शुक्रवार, 24 फ़रवरी 2012

अल्सर का घरेलू उपचार

चटोरी जुबान के निमित्त खुद पर हुई ज़्यादती की कहानी पेट के छालों (अल्सर) से सुनी जा सकती है। कई बार छालों की चीखें अनुत्तरित रह जाती हैं जो बाद में घातक परिणाम के तौर पर सामने आती हैं। खराब जीवनशैली के कारण जितनी भी बीमारियाँ पैदा होती हैं उन्हें रोका जा सकता है। पेट की कई बीमारियाँ केवल खानपान में किंचित परिवर्तनों से ही ठीक की जा सकती हैं, अल्सर भी इनमें से एक है। देर रात तक जागना और असमय जंकफूड खाना आधुनिक जीवन की एक आवश्यक शर्त हो गई है। पेट की कई बीमारियों के लिए तनाव भी बराबर का ज़िम्मेदार है। तनाव के कारण पेट में हाइड्रोक्लोरिक एसिड का उत्पादन बढ़ जाता है। इससे पेट के आंतरिक सुरक्षा कवच में छेद हो जाते हैं।

शराबखोरी की लत तनाव कम करने के एक असफल उपाय के तौर पर लगती है। अब इसे सामाजिक प्रतिष्ठा प्राप्त हो चुकी है। मसालेदार मांसाहार पार्टियों की पहली आवश्यकता बन गया है। आपसी संबंधों में तनाव घर कर चुका है। आजीविका बनाए रखने के लिए साथी कर्मचारियों के बीच घात-प्रतिघात किए जाते हैं। इन सब का असर पाचन क्रिया पर पड़ता है। आयुर्वेद मानता है कि पेट की सभी खराबियाँ भावनात्मक उथल-पुथल के कारण होती हैं। खराब जीवनशैली के कारण उपजी सभी बीमारियों पर आत्म संयम और कठोर अनुशासन से काबू पाया जा सकता है। इसके लिए केवल अंतःप्रेरणा की ज़रूरत होती है(संपादकीय,सेहत,नई दुनिया,फरवरी द्वितीयांक 2012)।

अल्सर के तीन प्रमुख लक्षण हैं- दीर्घकालीन बदहजमी अथवा अपच की शिकायत (भोजन के बाद पेट में कष्ट), पीड़ा और रक्त स्राव। अल्सर की पहचान यह है कि शुरू-शुरू में व्यक्ति को कई महीनों तक अजीर्ण रहता है या पेट में दर्द रहता है, जो उसे डॉक्टर तक ले जाता है। सामान्य रूप से यह दर्द आमाशय के ऊपरी भाग में उरोस्थि के ठीक बीचों-बीच या थोड़ा दायीं ओर कष्टदायक संवेदना या जलन की अनुभूति के साथ उठता है।

ड्यूडेनल अल्सर में भोजन के निर्धारित समय के बीच में दर्द उठता है और भोजन कर लेने, विशेषकर दूध पीने में बहुत आराम मिलता है। इस दर्द को भूख के कारण होने वाला दर्द कहते हैं। यह दर्द रोगी को सबेरे २ से ४ बजे के बीच जगा देता है। गैस्ट्रिक अल्सर का दर्द मुख्य रूप से भोजन के एक घंटे बाद शुरू होता है। भोजन करने से यह दर्द दूर नहीं होता। रात में भी यदाकदा ही यह दर्द उठता है।

दोनों ही अवस्था में प्रतिदिन कई दिनों या हफ्तों तक एक निश्चित समय पर दर्द उठता है तथा फिर बंद हो जाता है। पुनः कुछ हफ्ते या महीने रुक कर प्रारंभ होता है। दर्द के दौरों के बीच के समय में रोगी अपने को एकदम स्वस्थ महसूस करता है तथा बिना किसी प्रत्यक्ष हानि के कुछ भी खा-पी सकता है, तथापि जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती या असाध्य होने लगती है, वैसे-वैसे दर्द का समय बढ़ने लगता है तथा दर्द के दौरों के बीच का अंतराल कम होने लगता है। विशेषकर यह तब होता जब दौरे के समय आहार संबंधी अनियमितता हो जाती है या अत्यधिक मद्यपान किया जाता है।  


