मंगलवार, 24 जनवरी 2012

मधुमेह रोगियों को संक्रमण का ख़तरा अधिक होता है

मधुमेह रोगियों में दूसरों के मुकाबले संक्रमण का जोखिम ६ गुना अधिक होता है। इसकी वजह यह है कि उनकी रोग प्रतिरोधक प्रणाली मधुमेह के कारण कमज़ोर पड़ जाती है। मधुमेह के रोगियों को बाहरी संक्रमण से बचने के हर संभव उपाय करना चाहिए। 

बार-बार बुखार आना, सिरदर्द, गला खराब होना और खाँसी आने का कारण सिर्फ मौसम का बदलाव नहीं होता। दरअसल ये सभी वायरल और बैक्टीरियल संक्रमण के लक्षण होते हैं जो उन लोगों में ज़्यादा दिखाई देते हैं जिनके खून में शर्करा का स्तर अधिक हो। एक अंतर्राष्ट्रीय शोध अध्ययन में यह बात सामने आई है। इस अध्ययन में मधुमेह से पीड़ित एवं जिन्हें मधुमेह नहीं था उन लोगों में इंफ्लुएंज़ा वायरस के चपेट में आने की दर का अध्ययन किया गया। इससे सामने आया कि मधुमेह रोगियों को इंफ्लुएंज़ा का खतरा छः गुना अधिक होता है। 

रक्त में शर्करा का स्तर अधिक होने और संक्रमण की दर अधिक होने के बीच जो संबंध है उस पर कई शोध किए जा रहे हैं। इसका कारण जानना वर्तमान में किए जा रहे शोध का विषय है। एक अध्ययन के अनुसार रक्त में ग्लूकोज़ की मात्रा अधिक होने की वजह से शरीर को संक्रमण की मौजूदगी पता नहीं चलता है। इसीलिए यह इसके खिलाफ को प्रतिक्रिया नहीं करता है। संक्रमणकारी बैक्टीरिया व वायरस की बाहरी परत और शक्कर की संरचना मिलती-जुलती होती है। रक्त में शक्कर की मात्रा अधिक होने पर प्रतिरक्षा प्रणाली वायरस की बजाय शर्करा पर हमला करती है। इसीलिए वायरस को फलने-फूलने और संक्रमण फैलाने का मौका मिल जाता है। 

सावधानियाँ 
मधुमेह रोगी कुछ विशेष बातों का ध्यान रखें तो इस तरह के संक्रमण से बच सकते हैं 

शर्करा के स्तर को नियंत्रित रखना पहली और सबसे ज़रुरी सावधानी है। इसके लिए आहार का ध्यान रखना और परहेज़ का पालन करना बहुत ज़रुरी है साथ ही व्यायाम और समय पर दवा लेना भी उतना ही आवश्यक है। रक्त में शर्करा के स्तर की नियमित रुप से जाँच कराना चाहिए। मधुमेह प्रबंधन कार्यक्रम के ज़रिए रोगियों को इस तरह की जटिलताओं से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण बातें बताई जाती हैं ताकि वे अपनी देखभाल कर सकें। बचाव के लिए उन्हें इंफ्लुएंज़ा के खिलाफ टीका भी लगाया जाता है। 

अधिक कैलोरीयुक्त आहार और शारीरिक श्रम की कमी, इन दो बड़े कारणों की वजह से मधुमेह का जोखिम बढ़ जाता है। पैन्क्रियाज़ यदि पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन का निर्माण न करे या शरीर की कोशिकाएँ इंसुलिन का उपयोग ठीक से न कर पाए तो उसका नतीजा मधुमेह होता है। इंसुलिन हारमोन रक्त में मौजूदअधिक कैलोरीयुक्त आहार और शारीरिक श्रम की कमी, इन दो बड़े कारणों की वजह से मधुमेह का जोखिम बढ़ जाता है। पैन्क्रियाज़ यदि पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन का निर्माण न करे या शरीर की कोशिकाएँ इंसुलिन का उपयोग ठीक से न कर पाए तो उसका नतीजा मधुमेह होता है। इंसुलिन हारमोन रक्त में मौजूद शर्करा का उपयोग करने के लिए अत्यावश्यक होता है। इस हारमोन के ज़रिए ही शरीर की विभिन्न कोशिकाएँ अपना-अपना कार्य करने के लिए ऊर्जा प्राप्त कर पाती है। लेकिन चूंकि मधुमेह रोगियों में इंसुलिन पर्याप्त मात्रा में नहीं होता,उनके रक्त में शर्करा का स्तर अक्सर ज़्यादा रहता है। अनियंत्रित मधुमेह के कारण हृदय,गुर्दे आदि अन्य अंग भी प्रभावित होने लगते हैं। इसीलिए,मधुमेह रोगियों को अपने खान-पान और जीवन-शैली का विशेष ध्यान रखना चाहिए। तरह-तरह के संक्रमणों से व्यक्ति का जीवन प्रभावित होने लगता है(डॉ. योगेश शाह,सेहत,नई दुनिया,जनवरी द्वितीयांक 2012)

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