रविवार, 29 जनवरी 2012

गुर्दे के दर्द हो हल्के में न लें

गुर्दों का महत्व हमारे लिए बेहद खास है। यह हमारे लिए काफी काम तो करते ही हैं, काफी तकलीफ भी सहते हैं। ऐसे में यह भी बेहद जरूरी है कि हम भी उनकी तकलीफ का खयाल रखें, ताकि वह हमारे लिए सही तरह काम करते रहें। गुर्दों की कौन-कौन सी तकलीफ हमारे लिए खतरे की घंटी हो सकती है और उनका कैसे खयाल रखें, बता रहे हैं अभिजीत श्रीवास्तवः

हमारे शरीर में गुर्दों का बेहद महत्वपूर्ण स्थान है। शरीर की गंदगी बाहर करने के अलावा गुर्दों का काम हमारे शरीर में बनने वाले अम्ल की मात्र को भी निर्धारित करना होता है, ताकि हमारा रक्तचाप नियंत्रित रहे। गुर्दों की एक खास बात यह होती है कि वे बिना किसी बड़ी वजह के दर्द नहीं देते। मतलब अगर आपके गुर्दों में या उनके आसपास के हिस्सों में दर्द हो रहा हो तो इसे नजर अंदाज बिलकुल नहीं करना चाहिए। यहां तक कि दुनिया में प्रचलित किडनी की गंभीर बीमारियों में से ज्यादातर में दर्द का लक्षण नहीं होता। 

क्रॉनिक किडनी डिजीज (सीकेडी) या गुर्दे की कई गंभीर बीमारियों में शुरुआती दौर में मरीज को दर्द की शिकायत नहीं होती। मगर कुछ बीमारियों में गुर्दे या किडनी के आसपास स्थित शरीर के हिस्सों, जैसे कमर में दर्द हो सकता है। 

गुर्दे में पथरी 
यह समस्या होने पर गुर्दे में दर्द तब शुरू होता है, जब पथरी के छोटे-छोटे टुकड़े खिसक कर मूत्र नली में आ जाते हैं। पथरी होने की दशा में गुर्दे के आसपास कमर में पीछे की तरह दर्द होता है। इस दर्द की तीव्रता हल्की से बहुत गंभीर हो सकती है। 

इसके अलावा ध्यान देने वाली बात यह भी होती है कि अगर दर्द काफी तेज है तो मरीज को इसके साथ-साथ मितली या उल्टी हो सकती है। 

यूटीआई संक्रमण 
पेशाब नली में गंभीर संक्रमण होने पर भी गुर्दे में दर्द की शिकायत हो सकती है। यह समस्या होने पर मरीज को कमर में गुर्दे के आसपास की जगह पर और पेट में दर्द हो सकता है। इसके अलावा यह परेशानी अपने साथ तेज बुखार लाती है। पेशाब नली में संक्रमण के शिकार मरीज को पेशाब करने में जलन भी होती है। 

पेशाब की नली में रुकावट (यूटीओ) 
इस समस्या में गुर्दे की पथरी खिसक कर जब पेशाब नली में आ जाती है तो मूत्र मार्ग अवरुद्ध हो जाता है। इसके अलावा इसमें रुकावट आने की एक और वजह पेशाब नली का सिकुड़ना या नली में टय़ूमर हो सकता है। यूटीओ होने पर मरीज को हल्का या मध्यम तीव्रता का दर्द हो सकता है। पेशाब नली में अचानक रुकाव होने पर यह दर्द असह्य हो जाता है। यूटीओ में जो दर्द होता है, वह लगभग वैसा ही होता है, जैसा गुर्दे में पथरी होने पर होता है। 

पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज (पीकेडी) 
इस बीमारी में गुर्दे में कई गांठें उभर आती हैं, जिनके बढ़ने पर समस्या जटिल हो जाती है। इस बीमारी में गुर्दे का आकार बढ़ सकता है या गुर्दा बेकार भी हो सकता है। 

कुछ मरीजों में यह गांठें काफी तेजी से बढ़ती हैं और इसमें खून भी आता है, जिससे काफी तेज दर्द होता है। इसके अलावा इन गांठों में संक्रमण होने पर गुर्दे के आसपास कमर में पीछे की तरफ दर्द हो सकता है। डॉक्टर अक्सर ऐसे मरीजों को गुर्दे में पथरी की जांच कराने की सलाह देते हैं, ताकि यह स्थापित हो जाए कि मरीज को पथरी है या सिस्ट की समस्या है। 

