शुक्रवार, 16 दिसंबर 2011

मोटापे को बाय कहने की तरक़ीब जानें

हाल के बरसों में मोटापा लोगों की एक बड़ी समस्या बन चुका है। जो लोग फिट हैं , वे वजन बढ़ने नहीं देना चाहते और जो मोटे हैं , वे इसे घटाना चाहते हैं। एक्सर्पट्स की सलाह से यहां हम फिट रहने के तरीके बता रहे हैं : 

जानें अपना BMI 
यह जानना बेहद जरूरी है कि असल में फिट किसे कहें। इसका सीधा - सा फंडा है बीएमआई यानी बॉडी मास इंडेक्स। स्वस्थ व्यक्ति के लिए डब्ल्यूएचओ ने 25 और भारत सरकार ने 23 बीएमआई तय किया है क्योंकि भारतीयों के शरीर में पश्चिमी देशों के लोगों के मुकाबले 5 फीसदी फैट ज्यादा होता है। 

कैसे निकालें BMI 
बॉडी मॉस इंडेक्स = वजन ( किलो में ) / लंबाई ( मीटर में ) 2 
अगर आपका वजन 60 किलो है और लंबाई 160 सेंटीमीटर यानी 1.6 मीटर है। 
BMI= 60 / 1.6 x 1.6 = 60 / 2.56 = 23.4(यानि आप फिट हैं)

1 . 23 या इससे कम - फिट
2 . 24 से 25- ओवरवेट
3 . 26 से 30- मोटे
4. 30 से ज्यादा - बेहद मोटे
5 . 19 से नीचे - अंडरवेट 

कमर की चौड़ाई से पता लगाएं रिस्क 
आप ओवरवेट हैं या नहीं , यह पता लगाने का बीएमआई अच्छा तरीका है। अगर आपका बीएमआई तय सीमा से ज्यादा है तो इसका मतलब है कि आपका वजन ज्यादा है , लेकिन क्या आपको पता है कि अगर शरीर के कुछ खास एरिया में यह एक्स्ट्रा फैट हुआ तो यह और भी ज्यादा नुकसानदायक हो सकता है। अब्डॉमेन के पास मौजूद फैट बाकी जगहों पर मौजूद फैट के मुकाबले कहीं ज्यादा खतरनाक है। अगर किसी के दूसरे अंगों के मुकाबले टमी पर फैट ज्यादा है तो इससे टाइप टू डायबीटीज और दिल की बीमारियां होने की आशंका बढ़ जाती है। कहीं अब्डॉमेन पर ज्यादा वेट तो नहीं है , यह जानने के लिए वेस्ट साइज देखा जा सकता है , जो इस तरह है : 

महिलाओं के लिए 
सामान्य : 32 इंच से कम ज्यादा : 32 से 35 इंच बहुत ज्यादा : 35 इंच से ज्यादा 

पुरुषों के लिए 
सामान्य : 37 इंच से कम ज्यादा : 37 इंच से 40 इंच बहुत ज्यादा : 40 इंच से ज्यादा 

वजन घटाने के तरीके 

योग 
वजन कम करने का सबसे सटीक और सरल तरीका है योग। ये आसन वजन कम करने में मददगार हैं : कपालभाति : सांस को तेजी से नाक से बाहर फेंकें , जिससे पेट अंदर - बाहर जाएगा। 5-10 मिनट करें। हाई बीपी वाले धीरे - धीरे करें और कमर दर्द वाले कुर्सी पर बैठकर करें। 

अग्निसार : खड़े होकर पैरों को थोड़ा खोलकर हाथों को जंघाओं पर रखें। सांस को बाहर रोक दें। फिर पेट की पंपिंग करें यानी पेट अंदर खींचें , फिर छोड़ें। स्लिप डिस्क , हाई बीपी या पेट का ऑपरेशन करा चुके लोग इसे न करें। 

उर्ध्व हस्तोत्तानासन : खड़े होकर पैरों को थोड़ा खोलें। हाथों की उंगलियों को फंसाकर सिर के ऊपर उठा लें। सांस निकालें और कमर को लेफ्ट साइड में झुका लें। दूसरी ओर भी करें। 

दुत उत्तानपादासन : कमर के बल लेटकर हाथों को जंघाओं के नीचे जमीन पर रखें। दोनों पैरों को 90 डिग्री तक ऊपर उठाएं। इस प्रकार जमीन पर बिना टिकाए बार - बार पैरों को ऊपर - नीचे करते रहें। कमर दर्द वाले इसे न करें। 

