रविवार, 1 जनवरी 2012

नववर्ष विशेषःश्वास-नियंत्रण से रहें प्रसन्न

साँस लेना जिंदा रहने की एक स्वाभाविक प्रक्रिया है। जब हम उत्तेजित होते हैं तब साँसें बहुत तेज गति से चलने लगती हैं और शांत अवस्था में इनकी गति धीमी हो जाती है। इसको इस तरह भी कहा जा सकता है कि यदि प्रयत्नपूर्वक धीमी गति से साँस लेंगे तो तनाव शिथिल होगा। 

प्राणायाम और अनुलोम विलोम की सभी प्रक्रियाएँ तनाव शैथिल्य के कारगर उपाय समझे जाते हैं। यदि आप दाहिने ओर के नथुने को बंद कर बाईं तरफ के नथुनों से साँस लेते हैं तो तनाव दूर होता है, इसी के उलट दाहिने नथुने से साँस लेने पर तत्काल ऊर्जा हासिल होती है। हम अपनी सामान्य जिंदगी में फेफड़ों का पूरी क्षमता से कभी इस्तेमाल ही नहीं करते। इसके लिए अलग से किए गए अभ्यास से यह फायदा होगा कि धीरे-धीरे यह आदत में शामिल हो जाएगा। बुरी आदतों को दूर करने में भी प्राणायाम की क्रियाएँ सहयोग कर सकती हैं। बुरी आदतों के पैटर्न को हमेशा के लिए तोड़ने में साँसों का महत्वपूर्ण स्थान है। मस्तिष्क में गहरे तक जम चुकी आदतों को केवल योगाभ्यास से ही दूर किया जा सकता है। 

फायदा...
-शरीर में ऑक्सीजन का बहाव बढ़ेगा। इससे शरीर के प्रत्येग अंग में नई ऊर्जा का संचार होगा और रोगविहीन शरीर हासिल होगा। मन की उद्विग्नता शांत होगी।

-फेफड़ों में पहले से जमा विषैले पदार्थ बाहर निकलेंगे।

-एंडोर्फिन का उत्पादन बढ़ेगा जिससे अवसाद दूर होगा।

-फेफड़ों को अतिरिक्त फुलाने से एकाग्रता, धैर्य, लचीलापन तथा प्रतिरोध शक्ति बढ़ेगी। इससे पिट्यूटरी ग्रंथि का स्राव बढ़ेगा जिससे अंतर्दृष्टि भी बढ़ेगी।

-इससे रीढ़ की हड्डी के स्राव का बहाव मस्तिष्क की ओर बढ़ेगा जिससे संपूर्ण शरीर की ऊर्जा में भी वृद्धि होगी।

-आभामंडल बढ़ेगा और असुरक्षा की भावना खत्म होगी साथ ही भय भी जाता रहेगा।

-रक्त शुद्धि होगी।

-नकारात्मक भावनाओं पर नियंत्रण हो सकेगा और जिससे बुरी आदतों पर लगाम लगेगी। पुराना ढर्रा भी टूट सकेगा।

कैसे करें 
-पद्मासन अथवा सुखासन में रीढ़ की हड्डी बिलकुल सीधी रखते हुए बैठें।

-दाहिने नथुने को सीधे हाथ के अँगूठे से बंद कर लें। शेष अँगुलियों को आकाश की ओर रखें।

-बाएँ नथुने से फेफड़ों में साँस भरकर अंदर रोक लें। इस नथुने को अंगुलियों की मदद से बंद कर लें। धीरे-धीरे साँस दाहिने नथुने से बाहर निकाल दें।

-अब दाएँ नथुने से साँस अंदर की ओर भरें। अँगूठे की मदद से इसे बंद कर लें और थोड़ी देर रुककर बाएँ नथुने से बाहर निकाल दें। ऐसा ५ से १० मिनट तक नियमित रूप से करें। 

