मधुमेह रोगियों के खून में आमतौर पर शकर सामान्य से ज़्यादा रहती है। परिभाषा के अनुसार रक्त में खाली पेट शकर की मात्रा १२६ से नीचे तथा खाना खाने के २ घंटे बाद २०० से नीचे होना चाहिए।
आमतौर पर इसे खाली पेट ११० के नीचे और भरे पेट १४० से नीचे रखते हैं, यह एक आदर्श स्थिति होती है। चिकित्सक भी मरीज़ को यही सलाह देते हैं तथा दवाइयाँ इसी तरह से एडजस्ट की जाती हैं कि मरीज़ का शुगर लेवल सामान्य रहे। कभी-कभी या तो दवाओं के ओवर डा़ेज की वजह से या मरीज़ के भूखे रहने या अत्यधिक मेहनत के कारण रक्त में शर्करा का स्तर कम हो जाता है। इस स्थिति को हायपोग्लायसीमिया कहते हैं। सामान्य व्यक्ति के रक्त में शकर का स्तर ५० के लगभग हो जाए तो भी सामान्य बना रहता है परंतु मधुमेह के मरीज़ के रक्त में शकर का स्तर ७०-८० भी हो तो भी उसे लो शुगर के लक्षण महसूस होने लगते हैं जैसे-
-पसीना आना, बेचैनी होना एवं हाथ पैर काँपना।
-दिल की धड़कन तेज़ हो जाना।
-कभी-कभी तो मिर्गी का दौरा भी आ सकता है या मरीज़ बेहोश हो सकता है। दिल पर इसका विपरीत असर हो सकता है।
रक्त में शर्करा का स्तर सामान्य से कम होने पर शरीर में कुछ ऐसे हारमोन स्त्रावित होते हैं जो तुरंत उसे सामान्य स्थिति में लाने की कोशिश करते हैं। ये हारमोन हैं ग्लूकेगोन, कार्टिसोन, एड्रिनलिन, थायरॉइड आदि। इन्हीं हारमोन की वजह से लो शुगर के लक्षण सामने आते हैं। ऐसी स्थिति में उसे तुरंत शकर या कोई मीठी चीज़ दे दें। इसके अलावा इन हारमोन का इंजेक्शन लगाने पर भी उसकी स्थिति सामान्य हो जाती है। इस स्थिति से बचने के लिए कुछ ऐसे उपाय ज़रूरी हैं जिससे कि शकर की मात्रा सामान्य बनी रहे।
-अपनी बीमारी का रिकॉर्ड रखें। सामान्य से ज़्यादा मेहनत न करें।
-नियमित जीवनशैली। भोजन में बहुत ज्यादा गेप न दें। यदि इंसुलिन इंजेक्शन लेते हैं तो उसकी मात्रा नियमित करते रहनी चाहिए।
-कभी-कभी लोग पार्टी में जाकर वहाँ दवाई लेने के बजाय घर से ही दवाई ले लेते हैं या इंजेक्शन लगा लेते हैं। किसी वजह से अंतराल ज़्यादा होने पर शुगर लो होने का खतरा रहता है। अतः व्यावहारिक निर्णय लें और अपनी दवाई उचित तरीके से ही लें।
- अपनी बीमारी के बारे में परिजनों, दोस्तों व साथ वालों को अवश्य बताएँ ताकि आपातकालीन स्थिति में उपचार तुरंत शुरू किया जा सके।
ज़्यादा शुगर तो खतरनाक है ही, कम शुगर भी उतनी ही खतरनाक स्थिति पैदा करती है। मधुमेह रोगियों और उनके परिजनों को इससे बचने और निपटने के तरीकों की जानकारी होनी ही चाहिए(डा. मनीष बंदिष्ठे,सेहत,नई दुनिया,दिसम्बर प्रथमांक 2011)।
अच्छी प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबहुत उपयोगी जानकारी.....
जवाब देंहटाएंdiabet to bahut khatarnaak bimari hai...
जवाब देंहटाएंअच्छी और उपयोगी पोस्ट ... मुझे इसकी ज़रूरत थी ..
जवाब देंहटाएंthank u
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