देशी घी उतना बुरा नहीं जितना आजकल समझा जाता है। दिल की बीमारियों के लिए इसे जिम्मेदार ठहाराया जाता है जबकि यह पूरा सच नहीं है। आधुनिक चिकित्सा विज्ञान की कसौटी पर कई बार परखे जाने के बावजूद देशी घी के प्रति धारणा बदली नहीं है। इसकी वजह यह है कि वनस्पति घी और गाय अथवा भैंस के दूध से बने घी को एक समझ लिया गया है। घर का बना हुआ घी एंटीऑक्सीडेंट्स का खजाना है जिसकी शरीर को सख्त जरूरत होती है। घी की एक खासियत है कि इसे तैयार करने के दौरान दूध के सभी प्रोटीन निकल जाते हैं जिससे यह लैक्टोस मुक्त हो जाता है। एक चम्मच घी चार बड़े चम्मच मक्खन अथवा डबल फिल्टर रिफाइंड तेल से कहीं बेहतर नतीजे देता है।
दरअसल घी का सबसे बड़ा दुश्मन है उसका अविवेकपूर्ण इस्तेमाल। संतुलित आहार पूरे शरीर की सेहत के लिए जरूरी है। दही में लाख गुण हों लेकिन कोई केवल इसी पर जिंदा नहीं रह सकता। इसी तरह घी भले ही अन्य वसा से कहीं अधिक गुणकारी हो पर इसे अधिक मात्रा में नहीं खाया जा सकता। आधुनिक चिकित्सा विज्ञान मानता है कि मक्खन और हाइड्रोजेनेटेड तेल अथवा वनस्पति घी की वसा पाचन क्रिया को धीमा कर देती है जबकि घी पेट में अम्ल स्राव की प्रक्रिया को बढ़ा देता है। जिन मरीजों का कोलेस्ट्रोल स्तर पहले से ही बढ़ा हुआ हो वे जरूर घी से परहेज रखें लेकिन स्वस्थ इंसान को घी निःसंदेह फायदा ही पहुंचाता है(संपादकीय)।
हृदयरोग विशेषज्ञों के साथ मोटापे और दिल के रोगियों का सबसे अधिक गुस्सा घी पर ही उतरता है। आयुर्वेद में घी को औषधि माना गया है। इस सबसे प्राचीन सात्विक आहार से सर्वदोषों का निवारण होता है। वात और पित्त को शांत करने में सर्वश्रेष्ठ है साथ ही कफ भी संतुलित होता है। इससे स्वस्थ वसा प्राप्त होती है, जो लिवर और रोग प्रतिरोधक प्रणाली को ठीक रखने के लिए जरूरी है। घर का बना हुआ घी बाजार के मिलावटी घी से कहीं बेहतर होता है।
यह तो पूरा का पूरा सैचुरेटेड फैट है, कहते हुए आप इंकार में अपना सिर हिला रहे होंगे। ज़रा धीरज रखें। घी में उतने अवगुण नहीं हैं जितने गुण छिपे हुए हैं। यह सच है कि पॉलीअनसैचुरेटेड वसा को आग पर चढ़ाना अस्वास्थकर होता है, क्योंकि ऐसा करने से पैरॉक्साइड्स और अन्य फ्री रेडिकल्स निकलते हैं। इन पदार्थों की वजह से अनेक बीमारियाँ और समस्याएँ पैदा होती हैं। इसका अर्थ यह भी है कि वनस्पतिजन्य सभी खाद्य तेलों स्वास्थ्य के लिए कमोबेश हानिकारक तो हैं ही।
फायदेमंद है घी
घी का मामला थोड़ा जुदा है। वो इसलिए कि घी का स्मोकिंग पॉइंट दूसरी वसाओं की तुलना में बहुत अधिक है। यही वजह है कि पकाते समय आसानी से नहीं जलता। घी में स्थिर सेचुरेटेड बॉण्ड्स बहुत अधिक होते हैं जिससे फ्री रेडिकल्स निकलने की आशंका बहुत कम होती है। घी की छोटी फैटी एसिड की चेन को शरीर बहुत जल्दी पचा लेता है। अब तक आप बहुत उलझन में पड़ गए होंगे कि क्या वाकई घी इतना फायदेमंद है? अब तक तो सभी यही समझा रहे थे कि देशी घी ही रोगों की सबसे बड़ी जड़ है?
