सोमवार, 6 फ़रवरी 2012

क्या आपका बच्चा भी सुबह पैर दुखने की शिकायत करता है?

अक्सर शाम को पढ़ाई शुरू करने से पहले बच्चे माँओं को यही कहते सुनाई देते हैं। स्कूली बच्चों की यह एक बहुत ही आम समस्या है। कई बार पालक समझ ही नहीं पाते कि इसे गंभीरता से लें या अनदेखा कर दें। यह न समझें कि हर बार बच्चा पढ़ाई से बचने के लिए यह बहाना बना रहा है। दरअसल, बच्चे के पैरों में कई कारणों से दर्द उठ सकता है।

बच्चे खेलकूद में इतना मशगूल हो जाते हैं कि उन्हें कहाँ रुकना है यह भी याद नहीं रहता। अपनी शारीरिक क्षमताओं से परे तक जाकर वे खेलते रहते हैं। घर पहुँचने तक वे थककर चूर हो चुके होते हैं। फुटबॉल अथवा ऐसे ही किसी दौड़ भाग के खेल के कारण पैरों में दर्द होने लगता है।


चोट लगने के कारण
 पैरों में दर्द का यह भी एक प्रमुख कारण है। कई बार ऐसा होता है कि चोट ऊपर से दिखाई नहीं देती लेकिन रह-रहकर दर्द होता है। अक्सर इस तरह के दर्द की तीव्रता आराम करने के साथ ही कम होती जाती है।


विकसित होने का दर्द 
शिशुरोग विशेषज्ञ इसे इसी नाम से पहचानते हैं। दरअसल, अभी इस तरह के दर्द का कारण स्थापित नहीं हो सका है लेकिन स्कूली बच्चों में यह बहुत आम समस्या है। बच्चा अक्सर रात को सोते समय या शाम को पैरों में दर्द की शिकायत करता है। दोनों पैरों के निचले हिस्से और पिंडलियों से एड़ी तक यह दर्द होता है। कई बार तो यह दर्द इतना तीव्र होता है कि बच्चा नींद से जाग जाता है। मालिश और दर्द निवारक गोलियों से आराम मिलता है। बच्चा जैसे-जैसे बड़ा होता जाता है उसका दर्द भी ग़ायब हो जाता है। 


जोड़ों में दर्द
यह सुनकर किसी को भी आश्चर्य हो सकता है कि बच्चों को जोड़ों में दर्द होता है,लेकिन यही सच है। इसे चिकित्सकीय भाषा में जुवेनाइल आर्थ्राइटिस भी कहा जाता है। आमतौर पर इसका असर घुटनों,एड़ियों पर होता है। कभी-कभी छोटे जोड़ों पर बच्चे अपना पैर एक ही स्थिति में स्थिर रखते हैं। रिड्यूमेटाइड आर्थ्राइटिस की विशेषता ह है कि इसका दर्द सुबह के समय होता है। बच्चा सुबह यह शिकायत करता हुआ उठता है कि उसके जोड़ अकड़ गए हैं। उसे बिस्तर से उठने में भी बहुत कष्ट होता है। दर्द की तीव्रता जैसे-जैसे दिन चढ़ता है,कम होने लगती है। इस तरह के दर्द का इलाज़ किसी विशेषज्ञ की निगरानी में कराना ठीक होता है। 


गठान 
बहुत अपवादस्वरूप किसी भी बच्चे का हाथ-पैरों में दर्द मांसपेशियों में अथवा हड्डियों में उभर आई गठानों के कारण होता है। ये गठानें कैंसर की व सामान्य भी हो सकती हैं। हाथ-पैरों में किसी स्थान पर लंबे समय से सूजन हो या यह लगातार बढ़ रही हो,तो किसी विशेषज्ञ चिकित्सक को दिखाना अच्छा होता है। 


कब मिलें चिकित्सक से
हाथ-पैरों के जोड़ों में दर्द के साथ बुखार भी बना रहे। दर्द १२ घंटों से अधिक समय तक बना रहे। -जोड़ों में सूजन के साथ चलना-फिरना मुश्किल हो रहा हो। -कसरत करने के बाद अथवा पैदल चलने के बाद दर्द बढ़ता हो। -पैरों की त्वचा लाल दिखाई देने लगे -दर्द का समय सुबह और शाम बदलता हो या सुबह बिस्तर से उठने में दिक्कत आने लगे तब चिकित्सक को दिखाना चाहिए। 


इसलिए अब जब भी कभी आपका बच्चा यह कहे कि "मम्मी मेरे पैरों में दर्द हो रहा है" तो घबराइए नहीं, क्योंकि इसका इलाज उपलब्ध है। बच्चों को दर्द से मुक्त करने के कई उपाय आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के पास मौजूद हैं(डॉ. ज्योति संघवी,सेहत,नई दुनिया,जनवरी तृतीयांक 2012)।

6 टिप्‍पणियां:

  1. जुवेनाइल आर्थ्राइटिस के लिए होम्योपैथी में actecea बहुत कारगर है.

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  2. शुक्रिया....

    आपकी जानकारी भरी नियमित पोस्ट के लिए आभार.

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  3. एक और महत्वपूर्ण जानकारी से भरी पोस्ट के लिए धन्यवाद..

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  4. बहुत उपयोगी जानकारी...

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  5. बहुत ही बढ़िया जानकारी पूर्ण पोस्ट यदि संभव हो तो (लाइपोमा) नामक बीमारी के उपचार के बारे में भी कुछ सुझाव दीजिएगा

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