रिनल सेल कार्सिनोमा 
यह किडनी का कैंसर है और इसमें मरीज को एक साथ कई परेशानियां हो सकती हैं। इसमें कमर में पिछले हिस्से में दर्द होने के अलावा पेशाब में खून आ सकता है और पेट में भी गंभीर समस्या हो सकती है। 

खून की कमी और मेलिग्नेंसी के चलते मरीज के वजन में तेज गिरावट हो सकती है। इसका कारण यह होता है कि लाल रक्त कणों के निर्माण के चलते गुर्दे ठीक तरह से काम नहीं कर पाते। पेज किडनी किसी भी कारण से गुर्दे में चोट लगने पर किडनी टिश्यू में खून रिसने लगता है। खून आने से गुर्दे के अंदरूनी हिस्सों पर दबाव बढ़ जाता है और हाइपरटेंशन भी हो सकता है। इसके अलावा कमर के आसपास के हिस्से में तेज दर्द भी हो सकता है। 

लोइन पेन हेमाटय़ूरिया सिंड्रोम 
यह एक असाधारण बीमारी है और इसमें मरीज को कभी-कभी पेशाब खून आने की शिकायत होती है और कमर में पीछे की तरफ दर्द भी होता है। डॉक्टर अक्सर ऐसे मामलों में कई तरह की जांच कराने के लिए मरीज को कहते हैं, ताकि वे तकलीफ के कारणों को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त हो सकें। दर्द से पूरी तरह राहत पाने के लिए और बीमारी से निजात पाने के लिए यह बेहद जरूरी है। 

किडनी संबंधी बीमारी में सजर्री के विकल्प 
लिथोट्रिप्सी 
गुर्दे में पथरी होने पर अपनाई जाने वाली यह सबसे कम प्रचलित प्रक्रिया है। इसके तहत सधे हुए मगर तेज झटकों के जरिए गुर्दे या पेशाब नली में मौजूद पथरी पर प्रहार किया जाता है। इससे पथरी के टुकड़े और भी छोटे कणों में टूट जाते हैं। इस प्रक्रिया में अनुमानित खर्च 40,000 से 60,000 रुपये के बीच आता है। 

गुर्दे का प्रत्यारोपण 
यह प्रक्रिया अपनाने की सलाह डॉक्टर तब देते हैं, जब मरीज के दोनों गुर्दे खराब हो जाते हैं और उनके ठीक होने की कोई गुंजाइश नहीं रहती। 

किडनी फेल होने पर मरीज के करीबी रिश्तेदार का गुर्दा प्रत्यर्पित किया जाता है। किसी की किन्हीं कारणों से मौत हो गई हो, उसका भी गुर्दा प्रत्यारोपित किया जा सकता है। इसमें यह ध्यान रखा जाता है कि जिस व्यक्ति की किडनी प्रतिरोपित की जा रही है, उसे इससे संबंधित कोई बीमारी या संक्रमण कभी न रहा हो। इस प्रक्रिया में चार से छह लाख रुपये तक का खर्च आ सकता है(हिंदुस्तान,दिल्ली,11.1.12)।

10 टिप्‍पणियां:

  1. बेनामीजनवरी 29, 2012

    जानकारी भरा लेख ।

    हिंदी दुनिया

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  2. अच्छी जानकारी...
    सतर्क रहने में समझदारी है..
    शुक्रिया.

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  3. सचेत करती पोस्ट ..अच्छी जानकारी मिली

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  4. बहुत सुन्दर प्रस्तुति
    आपकी इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा कल दिनांक 30-01-2012 को सोमवारीय चर्चामंच पर भी होगी। सूचनार्थ

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  5. अच्छा सुझाव दिया है आपने ....

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  6. बिलकुल सही फ़रमाया है आपने।
    कई बार यह जानलेवा साबित हो जाता है।

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  7. सचेत करती जानकारी के साथ अच्‍छी प्रस्‍तुति ।

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  8. काफी उपयोगी जानकारी , जो अक्सर डॉक्टर भी प्रदान नहीं करते और हम जैसे आम लोग कुछ समझ भी नहीं पाते. धन्यवाद

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  9. बहुत ही उपयोगी जानकारी सरल शब्दों में.वाह !!!

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  10. महत्वपूर्ण जानकारी मिली ...इस लेख को पढ़ने के बाद ....आभार

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