कोलेस्ट्रॉल कम होता है
घी पर हुए शोध बताते हैं कि इससे रक्त और आँतों में मौजूद कोलेस्ट्रॉल कम होता है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि घी से बाइलरी लिपिड का स्राव बढ़ जाता है। घी नाड़ी प्रणाली एवं मस्तिष्क के लिए भी श्रेष्ठ औषधि माना गया है। इससे आँखों पर पड़ने वाला दबाव कम होता है, इसलिए ग्लूकोमा के मरीजों के लिए भी फायदेमंद है। हो सकता है इस जानकारी ने आपको आश्चर्य में डाल दिया हो। घी पेट के एसिड्स के बहाव को बढ़ाने में उत्प्रेरक का काम करता है जिससे पाचन क्रिया ठीक होती ते हहृदयरोग विशेषज्ञों के साथ मोटापे और दिल के रोगियों का सबसे अधिक गुस्सा घी पर ही उतरता है। आयुर्वेद में घी को औषधि माना गया है। इस सबसे प्राचीन सात्विक आहार से सर्वदोषों का निवारण होता है। वात और पित्त को शांत करने में सर्वश्रेष्ठ है साथ ही कफ भी संतुलित होता है। इससे स्वस्थ वसा प्राप्त होती है, जो लिवर और रोग प्रतिरोधक प्रणाली को ठीक रखने के लिए जरूरी है। घर का बना हुआ घी बाजार के मिलावटी घी से कहीं बेहतर होता है।
यह तो पूरा का पूरा सैचुरेटेड फैट है, कहते हुए आप इंकार में अपना सिर हिला रहे होंगे। ज़रा धीरज रखें। घी में उतने अवगुण नहीं हैं जितने गुण छिपे हुए हैं। यह सच है कि पॉलीअनसैचुरेटेड वसा को आग पर चढ़ाना अस्वास्थकर होता है, क्योंकि ऐसा करने से पैरॉक्साइड्स और अन्य फ्री रेडिकल्स निकलते हैं। इन पदार्थों की वजह से अनेक बीमारियाँ और समस्याएँ पैदा होती हैं। इसका अर्थ यह भी है कि वनस्पतिजन्य सभी खाद्य तेलों स्वास्थ्य के लिए कमोबेश हानिकारक तो हैं ही।
घी खाएं या नहीं
यदि आप स्वस्थ हैं तो घी जरूर खाएँ, क्योंकि यह मक्खन से अधिक सुरक्षित है। इसमें तेल से अधिक पोषक तत्व हैं। आपने पंजाब और हरियाणा के निवासियों को देखा होगा। वे टनों घी खाते हैं लेकिन सबसे अधिक फिट और मेहनती हैं। यद्यपि घी पर अभी और शोधों के नतीजे आने शेष हैं लेकिन प्राचीनकाल से ही आयुर्वेद में अल्सर, कब्ज, आंखों की बीमारियों के साथ त्वचा रोगों के इलाज के लिए घी का प्रयोग किया जाता है।
क्या रखें सावधानियाँ
भैंस के दूध के मुकाबले गाय के दूध में वसा की मात्रा कम होती है इसलिए शुरू में निराश न हों। हमेशा इतना बनाएँ कि वह जल्दी ही खत्म हो जाए। अगले हफ्ते पुनः यही प्रक्रिया दोहराई जा सकती है। गाय के दूध में सामान्य दूध की ही तरह ही प्रदूषण का असर हो सकता है, मसलन कीटनाशक और कृत्रिम खाद के अंश चारे के साथ गाय के पेट में जा सकते हैं। जैविक घी में इस तरह के प्रदूषण से बचने की कोशिश की जाती है। यदि संभव हो तो गाय के दूध में कीटनाशकों और रासायनिक खाद के अंश की जाँच कराई जा सकती है। जिस तरह हर चीज़ की अति बुरी होती है,इसी तरह घी का प्रयोग भी संतुलित मात्रा में ही किया जाना चाहिए।
घी खाएं या नहीं
यदि आप स्वस्थ हैं तो घी जरूर खाएँ, क्योंकि यह मक्खन से अधिक सुरक्षित है। इसमें तेल से अधिक पोषक तत्व हैं। आपने पंजाब और हरियाणा के निवासियों को देखा होगा। वे टनों घी खाते हैं लेकिन सबसे अधिक फिट और मेहनती हैं। यद्यपि घी पर अभी और शोधों के नतीजे आने शेष हैं लेकिन प्राचीनकाल से ही आयुर्वेद में अल्सर, कब्ज, आंखों की बीमारियों के साथ त्वचा रोगों के इलाज के लिए घी का प्रयोग किया जाता है।
क्या रखें सावधानियाँ
