमें से 11 प्रतिशत लोग कार्यस्थल पर भी सोते हुए मिलते हैं।
अच्छी नींद हमारे जीवन का अहम हिस्सा है। आपने खुद महसूस किया होगा कि जब आप चैन की भरपूर नींद पूरी करके जागते हैं तो खुद को तरोताजा और स्फूर्ति भरा महसूस करते हैं। नींद हमारे थके हुए शरीर ही नहीं, मस्तिष्क को भी नई ऊर्जा से भर देती है। चिकित्सकों का मानना है कि रात में जागकर अपना काम पूरा करने वाले लोग अपने स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करते हैं। ऐसे लोग अक्सर चिड़चिड़े हो जाते हैं जिससे उनकी कार्यशैली और जीवन पर बुरा असर पड़ता है। कम सोने वाले लोग अक्सर नींद न आने की समस्या से भी जूझते हैं जो खतरे की घंटी होती है। इस लिए इसकी अनदेखी बिल्कुल भी नहीं करनी चाहिए।
क्या है स्लीपिंग डिसऑर्डर
पिछले कुछ सालों में स्लीपिंग डिसऑर्डर के कई मामले सामने आए हैं। यह कई तरीके का हो सकता है। जैसे बिस्तर पर जाने के काफी देर बाद नींद आना, दिन में नींद के झटके आते रहना, रात में ज्यादा सपने आना, बार-बार नींद का टूटना, मुंह सूखना, पानी पीने या पेशाब के लिए बार-बार उठना, खर्राटे लेना, रातों में टांगों का छटपटाना, नींद में चलना आदि।
अक्सर नींद को लोग थकावट या फिर दिमागी तनाव से जोड़ कर देखते हैं और अच्छी नींद लेने के लिए खुद ही कोई नींद की गोली खा लेते हैं। इस तरह बिना कारण जाने नींद की गोलियां लेने से बीमारी और बढ़ सकती है। हो सकता है कि नींद न आने के सिर्फ ये कारण न हों। कई बार कार्य करने के घंटों में फेरबदल होने से भी नींद नहीं आती। जिन लोगों की गर्दन छोटी होती है, जबड़ा छोटा होता है, चेहरा बेहद पतला या लंबा होता है, उन लोगों को सोते समय सांस लेने में तकलीफ हो सकती है। इस कारण ऐसे लोगों में खर्राटे की समस्या देखने को मिलती है।
कई बार टांगों में नसें फड़कती हैं। ऐसे व्यक्ति की टांगों में छटपटाहट होती है जिस कारण वह अच्छी नींद नही ले पाता। इसी तरह कई लोगों को नींद से ज्यादा सपने आने लगते हैं। नींद में सपनों का बीस प्रतिशत होना सामान्य बात मानी जाती है, लेकिन जब सपने इससे ज्यादा आने लगे, तो यह स्थिति समस्या बन जाती है। इसी तरह कई लोगों की नींद थोड़ा झटका आने पर टूट जाती है। अगर कोई नींद में चलने लगे या असामान्य हरकतें करने लगे, तब यह समझ लेना चाहिए कि यह स्लीपिंग डिसऑर्डर है। परिणाम भयानक हो सकते हैं।
रॉकलैंड अस्पताल के सीनियर कंसल्टेंट (साइक्लोजिस्ट) डॉ एस सुदर्शन का कहना है कि नींद न आने या ज्यादा आने के और भी कई कारण हो सकते हैं, जैसे तनाव या किसी भी तरह का दर्द। इनकी जांच करवाए बिना कोई दवा नहीं खानी चाहिए।
सुनने मे समस्याएं छोटी-छोटी जरूर लगती हैं, लेकिन इन्हीं असामान्यताओं के कारण कई बार रात को सोते समय हार्ट अटैक आ जाता है। अचानक सांस रुक जाती है.. और कभी तो नींद में चलते हुए व्यक्ति अपराध तक कर सकता है।
8 घंटे की नींद बहुत जरूरी है
50 प्रतिशत लोग दिल्ली में नींद पूरी नहीं ले पाते
60 प्रतिशत लोग सही तरीके से काम नहीं कर पाते
11 प्रतिशत लोग कार्यस्थल पर सोते हुए पाए जाते हैं।
विशेषज्ञों की सुनते हैं
बीमारी लाइलाज नहीं