अल्सर के लक्षणः 
शारीरिक कष्ट,क्षुधा में कमी,मितली,वमन तथा वजन में कमी(विशेषकर गैस्ट्रिक अल्सर),छाती में जलन(आमाशय की अंतर्वस्तुओं का गले या मुख तक आना) तथा मितली के कारण अधिक लार बनना। अल्सर की गंभीर अवस्था में मुंह से वमन के रूप में लाल रक्त बाहर आता है या मल के साथ काला रक्त बाहर आता है। अचानक रक्त वमन के कारण रोगी को तीव्र मानसिक सदमा लगता है अथवा रक्त की कमी के कारण कमज़ोरी महसूस होती है।


पेप्टिक अल्सर के लिए घरेलू उपचार
नींबू...
नींबू में साइट्रिक एसिड और खनिज लवण होते हैं जो पाचन क्रिया में सहायक होते हैं। नींबू के रस से पेप्टिक अल्सर में राहत मिलती है। 


बादाम का दूध
भिगोए हुए बादाम को मिक्सर में पीसकर इसका दूध छान लें। यह दूध पेट में जमा एसिड के दुष्प्रभाव को कम करता है और उच्च गुणवत्ता के प्रोटीन का स्रोत है।


बकरी का दूध
 पेप्टिक अल्सर के उपचार के लिए बकरी का दूध बहुत प्रभावी है। यह छालों को भरने के लिए कारगर है। इसे कच्चा लेने से बेहतर नतीजे मिलते हैं। एक गिलास ता़ज़ा, कच्चा दूध दिन में तीन बार लें।

कबीट और बेल
१५ ग्राम कबीट की पत्तियों को २५० मिलिलीटर पानी में रातभर भिगोकर रखें। सुबह छानकर पानी पीयें।


बेलफल का गूदा अल्सर में बहुत राहत पहुँचाता है। इसका शरबत बनाकर भी पी सकते हैं। यह फल लिसलिसा होता है और इसकी प्रकृति भी ठंडी होती है। यह पेट की अंदरुनी सतह पर सुरक्षा कवच की तरह काम करता है।  


मेथीदाना 
मेथीदाने को पानी में उबालकर पीने से पेप्टिक अल्सर में राहत मिलती है। मेथीदाने को पानी में उबालने पर यह हल्के से लिसलिसे हो जाते हैं। यह लैस पेट में पहुँचकर छालों पर जमकर सुरक्षाकवच के रुप में काम करता है जिससे मरीज़ को राहत मिलती है।  


पत्तागोभी 
२५० ग्राम पत्तागोभी को ५०० मिलिलीटर पानी में आधा रह जाने तक उबालें। इसे ठंडा करके दिन में दो बार लें। कच्ची पत्तागोभी का रस भी अल्सर में लाभ देता है लेकिन यह बहुत तेज़ होता है इसलिए नुकसान भी हो सकता है। इसे हमेशा गाजर के रस के साथ मिलाकर ही लेना चाहिए। १२५ मिलिलीटर कच्ची पत्तागोभी का रस और इतना ही गाजर का रस मिलाकर पीयें।


केला 
 पेप्टिक अल्सर के लिए केला सबसे प्रभावी उपायों में से है। केले में एसिडिटी कम करने वाला एक पदार्थ होता है जिसे मज़ाक में विटामिन-यू कहा जाता है। इसके प्रभाव से अल्सर से होने वाली जलन कम होती है। पेप्टिक अल्सर से गंभीर रुप से प्रभावित रोगियों को एक गिलास दूध और दो केले दिनभर में ३-४ बार लेना चाहिए। इसके अलावा और कुछ नहीं खाना चाहिए(स्वामी सत्यानंद सरस्वती की पुस्तक "समस्या पेट की समाधान योग का" से ली गई यह रचना नई दुनिया के सेहत परिशिष्ट में फरवरी द्वितीयांक 2012 में प्रकाशित है)।

8 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत बहुत काम की बातें है आज तो...
    आपका बहुत शुक्रिया राधारमण जी...

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  2. मतलब यह है कि-

    एसिडिटी पर ध्यान नहीं दिया गया तो यह घातक रूप ले सकती है ।

    रात्रि में केला खाकर गुनगुना पानी पीने से कब्ज कि शिकायत नहीं रहती है -

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    1. मगर मैंने तो सुना है की रात्रि में केला खाना वर्जित है
      क्या ये सच है ?

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  3. बहुत अच्छी जानकारी दी है !
    आभार ....

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  4. पोहा खाना कैसा रहेगा अल्सर के उपचार के लिए

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