शनिवार, 21 जनवरी 2012

कोई विकल्प नहीं है तिल का

असीरियन पुराणों में वर्णन है कि देवताओं ने पृथ्वी का निर्माण करने से पहले तिलबीज से बनने वाली शराब पी थी। एशियाई आहार श्रृंखला में आदिकाल से तिलबीज शामिल रहे हैं। ईसा के ३००० साल पहले से ५००० साल बाद तक जिक्र होता रहा है कि चीनी सभ्यता में तिलबीज को सम्मानजनक स्थान हासिल है। वे लोग सदियों से तिलबीज के तेल के दीपक से अपनी अँधेरी रातें रोशन करते आए हैं। चीनियों की काली रोशनाई भी तिलबीज के तेल के दीपक से बनती थी। अफ्रीकन काले नीग्रो गुलामों के साथ तिल के बीज अमेरिका महाद्वीप में भी पहुँच गए। अब तिल के बीज लगभग हर व्यंजन में इस्तेमाल किए जाते हैं। एशियाई देशों में तिलबीज के तेल का इस्तेमाल खाना पकाने के लिए सदियों से इस्तेमाल किया जाता है। 

तिलबीज एक प्राचीन तिलहन है जिसका पौराणिक महत्व है। मानव इतिहास के आदिकाल से ही इसे प्रतिष्ठापूर्ण स्थान मिला हुआ है। तिलबीजों के असंख्य गुणों के कारण इसे लगभग हर धर्म के धार्मिक अनुष्ठानों में शामिल किया जाता है। गुणकारी तिलबीज का तेल भोजन में तो इस्तेमाल किया ही जाता है, मालिश के लिए भी इसे मुफीद माना जाता है। तिल का तेल वेसोडायलेटर माना जाता है जिससे मालिश के बाद नसें फैलती हैं व रक्त प्रवाह बेहतर होता है। 

तिलबीज मैंगनीज़, ताँबा, कैल्शियम, मैगनेशियम, आयरन, फास्फोरस, विटामिन बी-१, जिंक और रेशे का बढ़िया स्त्रोत है। इन महत्वपूर्ण पौष्टिक तत्वों के अलावा दो और अनोखे तत्व तिल में पाए जाते हैं - सिस्सामिन और सिसामोलिन। दोनों पदार्थ विशेष लाभकारी रेशे लिगनान्स समूह के सदस्य हैं। इन्हें कोलेस्ट्रोल और उच्च रक्तचाप कम करने वाले पदार्थों के तौर पर जाना जाता है। तिलबीज लीवर को ऑक्सीडेटिव नुकसान से भी बचा लेती है। 

ज़रूरी है तांबा 
तिलबीज से भरा हुआ एक चौथाई कप तांबे की रोजाना की खुराक की ७५ फीसद मात्रा की आपूर्ति कर देता है। इसी तरह मैगनेशियम की ३२ फीसद तथा कैल्शियम की ३६ फीसद कमी की पूर्ति करता है। यदि इतने खनिज तत्व आपको खुराक में रोज़ मिल रहे हैं तो इसमें से तांबे की मात्रा रिह्यूमेटाइड आर्थराइटिस से होने वाली तकलीफ में राहत प्रदान कर सकती है। तांबा दर्द निवारण एवं एंटिऑक्सीडेंट एंज़ाइम प्रणाली में महत्वपूर्ण घटक है। यह धातु रक्त नलिकाओं में लचीलापन एवं मजबूती प्रदान करने वाली महत्वपूर्ण धातु के रूप में जाना जाता है। मैग्नेशियम से रक्त नलिकाओं में शुद्धि एवं श्वसन संबंधी बीमारियों में राहत मिलती है। मैगनेशियम से अस्थमा के दौरे में राहत मिलती है तथा श्वसन प्रणाली खुलने में सहायता मिलती है। मैगनेशियम खनिज उच्च रक्तचाप को कम करने, दिल के दौरे तथा मधुमेह के कारण होने वाली दिल की बीमारियों से बचाता है। इससे ट्राइजिमिनल न्यूरॉल्जिया के कारण होने वाले माइग्रेन के दौरे भी रूकते हैं। यह महिलाओं में रजोनिवृति के बाद होने वाले अप्रिय लक्षणों को रोकने और सामान्य नींद लौटाने में मददगार है।  

कैल्शियम कैल्शियम खनिज बड़ी आंत के कैंसर,माइग्रेन और अस्थिक्षरण को रोकने के लिए अत्यावश्यक है। तिल में यह बहुतायत से पाया जाता है। इसी तरह,जिंक धातु का हड्डियों की मज़बूती से गहरा संबंध है। आमतौर पर माना जाता है कि रजोनिवृत्ति के बाद,अस्थिक्षरण(ऑस्टियोपोरोसिस) की शिकार केवल महिलाएं ही होती हैं,जबकि यह पूरा सच नहीं है। पुरूषों में भी यह समस्या आती है-ख़ासकर बुजुर्गों में यह समस्या बहुत आम होती है। अस्थिक्षरण के कारण नितम्ब के जोड़ खराब होने की शिकायत भी सबसे अधिक वृद्धावस्था में पहुंचे पुरुषों में पाई जाती है। 

रोज़ खाएं तिल 
बुजुर्गों के आहार में तिलबीज को नियमित शामिल किया जा सकता है। ठंड में तिल के कई तरह के व्यंजन बनाए जाते हैं। तिल का पेस्ट ब्रेड या टोस्ट पर शङद के साथ लगाकर खाया जा सकता है। तिल के लड्डू,पट्टी,गजक आदि इसी मौसम में खाए जाते हैं। गुड़ और तिलबीज का परांठा गुणकारी ही नहीं,स्वादिष्ट भी होता है। तिल लगी हुई कई तरह के बेकरी उत्पाद जैसे-ब्रेड और बन भी बाज़ार में मिल जाते हैं। स्टीम की हुई सब्ज़ियां जैसे ब्रोकोली और फूलगोभी में नींबू और तिल का भरपूर छिड़काव करके खा सकते हैं। भुनी हुई तिल को चावल और विनेगर के साथ खाया जा सकता है। इसके अलावा,तिलबीज के तेल में भोजन पकाया जा सकता है। दक्षिण भारत में,तिल के तेल में भी कई व्यंजन पकाए जाते हैं(डॉ. प्रीति शुक्ला,सेहत,नई दुनिया,जनवरी 2012 द्वितीयांक)

5 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत अच्छी उपयोगी जानकारी है !

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  2. बेनामीजनवरी 21, 2012

    बहोत अच्छी जानकारी ।

    नया ब्लॉग

    http://http://hindidunia.wordpress.com/

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  3. Til ke anek gunon ko baakhoobi likha hai aapne ... achhee jaankaari bhari post ....

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  4. ARAB deshon mein bhi til ka bahut maatra mein prayog kiya jaata hai ...

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  5. शुक्रिया...अच्छी जानकारी देते रहने का..
    आपकी कृपा से सभी ब्लॉगर बंधु स्वस्थ हैं:-)
    आभार.

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