हृदय स्तंभासन : कमर के बल लेटकर हाथों को जंघाओं के ऊपर रखें। सांस भरकर पैरों को उठाएं। सिर और कमर को उठाएं। इस दौरान शरीर का भार हिप्स पर रहेगा। 

द्विपाद साइकलिंग : कमर के बल लेटे - लेटे ही दोनों पैरों को मिलाकर एक साथ साइकलिंग की तरह घुमाएं। थकान होने तक लगातार घुमाते रहें। हाथों को कमर के नीचे रखें। 

 भुजंगासन : पेट के बल लेटकर दोनों हाथों को हिप्स के नीचे रखें। सांस भरते हुए आगे से सिर और छाती को ऊपर उठाकर पीछे की ओर मोड़ लें। 

उज्जायी प्राणायाम : थायरॉइड के मरीजों के लिए यह काफी फायदेमंद है। सीधे बैठकर सांस बाहर निकालें। अब सांस भरते हुए गले की मांसपेशियों को टाइट करें और सांस भरते जाएं। गले से घर्षण की आवाज करते जाएं। फिर नाक से सांस धीरे - से बाहर निकाल दें। 

इन सभी प्राणायाम - आसनों को 8-10 बार दोहराएं। अगर सुबह नियमित रूप से ये आसन किए जाएं तो एक महीने में 5 किलो तक वजन कम हो सकता है। 

नेचरोपैथी 
नेचरोपैथी में वजन कम करने के लिए नेचरल तरीका अपनाया जाता हैं। इसमें तीन स्टेप होते हैं : 

1. मसाज व स्टीम : मसाज के लिए शीशम , ओलिव या सरसों का तेल और जड़ी - बूटियों वाला पाउडर इस्तेमाल किया जाता है। इसके बाद स्टीम दी जाती है। 

2. कटि स्नान : इसके लिए व्यक्ति को अलग - अलग तापमान के पानी में बिठाया जाता है। इससे कब्ज से छुटकारा मिलता है। 

3. स्पेशल पैक : बॉडी पर स्पेशल पैक लगाए जाते हैं। जमीन से दो फुट नीचे से निकाली गई मिट्टी से मड पैक तैयार किया जाता है , जो शरीर से जहरीले पदार्थों को निकालता है। इसमें 12-15 सिटिंग में 5 किलो तक वजन घट सकता है। इसके लिए 2-5 हजार रुपए चार्ज किए जाते हैं। 

आयुर्वेद 
आयुर्वेद में इलाज मुख्यत : जड़ी - बूटियों पर आधारित होता है। यह करीब - करीब नेचरोपैथी जैसा ही है। इसमें भी मसाज और स्टीम बेस्ड तकनीक होती है। मसाज के लिए अदरक , कुलष्ठा व दूसरी बूटियों मिला तेल या पाउडर इस्तेमाल किया जाता है। फिर स्टीम दी जाती है। खास पैक भी लगाया जाता है। इन सब तरीकों से फैट पिघल जाता है। आयुर्वेद में आमतौर पर 10-15 सीटिंग में पांच किलो तक वजन घट सकता है। 5 हजार से 20 हजार रुपये तक चार्ज किए जाते हैं। इसका फायदा यह है कि शरीर ढीला नहीं पड़ता और वजन अचानक वापस नहीं आता। डॉक्टर की सलाह से त्रिफला , आयोग्यवर्धिनी , घृतकुमारी आदि दवाएं भी ले सकते हैं। 

होम्योपैथी 
खाना खाने के बाद दिन में तीन बार 10-15 बूंदें फायटोलका डिकंड्रा क्यू (Phytolaca Decandra Q) या फ्यूकस वेस क्यू (Fuccus Ves Q) चौथाई कप पानी में लें। कैल्केरिया कार्ब (Calc. Carb.) की 4-5 गोलियां भी दिन में तीन बार ले सकते हैं। ये दवाएं फैट कम करती हैं और नियमित लेने पर दो - तीन महीने में असर दिखने लगता है। इन दवाओं का कोई साइड इफेक्ट नहीं है , फिर भी होम्योपैथ की सलाह से लेना बेहतर है। 

