मम्स पेरोटिड ग्रंथियों में वायरल संक्रमण से होने के कारण होने वाली बीमारी है। ये ग्रंथियाँ लार बनाने के लिए ज़िम्मेदार होती हैं जो चेहरे के दोनों तरफ कान के नीचे व जबड़े की हड्डी के नीचे स्थित होती हैं। यह बीमारी लार के ज़रिए, खाँसने या छींकने से फैलती है। मम्स के वायरस से संक्रमित मरीज़ पेरोटिड ग्रंथि में सूजन शुरु होने के ७ दिन पहले और ७ दिन बाद तक संक्रमण फैला सकते हैं।
लक्षण...
संक्रमण के शरीर में प्रवेश के १४ से २१ दिन बाद लक्षण सामने आना शुरु होते हैं। बुखार, कंपकपी, थकान और पेरोटिड ग्रंथि में दर्द व सूजन शुरुआती लक्षणों में शामिल हैं। कई बार सूजन सिर्फ एक तरफ की ग्रंथि में ही दिखाई देती है लेकिन अंततः दोनों ग्रंथियाँ संक्रमण से प्रभावित हो जाती हैं। पेरोटिड ग्रंथि में सूजन के कारण मरीज़ को मुँह खोलने, बोलने, खाने और पीने में तकलीफ होती है। मम्स से पीड़ित बच्चे कान और पेट दर्द की शिकायत कर सकते हैं। ३० प्रतिशत मरीज़ों में लक्षण इतने कम होते हैं कि बीमारी का पता ही नहीं चलता।
उपचार और रिकवरी
मम्स के लक्षण दिखाई देने पर चिकित्सक के पास निदान और उपचार के लिए जाना ज़रुरी है। मम्स वायरल संक्रमण के कारण होती है इसलिए एंटीबायोटिक दवाएँ प्रभावी नहीं होती हैं। बच्चों को दर्द निवारक पैरासिटामोल सिरप दिए जाते हैं। मरीज़ को पर्याप्त मात्रा में पानी पिलाने की सलाह दी जाती है। फलों के रस नहीं देना चाहिए क्योंकि इससे पेरोटिड ग्रंथि लार बनाने लगती है जिससे सूजन और दर्द दोनों ही बढ़ जाते हैं।
दो से तीन दिनों तक सूजन बढ़ती है और फिर धीरे-धीरे कम होती है। साथ ही,बुखार भी कम होने लगता है। मांसपेशियों का दर्द और पेरोटिड ग्रंथि में सूजन की वजह से मरीज़ को बहुत दर्द होता है जिसे कम करने के लिए दर्द निवारक दवाएं दी जाती हैं। अन्य लक्षण भी उभरने लगें और स्थिति में कोई सुधार न हो,तो बिना समय गंवाएं चिकित्सक से सम्पर्क करें।
जटिलताएं
कुछ मामलों में,पैंक्रियाज और ओवरीज़ में भी सूजन हो सकती है। लक्षण दिखाई देने के एक हफ्ते बाद अन्य जटिताएं शुरू हो सकती हैं। दस में से एक मरीज़ में मेंनिंजाइटिस के लक्षण उभर सकते हैं और 5000 में से एक में एन्सिफलाइटिस के। इन लक्षणों में सिरदर्द,गर्दन में अकड़न,उल्टियां और रोशनी से तकलीफ़ होना शामिल हैं। कुछ मरीज़ों को मम्स के बाद सुनने में तकलीफ़ भी हो सकती है,मगर बहरापन केवल एक कान में और अस्थायी रूप से ही होता है। अधिकतर बच्चे म्मेस बिना किसी स्थायी समस्या के उबर जाते हैं।
टीका एमएमआर
मम्स से बचाव का सुरक्षित और प्रभावी टीका उपलब्ध है। यह कॉम्बिनेशन वैक्सीन है जो मम्स के साथ ही मीज़ल्स और रुबैला (जर्मन मीज़ल्स) से भी बचाव करता है, इसीलिए इस टीके का नाम एमएमआर है। टीके के दो डोज़ लगाए जाते हैं -
पहला : यह डोज़ १२ से १५ महीने की उम्र में लगाया जाता है
दूसरा : यह बूस्टर डोज़ तीन से पाँच वर्ष की उम्र में दिया जाता है। यह टीका जीवनभर प्रभावी रहता है।
यदि सभी लोग मम्स के खिलाफ टीका लगवा लें तो यह बीमारी और इससे जुड़ी जटिलताएँ इतिहास की बातें बनकर रह जाएँगी(डॉ. शरद थोरा,सेहत,नई दुनिया,जनवरी द्वितीयांक 2012)।
बहुत अच्छी उपयोगी जानकारी के लिए ....आभार
जवाब देंहटाएंWELCOME TO MY new post...वाह रे मंहगाई...
बहुत अच्छी जानकारी। बहुत-बहुत धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंयह बड़ी ही महत्वपूर्ण है बच्चों के लिए.
जवाब देंहटाएंबच्चों और अभिभावकों के लिए अच्छी जानकारी.
जवाब देंहटाएंअच्छी जानकारी ... मम्प्स एक बार होने के बाद क्या दुबारा होते हैं ?
जवाब देंहटाएंफलों के रस नहीं देना चाहिए क्योंकि इससे पेरोटिड ग्रंथि लार बनाने लगती है जिससे सूजन और दर्द दोनों ही बढ़ जाते हैं।
जवाब देंहटाएंआभार इसकी जानकारी नहीं थी !
इतनी बेहतर जानकारी के लिए धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंमेरे अभी गलसुआ है ३ दिन हो गये लेकिन सुजन बढ़ रहा है . डॉक्टर ने कहा इसका कोई इलाज नही है सुजन फेल रहा है गला भी सूज रहा है और थोडा थोडा आँखों और चेहरे पर भी नजर आ रहा है गाल तो फुल गये है .... क्या करू
जवाब देंहटाएंइससे जुडी आपने अछि जानकारी दी लेकिन और भी बताये
... इस दोरान क्या खाना चाहिए
क्या पानी ही पानी फुल पीना चाहिए .....
क्या घर से बाहर नही जाना चाहिए , ठंडा या ग्रम कोई शेक करना चाहिए या नही ...
कोई दवा भी हो तो बताओ ... मेरी उम्र २४ साल है