सफेद दाग एक ऐसी समस्या जिसे अधिकतर लोग लाइलाज ही मानते हैं। लेकिन कुछ देहाती नुस्खे ऐसे है जिनसे समस्या कैसी भी हो या कितनी भी लाइलाज क्यों न हो उपचार संभव है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं सफेद दाग के कुछ आजमाएं हुए देहाती नुस्खे जिनसे आपको निश्चित ही लाभ होगा।
- आधा किलो चोपचीनी एक लीटर दूध में रात को भिगो दें। सुबह यदि सब दूध सोख ले तो थोड़ा और दूध डालकर आग पर पकाएं। जब चोपचीनी हाथ से छूने पर टूट जाए तो उतार कर के शीशी में भर लें। यह क्रम बनाएं रखें व रोज सुबह यह चूर्ण कर के शीशी भर लें। साथ ही रोज सुबह यह चूर्ण पांच ग्राम चाय वाले चम्मच से एक चम्मच मात्रा थोड़े शहद में मिलाकर खाली पेट चाट कर सेवन करें। चोपचीनी पंसारी की दुकार पर मिल जाती है। यह हल्के गुलाबी सफेद तथा कुछ ब्राउन रंग की वजनी और ठोस लकड़ी होती है। हल्की पोली याने खोखली लकड़ी उपयोगी नहीं होती। इसी के साथ एक प्रयोग और करना होगा। वर्षाकाल जोड़ीदार का एक पंवार, पमाड़ या चौकड़ी आदि नामों से पुकार जाता है। इसके पत्तों को उबाल कर रोटी में भरकर कचौड़ी या परांठे की तरह बनाकर या बेसन में मिलाकर भजिए बनाकर सेवन किया जा सकता है। इन पत्तों का किसी भी विधि से अधिक से अधिक मात्रा में सेवन किया जाना चाहिए। एक माह के अंदर ही त्वचा का रंग बदलने लगता है। छ: माह बाद यह रोग जड़ से गायब हो जाता है।
- बाउची के बीज 50 ग्राम सांप की केंचुल को गौमूत्र के साथ मिट्टी के घड़े में डालकर सात दिन तक रखें। आठवें दिन सिल पर डालकर महीन पीसें और पीसते हुए गौमूत्र छिड़कते जाएं। इसे गाढ़ा रखें। पीसकर छोटी-छोटी टिक्की बनाकर छाया में सुखा लें। इस टिक्की को ताजे गौमूत्र में घिसकर दिन में दो बार सफेद दागों पर लेप कर दें। थोड़े दिन में दाग मिटने लगेंगे। गौमूत्र गाय की बछिया का मिल सके तो अति उत्तम अन्यथा गाय का ही मूत्र प्रयोग में लाना चाहिए। दवा के सेवन काल में तेल, गुड़ व खटाई का सेवन बंद कर दें(दैनिक भास्कर,15.12.11)।
पीड़ितों के लिए तो आपका सुझाव अमूल्य है ,हमारी जानकारी के लिए भी अच्छा है .......आप तो अपनी पोस्ट के माध्यम से समाज सेवा भी कर रहे हैं ........आभार आपका
जवाब देंहटाएंकई दफा पुराने घरेलू नुस्खे वह काम कर देते हैं जो हजारों रुपये की अंग्रेजी दवाई नहीं कर पाती.
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