मशीनों का सहारा 
 साइंटिफिक तकनीक में मशीनों द्वारा मसल एक्टिविटी , ब्लड सर्कुलेशन और शरीर की लचक बढ़ाई जाती है। मॉर्निंग वॉकर मशीन : वजन कम करने और हाई बीपी , डायबीटीज जैसी तमाम बीमारियों को दूर करने में मॉर्निंग वॉकर मशीन को काफी मददगार माना जाता है। रोजाना कुछ देर के लिए इसका इस्तेमाल कर दिन की शुरुआत की जा सकती है। वाइब्रेशन : मशीन के जरिए शरीर पर वाइब्रेशंस दी जाती हैं। इससे मांसपेशियों की एक्टिविटी बढ़ती है , जिससे फैट बर्न होता है। हीट थेरपी : शरीर पर पैड लपेटकर हीट दी जाती है। इससे शरीर का ताप बढ़ जाता है , जो बेसिक मेटाबॉलिज्म रेट में इजाफा करता है। 

सिर्फ इन्हीं दोनों तरीकों से वजन कम करने से स्किन ढीली होने का खतरा होता है। उसके लिए मसाज की सलाह दी जाती है। मशीनी तरीकों से वजन कम करने के लिए दो से तीन हजार रुपये चार्ज किए जाते हैं। लाइपो - आर : यह थेरपी किसी एक हिस्से से फैट घटाने में मददगार होती है। मसलन अगर पेट पर ज्यादा चर्बी है तो फौरन एक - दो इंच तक पेट कम हो जाता है। महीने भर में कुल तीन इंच तक का फर्क हो सकता है। इसमें किसी तरह का कट या सर्जरी नहीं होती। इसमें 10 से 15 हजार रुपए खर्च आता है। 

सर्जरी 
बेहद मोटे लोगों यानी जिन्हें 35-40 किलो वजन घटाना होता है , वे सर्जरी करा सकते हैं। 

लाइपोसक्शन : इसमें शरीर से फालतू फैट को निकाला जाता है। 

बैरिएट्रिक सर्जरी : इस सर्जरी को करने के कई तरीके हैं। इनमें जो सबसे पॉप्युलर है , उसमें पेट के साइज को कम कर दिया जाता है , जिससे कम खाने के बाद ही इंसान की संतुष्टि हो जाती है। यह सर्जरी उन लोगों के लिए है जो बहुत ज्यादा मोटे हैं और जिन्हें मोटापे की वजह से डायबीटीज और हाई बीपी जैसे समस्याओं ने घेर रखा है। कुछ समय पहले बीजेपी अध्यक्ष नितिन गडकरी ने इसी सर्जरी को कराया था। 

स्टमक बाइपास : पेट में एक पाउच बनाकर सीधे इंटेस्टाइन से जोड़ दिया जाता है। इससे ज्यादा कैलरी एब्जॉर्ब नहीं होती। सिलिकॉन बैंड : पेट में सिलिकॉन बैंड फिट कर दिया जाता है। इससे पेट भरा लगता है और भूख कम लगती है। 

उम्र और मोटापा 
 50 साल के आसपास का समय महिलाओं और पुरुषों दोनों के लिए महत्वपूर्ण है। इस उम्र में अकसर मोटापा आने लगता है। दरअसल , महिलाओं में इस उम्र में मासिक धर्म बंद होने वाला होता है और उनकी हॉर्मोंस प्रक्रिया में बदलाव आने लगता है। इस उम्र में थकावट आदि रहने से महिलाएं आरामपरस्त हो जाती हैं और उनके शरीर का वजन धीरे धीरे बढ़ने लगता है। 
दूसरी तरफ पुरुषों को इस उम्र में दमा , खांसी , गठिया , जोड़ों का दर्द आदि हो जाते हैं , जिससे उनकी जिंदगी घर के दायरे में ही सिमटकर रह जाती है। यह स्थिति उनके मोटापे का कारण बन जाती है। ऐसे लोगों को महिलाएं हों या पुरुष घर के अंदर ही थोड़ी बहुत एक्सरसाइज , योगासन , प्राणायाम करते रहना चाहिए , जिससे वजन पर कंट्रोल रखा जा सके। 

किसे कितनी कैलरी की जरूरत 
उम्र-रोजाना जरूरी कैलरी 
एक साल तक-100 कैलरी प्रति किग्रा शरीर के वजन के मुताबिक 
1-3 साल-1200 
4-6 साल-1500 
7-9 साल-1800 
10-12 साल-2100 
13-15 साल (लड़के)-2500 
13-15 साल (लड़की)-2200 
16-18 साल (लड़के)-3000 
16-18 साल (लड़की)-2200, पुरुष (हल्की मेहनत करने वाले)-2200 पुरुष (भारी मेहनत करने वाले)-3400 महिलाएं (हल्की मेहनत करने वाली)-1900 महिलाएं (भारी मेहनत करने वाली)-2800 

