मधुमेह के इलाज का मतलब सिर्फ शुगर पर नियंत्रण नहीं है। मधुमेह के कारण और भी बहुत से रोग जन्म ले लेते हैं। इतना ही नहीं मधुमेह से पीड़ित मरीजों के पांवों को भी नुकसान हो सकता है। अगर पैरों का ख्याल न रखा जाए तो इन्हें काटने की नौबत भी आ सकती है। इसलिए मधुमेह में पैरों की देखभाल पहले जरूरी है। मृदुला भारद्वाज का आलेखः
आज 50 हजार से भी अधिक मधुमेह मरीजों को अपने पैर खोने पड़ते हैं। और पैरों के बिना मधुमेह का इलाज असंभव है क्योंकि शुगर पर कंट्रोल के लिए टहलना बहुत जरूरी है। इसलिए मधुमेह का इलाज भी पैरों से शुरू होता है और सबसे ज्यादा ख्याल भी पैरों का ही रखा जाता है। जैसे-जैसे मधुमेह बढ़ता है वैसे ही पैरों की नसों पर प्रतिकूल असर भी बढ़ता जाता है। इसलिए मधुमेह के मरीजों को खुद भी सचेत रहना चाहिए।
लक्षण
-पैरों की संवेदना इतनी कम हो जाती है कि किसी भी तरह की चुभन का अहसास नहीं होता।
-पैरों में गर्म चीजों का अहसास नहीं होता।
-बिना जोड़ों में सूजन के पैर सुन्न पड़ जाते हैं।
-पैरों की संवेदना खत्म हो जाती है।
-पैरों में सूजन
पैरों में खुला घाव आदि
-पैरों के नाखूनों के आसपास बदलाव
पैरों की संरचना और रंग में बदलाव
-पैरों में कंपन या झनझनाहट
-पैरों में बहुत ज्यादा थकान महसूस होना
-पैरों में जलन
बरतें ये सावधानियां
-हमेशा जुराब पहनें। जुराब हमेशा मोटे और अच्छे हों। याद रहे कि हमेशा धुला हुआ जुराब ही पहनें।
-जूता पहनने से पहले अवश्य देख लें कि कहीं कोई चुभने वाली चीज जूते के अंदर न हो।
जूते टाइट न हों। टाइट जूते पहनने से पैरों में घाव हो सकता है।
मधुमेह रोगी हमेशा शाम के समय ही जूता खरीदें, क्योंकि डायबिटीज के मरीजों के पैर दिन भर चलने के कारण थोड़े फूल जाते हैं। इसलिए मरीजों को उसी समय और उसी साइज के जूते खरीदने चाहिए।
-अपने नाखूनों को काटने में सावधानी बरतें।
-सर्दी में गर्म पानी की बोतल पर पांव कतई न रखें और न ही गर्म पानी में अपने पैर डालें। हमेशा गुनगुने पानी से ही पैरों की सफाई करें। पैरों को अच्छी तरह से साफ करें और उन्हें सूखा रखें।
-किसी भी तरह के तंबाकू के सेवन से दूर रहें।
-उच्च रक्तचाप व उच्च कोलेस्ट्रॉल वाले मधुमेह रोगियों को अपने पैरों का खास ख्याल रखना चाहिए।
-पैरों पर ज्यादा दबाव न पड़ने दें। और पैरों को लटकाकर न बैठें। उन्हें ऊंचा रखें।
-किसी भी तरह के तंग कपड़े न पहनें जिससे खून के प्रवाह में रुकावट आए।
-शुगर लेवल को कंट्रोल करने के लिए नियमित टहलें और व्यायाम करें।
-सूखी और परतदार त्वचा पर माइश्चराइजर जरूर लगाएं और हमेशा कॉटन की जुराबें ही पहनें।
-अपने पैरों की नियमित जांच करें।
-पैरों में पड़े कट्स, क्रेक और नाखूनों की अच्छे से जांच करें। पैरों की अंगुलियों के बीच और तलवों को अवश्य देखते रहना चाहिए।
-अगर संभव हो तो किसी अन्य से भी अपने पैरों की जांच करवाएं।
-मधुमेह के मरीज कभी भी नंगे पैर न घूमें। इससे आपके पैरों में चोट लग सकती है और घाव होने पर कीटाणु आपके शरीर में आसानी से प्रवेश कर सकते हैं।
-हमेशा आरामदायक जूते ही पहनें और पंजों पर दबाव न पड़ने दें। नियमित अंतराल पर जूते-चप्पल-जुराब बदलते रहें।
-हवाई चप्पल किस्म के फुटवियर न पहनें। फुटवियर में पंजे की तरफ का हिस्सा खुला हुआ और चौड़ा होना चाहिए।
-मधुमेह के मरीजों के लिए आईने में चेहरा निहारना इतना जरूरी नहीं है, जितना कि पैर। मधुमेह का कोई भी लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें(हिंदुस्तान,दिल्ली,29.12.11)।
बहोत जानकारी भरा लेख । मधुमेह रोगी को यह भी देखना होगा कि कही कुछ चोट नही लगे ।
जवाब देंहटाएंहिन्दी दुनिया ब्लॉग
very nice post. thanks.
जवाब देंहटाएंउपयोगी जानकारी के लिए आभार
जवाब देंहटाएंध्यान देने की जगह न तो चेहरा है और न ही पांव
जवाब देंहटाएंये दोनों कुछ भी काम नहीं आते।
ध्यान उस जगह दो जो काम आती है और मधुमेह के रोगी का तो ध्यान ही वहां लगा रहता है।
आप हमारे ब्लॉग पर आये तो हमें भी आना ही पड़ा मगर यह ब्लॉग हंसी मज़ाक़ के लिए कुछ ठीक नहीं है
बार बार आएंगे तो यहां हंसी के फ़व्वारे छूटने लगेंगे
पीडितों के लिए बहुत ही अच्छे सुझाव हैं ...
जवाब देंहटाएंमधुमेह रोगियों के लिए बहुत अच्छा.
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