श्रीमती तनेजा का कक्षा सात में पढ़ने वाला बच्चा स्कूल से घर पर आते ही अचानक चक्कर खाकर गिर पड़ा। घबराई हुई तनेजा डॉक्टर के पास भागी। डॉक्टर ने बच्चे का चेकअप किया तो बच्चे में हाई ब्लडप्रेशर पाया गया। सेहतमंद व मोटे बच्चे में ब्लडप्रेशर नजर आने पर डॉक्टर ने जब पूछताछ की तो पता चला कि बच्चा हरी सब्जियाँ व दाल-चावल न खाकर अक्सर मैगी, बर्गर, चाउमिन आदि ही खाता है। जंक फूड के लगातार सेवन के कारण ही बच्चे का मोटापा भी बढ़ गया था।
दरअसल, आजकल की भागदौड़ वाली जिंदगी में जंक फूड आधुनिक खानपान का हिस्सा बन गए हैं। मैकडोनॉल्ड, डोमिनो में बैठकर खाना लोगों की जीवनशैली बनती जा रही है। आधुनिक दिखने की होड़ में जंक फूड एक फैशन बन गया है, जहाँ पिज्जा, बर्गर, आइसक्रीम लोगों के पसंदीदा आहार बन चुके हैं। कामकाजी व गैरकामकाजी महिलाएँ अपने बच्चों को मैगी आदि देकर जल्द से जल्द फुर्सत पाना चाहती हैं। नौकरीपेशा महिलाओं के पास पति व बच्चों के लिए नाश्ता व खाना तैयार करने का समय नहीं है। भागदौड़ भरी जिंदगी में खाना बनाना आसान नहीं है। ऐसे में टू मिनट नूडल्स या जंक फूड ही बनाना आसान पड़ता है। आसानी से बन जाने वाले जंक फूड सुविधाजनक जरूर हैं लेकिन ये बच्चों की सेहत के लिए खतरनाक हैं। खाद्य विशेषज्ञ भी मानते हैं कि जंक फूड सेहत के लिए खतरनाक हैं। बच्चों में मोटापा, डायबिटीज, हाई ब्लडप्रेशर और दिल के रोग का खतरा बढ़ने की मुख्य वजह यही है।
संतुलित
भोजन के लिए घर के बने खाने व नाश्ते के अलावा फल-सब्जी का सेवन जरूरी है। जंक फूड में सभी पोषक तत्व संतुलित मात्रा में नहीं मिलते जिसकी वजह से विकृतियाँ उत्पन्ना होती हैं। छोटे बच्चों के स्वास्थ्य विकास के लिए सभी पोषक तत्वों की जरूरत होती है। बच्चों की शारीरिक वृद्धि और विकास के लिए संतुलित आहार की जरूरत होती है।
जंक फूड के कुप्रभाव को देखते हुए अमेरिका में कंपनियों के खाद्य पदार्थों में सैचुरेटेड फैटी एसिड का प्रयोग कम करने का निर्देश दिया गया है। आईटी सिटी टेक्सास, न्यूयॉर्क, लॉस एंजिल्स में वेंडिंग मशीनों और कैफेटेरिया में जंक फूड की बिक्री पर रोक लगा दी गई है। मेक्सिको के प्राइवेट व सरकारी स्कूलों में जंक फूड की बिक्री पर रोक लगाने का फैसला किया गया है। ब्रिटेन में भी इसी तरह के उपाय किए गए हैं। अब भारत में भी जागरूकता आई है। कुछ समय पूर्व एक गैर सरकारी संगठन द्वारा स्कूलों में जंक फूड की बिक्री पर रोक लगाने की माँग करते हुए एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा है कि क्यों न स्कूल-कॉलेजों में जंक फूड पर पाबंदी लगा दी जाए? जंक फूड के कुप्रभावों के बारे में हमें जल्द से जल्द सजग होना पड़ेगा(अंजु गुप्ता,नई दुनिया,15.12.11)।
मगर हम कब समझेंगे हमारे यहाँ तो एक स्टेटस सिंबल है यह ..
जवाब देंहटाएंजंक फ़ूड ने तो आज -कल हर जगह अपनी जगह मजबूत कर ली है .....विशेषकर युवा -वर्ग और बच्चों के बीच
जवाब देंहटाएंजागरूक करता हुआ आलेख
जंक फ़ूड ने तो आज -कल हर जगह अपनी जगह मजबूत कर ली है .....विशेषकर युवा -वर्ग और बच्चों का बीच
जागरूक करता हुआ आलेख
सबकुछ इंस्टंट चाहिए आजकल तो,
जवाब देंहटाएंपरिणाम भुगतना भी पड़ेगा !
बहुत अच्छी जानकारी है !
एक जागृत करने वाली हितचिंतक पोस्ट!! आभार
जवाब देंहटाएंवाकई खान-पान को व्यक्तिगत सोच कहकर स्वछंद नहीं छोडा जा सकता।
सही लिखा है ... खान पान भी आज के माहोल में तेज़ी से बदल रहा है जो कई बीमारियों को जनम दे रहा है ... जागृत करती हुयी पोस्ट ...
जवाब देंहटाएंजैसे अमेरिका को देर से समझ आया वैसे ही हम को भी देर लगेगी ...
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