किसके बजाय क्या खाएं : 
 - वाइट ब्रेड सैंडविच के बदले होल वीट या ब्राउन ब्रेड -भरवां परांठा के बदले भरवां रोटी 

- पुलाव / बिरयानी / वाइट राइस के बदले ब्राउन राइस ( मांड निकला ) 

 -समोसे / पकौड़े के बदले इडली / उपमा / पोहा 

- मिठाई के बदले गुड़ / सूखे मेवे -कोल्ड ड्रिंक के बदले नारियल पानी / नीबू 

- पानी -दूध वाली चाय के बदले हर्बल टी / लेमन टी 

-फुल क्रीम दूध के बदले डबल टोंड दूध 

-जूस के बदले संतरा / मौसमी 

 -मीठी लस्सी के बदले छाछ 

- पनीर के बदले पनीर ( टोंड मिल्क से बना )/ टोफू 

- अंडा ( फुल ) के बदले अंडे का सफेद हिस्सा 

5 टॉप गलतियां , जो बढ़ाती हैं वजन 
1- कम बार खाना , पर खूब खाना 
कुछ लोगों को लगता है कि बार - बार खाने से बेहतर है , दिन में सिर्फ तीन बार खाना। ऐसे में ज्यादा भूख लगती है और लोग ज्यादा कैलरी ले जाते हैं। मसलन अगर ब्रेकफास्ट सुबह 9 बजे और लंच दोपहर 2 बजे लेंगे तो भूख ज्यादा लगेगी और लंच में ज्यादा खाना खाएंगे। बीच में 11 या 11:30 बजे अगर फल या ड्राइफ्रूटस या कोई और हेल्दी चीज खा लेंगे तो लंच में खाना कम खाएंगे। हेवी डिनर भी वजन बढ़ने की अहम वजहों में से है। रात में हल्का खाना खाएं। 

 2- वीकएंड पर दावत
कई लोग हफ्ते में पांच - छह दिन डाइटिंग करते हैं , मसलन लिक्विड डाइट पर रहते हैं , फल सब्जी खाते हैं पर वीकएंड पर जमकर खाते हैं। उन्हें लगता है कि एक दिन खुलकर खाने से क्या फर्क पड़ता है। यह सही नहीं है। इससे पूरे हफ्ते का संयम बेकार जाता है और एक ही दिन में हफ्ते भर में की कैलरी शरीर में लौट आती हैं। 

 3- खाने के बाद मीठा 
ज्यादातर लोगों के घर में खाने के बाद मीठे का चलन है। यह कॉम्बिनेशन और कैलरी , दोनों लिहाज से गलत है। गलत कॉम्बिनेशन इसलिए कि भारी कार्बोहाइड्रेट या फैट के बाद शुगर नहीं खाना चाहिए। साथ ही मिठाई में मौजूद कैलरी सेहत के लिए नुकसानदेह हैं। खाने के बाद मीठे का मन है तो गुड़ ले लें , लेकिन कम। गुड़ में मौजूद आयरन सेहत के लिए अच्छा है। सौंफ और किशमिश ले सकते हैं। सौंफ खाना पचाने में मदद करती है और किशमिश सीधे ग्लूकोज में नहीं बदलती। 

 4- शुगर - फ्री चीजें 
आजकल शुगर - फ्री या डाइट आइटम फैशन में हैं। कई लोग नेचरल शुगर न लेकर शुगर - फ्री लेते हैं। इससे वे चीनी के जरिए मिलनेवाली कैलरी से तो दूर रहते हैं पर लंबे वक्त तक शुगर - फ्री लेना अच्छा नहीं है। शुगर - फ्री आइटम्स में आर्टिफिशल चीजें होती हैं , जिन्हें लंबे समय तक नहीं खाना चाहिए। 

5- बिंज ईटिंग की आदत 
एक टॉफी या चॉकलेट से क्या होता है , यह बात अक्सर लोग बोलते हैं , लेकिन यही छोटी चीजें मोटापे की वजह बनती हैं। हाई कैलरी स्नैकिंग ( पकौड़े , समोसे , नमकीन , बिस्कुट आदि ) और बिंज ईटिंग ( बीच - बीच में छुटपुट खाना ) की आदत वजन बढ़ने की बड़ी वजहों में से हैं। जो लोग चॉकलेट के शौकीन हैं , वे डार्क चॉकलेट की बजाय वेफर वाली चॉकलेट खाएं। स्नैक्स में मुरमुरे , रोस्टेड ( भुने हुए ) स्नैक्स या नॉर्मल पॉपकॉर्न ले सकते हैं। 