लंबी और गहरी साँस
फेफड़ों से पूरी क्षमता का काम लेना हो तो उसे ऑक्सीजन से भरना जरूरी है। इसके लिए लंबी और गहरी साँस ही मुफीद होगी। स्वास और प्रच्छवास दोनों लंबे और धीमी गति से पूर्ण किए जाने चाहिए। आमतौर पर ऐसा सिर्फ नाक से साँस लेने पर ही किया जा सकता है। मुँह से साँस लेकर भी इसकी गति को धीमे किया जा सकता है लेकिन अपेक्षित परिणाम नहीं मिलेंगे। 

संतुलन बढ़ेगा
-मस्तिष्क के दोनों हिस्सों का संतुलन बढ़ेगा।
-प्रभावशीलता और शांति में इजाफा होगा।
-मानसिक स्थिति में बदलाव होगा।
-किसी प्रेजेंटेशन अथवा महत्वपूर्ण मीटिंग जिसमें आपके नर्वस होने के अवसर अधिक हों उसमें जाने से पहले ये यौगिक क्रियाएँ अवश्य करें।
-इससे आपको नर्वसनेस पर काबू पाने में मदद मिलेगी।
-आपकी घबराहट शांत रहेगी और आप किसी प्रश्न का उत्तर बिना उत्तेजित हुए दे सकेंगे।
-जीवन में लगातार तनावग्रस्त रहते हों तो प्रतिदिन इन यौगिक क्रियाओं से आपको बहुत फायदा होगा(डॉ. संजीव नाईक,सेहत,नई दुनिया,दिसम्बर,चतुर्थांक 2011)।

13 टिप्‍पणियां:

  1. बेनामीजनवरी 01, 2012

    श्वास-नियंत्रण से रहें प्रसन्न सच ही कहां आपने । आप तो हमारे डॉक्टर हो ।

    हिंदी ब्लॉग
    हिन्दी दुनिया ब्लॉग

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  2. Nice post .

    शांति हमारी आत्मा का स्वभाव और हमारा धर्म है।
    शांति ईश्वर-अल्लाह के आज्ञापालन से आती है।

    नया साल आ गया है,
    नए मौक़े लेकर आया है,

    सबको नव वर्ष की शुभकामनाएं।

    http://www.islamdharma.blogspot.com/2011/12/how-to-perfect-your-prayers-video.html

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  3. साँस भी तभी कष्टदायक लगती है , जब साँस लेने का पता चलने लगता है ।
    नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें ।

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  4. Well done .

    सभी पाठकों और संरक्षकों को नववर्ष की मंगलकामनायें!

    भाषा और प्रेज़ेन्टेशन सभी कुछ दिलकश !!

    http://shekhchillykabaap.blogspot.com/

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  5. नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाओ के साथ आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी प्रस्तुति आज के तेताला का आकर्षण बनी है
    तेताला पर अपनी पोस्ट देखियेगा और अपने विचारों से
    अवगत कराइयेगा ।

    http://tetalaa.blogspot.com/

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  6. राधारमण जी । धन्यवाद पुन: काम की जानकारी पहुंचाने के लिए । क्या संभव है कि इन आसनों का एक चित्र भी उपलब्ध कराया जा सके तो और अधिक उपयोगी साबित होगा

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  7. सुन्दर...योग हमेशा ही सार्थक है.

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  8. योग के फायदों से आपने बहुत ही अच्छे ढंग से परिचय करवाया है ...

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  9. -इससे रीढ़ की हड्डी के स्राव का बहाव मस्तिष्क की ओर बढ़ेगा जिससे संपूर्ण शरीर की ऊर्जा में भी वृद्धि होगी।
    इसी को उर्जा का उर्द्वगमन भी कहते है !
    बहुत अच्छी जानकारी ही नहीं यह मेरा भी स्वानुभव है !

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  10. बहुत अच्छा स्वास्थ्य वर्धक अनुकरणीय आलेख .

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