कमर दर्द की समस्या अब आम बनती जा रही है। हमारी कार्यशैली और शरीर के प्रति लापरवाही इसके लिए ज्यादा जिम्मेदार साबित होती है। अपनी दिनचर्या में कुछ आसनों को शामिल कर और खानपान में थोड़ा सुधार कर इस पर काबू पाया जा सकता है।
आजकल कमर दर्द बहुत ही आम समस्या हो गई है। आश्चर्यजनक तथ्य यह है कि अब यह समस्या बच्चों से लेकर बूढ़ों तक सभी को अपनी चपेट में ले रही है। यह समस्या सामान्य और तीव्र दो रूपों में प्राय: देखी जाती है। यद्यपि सामान्य कमर दर्द कम होता है और रोगी चल-फिर लेता है और अपना दैनिक कार्य भी कमोबेश कर लेता है, किंतु यह समस्या तीव्र कमर दर्द की सूचक है। तीव्र कमर दर्द अत्यंत पीड़ादायी स्थिति होती है, जिसके कारण रोगी पूर्ण रूप से असहाय हो जाता है। इसमें स्पांडिलाइटिस, सायटिका या स्लिप डिस्क आदि आते हैं।
वस्तुत: यह समस्या उन लोगों को ज्यादा होती है, जो एक जगह अधिक देर तक बैठे रहने वाला कार्य करते हैं या जिनके जीवन में व्यायाम की कमी होती है। जो लोग मोटे होते हैं या जिनका पेट ज्यादा बाहर निकला होता है, उनमें भी यह समस्या पाई जाती है।
आधुनिक चिकित्सा विज्ञान ने कमर दर्द जैसी समस्या को बहुत ही जटिल बना दिया है, जबकि योग कष्टप्रद स्थिति में भी सरल, प्रभावशाली और स्थायी उपचार प्रदान करता है। अत्यधिक तीव्र कमर दर्द में जब पीठ का हिलाना-डुलाना बिल्कुल संभव न हो, एक पड़े बिछावन पर पेट के बल लेट जाना चाहिए। इस स्थिति में मकरासन भी किया जा सकता है, जो डिस्क और स्नायु पर पड़ने वाले दवाब को कम कर रोग को जल्दी दूर करने में मदद करता है।
जैसे-जैसे दर्द कम होता जाए, मकरासन के साथ-साथ प्रारंभिक भुजंगासन का अभ्यास प्रारंभ कर देना चाहिए। प्रारम्भ एक या दो आवृत्तियों से करना चाहिए। धीरे-धीरे आवृत्तियों की संख्या 5 से 7 तक की जा सकती है। जब यह आसन अच्छी तरह होने लगे तो क्रमश: अर्धशलभासन, सुप्त वज्रासन आदि का अभ्यास करना भी करना चाहिए।
अर्धशलभासन के अभ्यास की विधि
पेट के बल जमीन पर सीधा लेट जाएं। ठुड्डी तथा हथेलियां जांघों के नीचे रखिए। अब दायें पैर को बिना मोड़े हुए सीधा जमीन से ऊपर यथासंभव उठाइये। आरामदायक अवधि तक इस स्थिति में रुक कर वापस पूर्व स्थिति में आइए। यही क्रिया बाएं पैर से भी कीजिए। प्रारम्भ में इसकी एक या दो आवृत्ति कीजिए। धीरे-धीरे आवृत्तियों की संख्या 8 से 10 तक बढ़ाइए।
कमर दर्द की समस्या से ग्रस्त लोगों को जमीन पर पालथी मार कर पद्मासन, सिद्धासन या सुखासन में नहीं बैठना चाहिए। ऐसे लोगों को यदि जमीन पर बैठना पड़े तो वज्रासन पर बैठना चाहिए अन्यथा कुर्सी या बैड पर बैठना बेहतर साबित होता है।
तीव्र कमर दर्द से पीड़ित लोगों को कपालभाति जैसे प्राणायाम का अभ्यास नहीं करना चाहिए, क्योंकि ये क्रियाएं कमर दर्द को बढ़ा देती हैं। इस समस्या से ग्रस्त लोग नाड़ीशोधन, उज्जायी, भ्रामरी या अन्य गहरी श्वसन क्रिया का अभ्यास कर सकते हैं। अच्छा हो कि इन क्रियाओं को पहले किसी योग विशेषज्ञ से सीख लें, ताकि गलत तरीके से होने वाली योग क्रियाओं के नुकसान से बचा जा सके।
नाड़ीशोधन के अभ्यास की विधि
वज्रासन या कुर्सी पर सीधे बैठ जाइए। दायें हाथ के अंगूठे को दायीं नासिका पर तथा तीसरी अंगुली को बायीं नासिका पर रखिए। अब दायीं नासिका को बंद कर बायीं नासिका से दीर्घ तथा गहरी श्वास लीजिए। तत्पश्चात् दायीं नासिका से दीर्घ श्वास अंदर लेकर बायीं नासिका से दीर्घ श्वास बाहर निकालिए। यह नाड़ीशोधन की एक आवृत्ति है। इसकी 6 से 24 आवृत्तियों का अभ्यास कीजिए।
भोजन
प्रारम्भ में हल्का तथा अर्धतरल भोजन जैसे सब्जी का रस या खिचड़ी लेना चाहिए। कुछ दिनों बाद धीरे-धीरे आहार में चावल, दाल, सब्जी एवं रोटी शामिल कर लेना चाहिए। ऐसे सभी भोजन, जिनसे कब्ज होती है जैसे मांस, पनीर, तेल में तली हुई वस्तुएं एवं ज्यादा प्रोटीनयुक्त चीजें जैसे अंडा, दूध या घी आदि नहीं लेना चाहिए।
सात्विक आहार पर निर्भरता बढ़ाएं। मसाले भी पाचन क्रिया में मुश्किलें पैदा करते हैं, इसलिए मसाले से भी बचना चाहिए। तेल का भी सेवन कम से कम करें(कौशल कुमार,हिंदुस्तान,दिल्ली,7.12.11)।
Umda post hamesha ki tarah .
जवाब देंहटाएंबहुत लाभदायक है। जितने भी प्रकार के बैकवार्ड बेंडिंग वाले एक्सरसाइज़ हैं, सभी लाभदायक होते हैं।
जवाब देंहटाएंसात्विक आहार पर निर्भरता बढ़ाएं।
जवाब देंहटाएंस्वास्थ्य का हितचिंतन करती पोस्ट!! सात्विक आहार आरोग्य के लिए लाभदायक है।
बढ़िया जानकारी के लिये आभार !
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