भैंस के दूध के मुकाबले गाय के दूध में वसा की मात्रा कम होती है इसलिए शुरू में निराश न हों। हमेशा इतना बनाएँ कि वह जल्दी ही खत्म हो जाए। अगले हफ्ते पुनः यही प्रक्रिया दोहराई जा सकती है। गाय के दूध में सामान्य दूध की ही तरह ही प्रदूषण का असर हो सकता है, मसलन कीटनाशक और कृत्रिम खाद के अंश चारे के साथ गाय के पेट में जा सकते हैं। जैविक घी में इस तरह के प्रदूषण से बचने की कोशिश की जाती है। यदि संभव हो तो गाय के दूध में कीटनाशकों और रासायनिक खाद के अंश की जाँच कराई जा सकती है। जिस तरह हर चीज़ की अति बुरी होती है,इसी तरह घी का प्रयोग भी संतुलित मात्रा में ही किया जाना चाहिए।
कैसे बनाएँ घी
हमारे देश में पहले घर-घर घी बनाने की परंपरा थी, लेकिन अब कई कारणों से ऐसा संभव नहीं रहा। रूटीन से थोड़ा हटते हुए घर पर बनाएँगे तब इसके गुणों के आगे घी बनाने के सारे कष्ट भूल जाएँगे।
- एक लीटर गाय के दूध को उबालकर ठंडा होने दें।
-रूम टेम्परेचर पर इसमें एक चम्मच दही मिला दें।
-रातभर के लिए ढँककर रखा रहने दें।
-सुबह दही पर जमी मलाई की परत उतारकर अलग रख लें। मलाई फ्रिज में रखें।
-सात दिन तक दही की मलाई इकट्ठा करें।
-फ्रिज से निकालकर रखें, रूम टेम्परेचर पर आने का इंतजार करें।
-मथानी से १०-१५ मिनट तक बिलोएँ।
-बिलोने के दौरान दो कटोरी पानी मिलाएँ।
- जब झाग निकलने लगे तब इसे किसी बारीक छन्नी से छान लें।
"घी स्मृति, मेधा, ऊर्जा, बलवीर्य, ओज, कफ और वसावर्धक है। यह वात, पित्त, बुखार और विषैले पदार्थों का नाशक है" -चरक संहिता(डॉ. संजीव नाईक,सेहत,नई दुनिया,जनवरी तृतीयांक 2012)
अच्छी जानकारी...
जवाब देंहटाएंसहमत हूँ पूरी तरह...
घी के बारे मै पहली बार अच्छी जानकारी पढी ।
जवाब देंहटाएंसक्सेस स्टोरी ऑफ़ समीर गेहलोत
आप निमंत्रीत है नया लेख पढने के लिए ।
देसी घी के बारे में यह पढ़कर अच्छा लगा.
जवाब देंहटाएंकुछ गडबड है - भारतीय नागरिक - मेरी टिप्पणी "घी.." खिलेश जी द्वारा लिखी दिखाई दे रही है.
जवाब देंहटाएंसच में ...हमारे परिवारों में तो हमेशा घी घर पर ही बनाने की परम्परा रही है.... बढ़िया जानकारी दी.....
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंghar ka bana ghee he achha hota hai bhai...badhiya jankari....
जवाब देंहटाएंhttp://easybookshop.blogspot.com
बहुत ही उपयोगी जानकारी
जवाब देंहटाएंghee ke vishya me achchi jankari mili.
जवाब देंहटाएंbahit dino se band kiya hua tha aaj hi khaungi.
जवाब देंहटाएंघी खाने के कारन बता दिए - आभार.
जवाब देंहटाएंभोजन में उचित मात्रा में सेचुरेतड फैट का होना भी ज़रूरी है . हालाँकि अत्यधिक मात्रा से कोलेस्ट्रोल बढ़ने का खतरा रहता है .
जवाब देंहटाएंलेकिन यदि दूध ही मिलावटी हो तो घर का बना घी भी दूषित हो सकता है .
बहुत अच्छी जानकारी दी है आपने |
जवाब देंहटाएंआशा
देशी घी पर एक खोजपरक संतुलित आलेख .माहिर भी अब जीरो फेट की वकालत नहीं करते हैं .
जवाब देंहटाएंWelcome to www.funandlearns.com
जवाब देंहटाएंYou are welcome to Fun and Learns Blog Aggregator. It is the fastest and latest way to Ping your blog, site or RSS Feed and gain traffic and exposure in real-time. It is a network of world's best blogs and bloggers. We request you please register here and submit your precious blog in this Blog Aggregator.
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घी सीधे दही को मथ कर बनाते हे ।
जवाब देंहटाएंKya koi bta skta h k.ghar ka bna desi ghee 3 sal tk store krke rkh skte h or fr use kr skte
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