गुरुवार, 16 फ़रवरी 2012

यह मौसम है एलर्जी का

सर्दियों का मौसम स्वास्थ्य की दृष्टि से अच्छा माना जाता है लेकिन तापमान गिरने के साथ ही पर्यावरण में वायरस की संख्या भी बढ़ने लगती है। ऐसे में एलर्जी से परेशान लोगों की समस्या वायरल संक्रमण से बढ़ सकती है। खासतौर पर सर्दियों में नाक से जुड़ी एलर्जियों में प्रदूषण मुख्य कारणों में से है। धुंध, धुँआ, शारीरिक श्रम की कमी भी कारणों में शामिल है। 

सर्दियों में सबसे सामान्य एलर्जी नाक से होती है, जिसे नेज़ल ब्रॉनकियल एलर्जी कहते हैं। इसके सामान्य लक्षणों के रूप में नाक बहना, छींक आना, आँखों में पानी, नाक में खारिश, बलगम जमा होना, थकावट आदि लक्षण देखने को मिलते हैं। पहले से साँस की तकलीफ से पीड़ित लोगों में मौसम के बदलाव के साथ छाती में जकड़न और साँस लेने में परेशानी की समस्या बढ़ जाती है। बच्चों व वयस्कों की साँस की नली (रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट) के ऊपरी व निचले भाग में भी संक्रमण के मामले कहीं ज़्यादा बढ़ जाते हैं। विंटर एलर्जी में खासतौर पर यदि समस्या की वजह धूल व मिट्टी है तो उपचार के लिए एंटीहिस्टामिनिक दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है। जिनमें यह समस्या लंबे समय से बनी होती है, उनके लिए एंटीएलर्जिक दवाओं या स्टेरॉयड और स्प्रे का उपयोग किया जाता है। अस्थमा के मरीज़ों को डॉक्टर की सलाह के अनुसार इन्हेलर इस्तेमाल करना चाहिए। 

कान में संक्रमण 
मौसम का असर कान पर भी पड़ता है। सर्दी की शुरुआत में ही कान के संक्रमण के मामले बढ़ जाते हैं लेकिन शुरुआत में अक्सर इसका पता नहीं चलता।

लक्षण 
-बुखार होना।
-कान में तेज़ दर्द होना।
-कान में खुजली होना और कान का बहना। 

ज़रूरी नहीं कि मरीज़ों में सभी लक्षण दिखाई दें। हो सकता है कि किसी मरीज़ में केवल दो लक्षण ही हों। कान के अधिकतर संक्रमण वायरस के कारण होते हैं। यह आवश्यक नहीं कि उपचार के लिए एंटीबॉयोटिक दवाएँ ही दी जाएँ लेकिन दर्द से राहत पाने के लिए डीकन्जेस्टेंट दवाएँ दी जा सकती हैं। कानों को ठंडी हवाओं से बचाने की कोशिश करना चाहिए। बाहर निकलते समय कान को ढँकने के लिए मफलर लपेट लें या ऊनी हैट पहनें। 

बचाव के टिप्स
-घर में अधिक नमी न होने दें, इससे वायरस बढ़ने की आशंका बढ़ जाती है।
-धूम्रपान से बचें। धूम्रपान कर रहे व्यक्ति के समीप बैठना भी एलर्जी से प्रभावित होने वाले व्यक्ति में साँस की तकलीफ और खाँसी को बढ़ा देता है।
-अचानक गर्म-सर्द से बचें यानी तुरंत गर्म वातावरण से निकल कर ठंडे में बाहर न जाएँ। 
 -साइनोसाइटिस के मरीज़ों को एलर्जी से मुक्ति पाने का आसान सा तरीक़ा है खूब पानी पीना और आराम करना। 
 -फूल-पौधों को कमरे के अंदर न रखकर बालकनी में रखें। 

फ्लूः 
फ्लू भी श्वास नली से संबंधित रोग है। इसके वाहक कुछ खास किस्म के वायरस अपनी संख्या को तेज़ी से बढ़ाते हुए सांस नली में वायरस का संक्रमण पैदा कर समस्या खड़ी कर देते हैं। आमतौर पर लोग इसे मौसमी जुकाम और ठंड के लक्षणों से जोड़कर नज़रंदाज़ कर देते हैं। 

लक्षणः 
-बुखार आना और नाक बहना 
-गले में खराश रहना 
-खांसी आना 
-थकान रहना और शरीर में दर्द महसूस होना 

इलाज़ 
फ्लू को दूर करने के लिए पैरासिटामोल और विटामिन-सी की गोलियां दी जाती है। बलगम और सीने में जकड़न आदि समस्याओं को दूर करने के लिए कुछ दवाओं के साथ ही भाप लेने की सलाह दी जाती है। लक्षणों के गंभीर होने पर डाक्टर से सलाह ज़रूर लें। फ्लू के वैक्सीन लगवाने से इस बीमारी केलक्षण गंभीर नहीं हो पाते। साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें। कुछ भी खाने से पहले एंटी-बैक्टीरियल साबुन से हाथ धोएं। यह संक्रमण खांसी और छींक से फैल सकता है,,इसलिए बीमार को रूमाल का इस्तेमाल करना चाहिए(डॉ. धीरेन्द्र सिंह कुशवाह,सेहत,नई दुनिया,फरवरी द्वितीयांक 2012)।

7 टिप्‍पणियां:

  1. अच्छी जानकारी दी है आभार !

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  2. मेरी पत्नी के कान में उपरोक्त दिक्कत हो गई थी, आज ही चिकित्सक को दिखाया है..

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  3. अब तो प्रायः रोज़ ही नाक सुर्र-सुर्र करते और छींकते लोग दिख ही जाते हैं।
    आपने उपचार के उपाए भी बताकर हमारा काफ़ी भला किया है।

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  4. उपयोगी जानकारी के लिए हार्दिक धन्यवाद.

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  5. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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