-नींद न आना सौभाग्य से लाइलाज बीमारी नहीं है।
-खुद की डाइट जांचना, सोने का माहौल देखना, समय, व्यक्तिगत आदत, जीवनशैली और तात्कालिक एकाग्रता। इन सब बातों में तालमेल बिठाकर अच्छी नींद ली जा सकती है।
-दोपहर के बाद कॉफी का एकाध प्याला लेना बुरा नहीं है, लेकिन सोने से पहले ऐसा न करें।
-धूम्रपान भी अच्छी नींद की राह में रोड़ा अटकाने वाली वस्तु है।
-सोने से पहले कुछ तरल पदार्थ ले सकते हैं जैसे जूस, दूध आदि।
-नियमित एक्सरसाइज अच्छी नींद के लिए जरूरी है।
-सोते समय तकिया ऊंचा न लें और मुलायम गद्दे पर ही सोयें- डॉ आर पी सिंह, सीनियर कंसलटेंट, इंटर्नल मेडिसन रॉकलैंड अस्पताल
नींद की बायलॉजिकल घड़ी
कई लोग रातभर करवट बदलते रहते हैं, जिसे एक तरह का साइकेट्रिक डिसऑर्डर माना जाता है। इंसोमेनिया (नींद न आने की बीमारी) और ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपीनिया दो बीमारियां हैं, जिनमें नींद हमसे कोसों दूर भागती है। दोनों ही स्थितियों का इलाज न होने पर परेशानियां हो सकती हैं। हर व्यक्ति के शरीर में नींद की बायलोजिकल घड़ी होती है जो नींद के समय का ध्यान रखती है। जब ये घड़ी असंतुलित हो जाती है तो बहुत सारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। जब बच्चे पूरी रात जाग कर पढ़ते हैं तो उनकी ये क्लॉक डिस्टर्ब हो जाती है। मानसिक विकास पर गलत प्रभाव पड़ता है। वे चिड़चिड़े हो जाते हैं। मनमानी करने लगते हैं और लोगों से कटे-कटे रहने लगते हैं। साथ ही उसकी स्मरण शक्ति पर भी इसका बुरा असर पड़ता है।
डॉ. अरुणा ब्रूटा, मनोचिकित्सक
युवाओं में साइड इफेक्ट
आजकल कारपोरेट वर्ल्ड का जमाना है जिसने रातों को छोटा कर दिया है। काम के घंटे बढ़ गए हैं जिससे देर रात तक लोग ऑफिस में काम करते नजर आते हैं। इस कारण मस्तिष्क को आराम नहीं मिल पाता और मस्तिष्क पर हर वक्त एक दबाव-सा बना रहता है। इस कारण आज के युवा स्लीपिंग डिसऑर्डर का तेजी से शिकार हो रहे हैं। यही वजह है कि युवाओं के बीच हिंसा और आक्रोश बढ़ रहा है। कार्यालय की राजनीति और विवाहेत्तर संबंधों का एक महत्वपूर्ण कारण भी स्लीपिंग डिसऑर्डर ही है। इस कारण युवाओं की सोचने की क्षमता कम हो रही है और एल्कोहल, स्मोकिंग, हुक्का जैसे एडिक्शन व रोड रेज बढ़ रहे हैं(मृदुला भारद्वाज,हिंदुस्तान,दिल्ली,25.1.12)।
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जवाब देंहटाएंअरे हां!
जवाब देंहटाएंइसे पढ़कर ऐसा ही लगा कि हम नींद में जगते हैं और काम में सोते हैं।
उपयोगी जानकारी है। अनिद्रा अनेक दुर्घटनाओं का कारक है।
जवाब देंहटाएंबहुत महत्वपूर्ण जानकारी देती प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंसादर आभार.
ये तो मुझे भी होता है..
जवाब देंहटाएंthanks for sharing this fantastic article.
जवाब देंहटाएंmansik pareshani ho to need nahi aati batai kya kare... send views to me. sambhavshop@gmail.com
जवाब देंहटाएंthank for giving a lot information.
I know very well hindi typing but I can not use hindi tell me how i can use hindi typing.