सोमवार, 2 जनवरी 2012

मालिश से दूर करें तनाव और थकान

तनाव व कार्य के अत्यधिक भार की वजह से कई लोग हरदम थकान व बोझिल महसूस करते हैं। आधुनिक चिकित्सा विज्ञान ने भी इसके चिकित्सकीय महत्व को स्वीकार किया है। 

नवजात बच्चे की मालिश की जाती है ताकि उसे गहरी नींद आए व शरीर का विकास त़ेजी से हो। बुजुर्ग व्यक्ति मालिश से वात व अन्य रोगों से मुक्ति पाते हैं। शरीर की संपूर्ण मांसपेशियों का तनाव दूर होता है व रक्त संचार की गति त़ेज हो जाती है। त्वचा विषैले पदार्थों को रोमछिद्रों के जरिए शरीर के बाहर निकालती रहती है। इससे त्वचा की रोग प्रतिरोधक क्षमता में अपार वृद्धि होती है, साथ ही इसमें स्निग्धता भी आती है। रोमछिद्रों के नीचे स्वेद ग्रंथियाँ होती हैं, मालिश से उनकी कार्यक्षमता भी बढ़ जाती है। नियमित मालिश करने से थकावट पैदा करने वाले लेक्ट्रिक अम्ल तेजी से निष्कासित होते हैं। मालिश से बुढ़ापे को चकमा दिया जा सकता है। तेल से मालिश से चेहरा सुंदर होता है व उस पर झुर्रियाँ लंबे समय तक नहीं पड़ती। आँखों की ज्योति बढ़ती है। रक्त संचार तेज होने से पूरे शरीर को पोषक तत्व और ऑक्सीजन प्राप्त होते हैं मालिश से शरीर के उत्सर्जन अंगों की कार्यक्षमता में वृद्धि होती है और वे शरीर से विषैले पदार्थों का निष्कासन तेजी से करते हैं जिससे शरीर की चयापचय क्रिया संतुलित होती है। मसूड़ों को मालिश करने से दाँतों की जड़ मजबूत होती है। दाँतों को ब्रश करने के साथ ही मसूड़ों की प्रतिदिन मालिश करने से दाँत जीवन भर साथ नहीं छोड़ते हैं। 

कैसे करें 
मालिश करने के पूर्व शौच से निवृत्त हो जाना चाहिए। फर्श पर चादर बिछाकर स्वयं मालिश करें। धूप में मालिश करते समय पीठ करके बैठे। रीढ़ पर मालिश हेतु पर्याप्त समय देना चाहिए। मालिश इस प्रकार से करना चाहिए कि हृदय की ओर अधिकतम रक्त प्रवाह हो।

सिर की मालिश
सिर पर मालिश करने से चमत्कारिक लाभ मिलता है, इससे मानसिक थकान दूर होती है। रात को सोने से पहले तलवे की मालिश करने से थकान दूर होती है और गहरी नींद आती है। आँखों की ज्योति भी बढ़ती है। सोने से पहले पेड़ू पर खाद्य तेल मौसम व शरीर की प्रकृति के अनुसार लगाकर बहुत हल्की मालिश करने से कब्ज से मुक्ति मिलती है।  

कौन सा तेल 
मालिश के लिए तिल, सरसों, मूँगफली, बादाम, जैतून, अरंडी तेल आदि का मौसम व शरीर की प्रकृति के अनुसार चुनाव किया जा सकता है। प्रकृति के अनुसार महानारायणादि तेल, ब्राह्मी तेल, महामरिचादि तेल व अश्वगंधादि तेल का प्रयोग किया जा सकता है। नीले, लाल व पीले रंग से तप्त तेलों से भी मालिश चिकित्सा का लाभ लिया जा सकता है, क्योंकि सूर्य की रोशनी द्वारा तप्त तेल के माध्यम से शरीर निरोगी व स्वस्थ रहता है(डॉ. जगदीश जोशी,सेहत,नई दुनिया,दिसम्बर 2011 पंचमांक)।

6 टिप्‍पणियां:

  1. पुआरने लोगों को मालिश से बड़ा लगाव था ..आज राज़ पता चला मालिश के फायदे पढ़ कर .. अच्छी प्रस्तुति

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  2. स्वस्थ रहने के लिए मालिश तो अच्छा उपाय है ...आभार

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  3. बहुत अच्छी जानकारी। आप बहुत अच्छा काम कर रहे हैं। आभार।

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  4. बेनामीजनवरी 02, 2012

    बहुत अच्छी जानकारी

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  5. bahut laabhprad jaankari di hai aapne aabhar.
    nav varsh ki shubhkamnayen.

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