कैसी हो आपकी डाइट 
वजन घटाने के लिए सही वक्त पर सही खाना बेहद जरूरी है। 

तीनों वक्त खाना खाएं 
अगर वजन घटाना चाहते हैं तो सबसे पहले जरूरी है कि कोई भी खाना छोड़ें नहीं। तीन प्रॉपर मील और बीच में दो स्नैक्स जरूर लें। कोई खाना छोड़ेंगे तो अगली बार ज्यादा खाएंगे , जो सही नहीं है। 

दिन की शुरुआत 
दिन की शुरुआत कॉफी या चाय से न करें। नीबू पानी , नारियल पानी , जूस लिया जा सकता है। 

ब्रेकफास्ट पर फोकस 
दिन भर के खाने में सबसे ज्यादा फोकस ब्रेकफास्ट पर होना चाहिए। अक्सर लोग वजन कम करने की धुन में ब्रेकफास्ट नहीं लेते लेकिन रिसर्च कहती हैं कि अगर नियमित रूप से ब्रेकफास्ट लिया जाए तो लंबी अवधि में वजन कम होता है। नाश्ते में हमेशा एक जैसी चीजें न खाएं , बल्कि बदलते रहें। 

जल्दी करें डिनर 
दिन का खाना पूरा होना चाहिए , जबकि डिनर सबसे हल्का। डिनर रात में 8 बजे तक कर लेना चाहिए। ऐसा संभव नहीं है तो भी सोने से दो घंटे पहले खाना जरूर खा लें। राजमा , चावल जैसी चीजें रात में नहीं खाना चाहिए क्योंकि ये आसानी से पचती नहीं हैं। अगर देर रात तक जागते हैं और भूख लगती है तो फ्रूट्स या सलाद खाने चाहिए। 

चीनी और जंक फूड से तौबा 
शुगर , जंक फूड , फास्ट फूड , मिठाइयां खाने की लिस्ट से निकाल दें। कैंडी , जेली , शहद , मिठाई और सॉफ्ट ड्रिंक्स से दूर रहें। इसी तरह बिस्कुट , केक , पेस्ट्री में काफी फैट और रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट होता है , जो मोटापा बढ़ाता है। चीनी ज्यादा नहीं खानी चाहिए। 5 ग्राम (1 चम्मच ) चीनी में 20 कैलरी होती हैं। 

नमक में कटौती 
खाने में ऊपर से नमक न मिलाएं। नमक शरीर में पानी को रोकता है , इसलिए ज्यादा नमक से बचना चाहिए। दिन भर में पांच ग्राम ( करीब एक चम्मच ) नमक काफी होता है। इसमें सब्जी आदि में डाला गया नमक भी शामिल है। दो चम्मच नमक से ज्यादा बिल्कुल नहीं खाना चाहिए। कोशिश करें कि रात में 10 बजे के बाद नमक न लें। सलाद , रायता , ड्राई - फ्रूट्स , नीबू - पानी आदि में नमक से परहेज करें और टेबल सॉल्ट से दूर रहें। हेल्दी खाने का मतलब फीके खाने से नहीं है। 

मसाले 
परंपरागत मसाले न सिर्फ स्वाद बढ़ाते हैं , बल्कि उनमें माइक्रोन्यूट्रिएंट्स , एंटी - ऑक्सिडेंट और फाइबर भी होते हैं। बस इन्हें भूनने के लिए ज्यादा तेल का इस्तेमाल न किया जाए। 

साबुत व छिलके वाली चीजें 
बिना छना आटा खाएं। गेहूं के साथ चने का आटा मिलाने से पाचन अच्छा होता है। गेहूं या जौ का आटा ( बिना छना ), ब्राउन ब्रेड , दलिया , कॉर्न या वीट फ्लैक्स , ब्राउन राइस व छिलके वाली दालें आदि खाएं। अंकुरित अनाज व दालें विटामिन , मिनरल , प्रोटीन से भरपूर होती हैं। 

छुटपुट खाने को बाय 
दो घंटे के बीच में कुछ न खाएं। छुटपुट खाना ही सेहत का सबसे बड़ा दुश्मन है। बीच - बीच में बिस्कुट , नमकीन , ड्राई - फ्रूट्स , कोल्ड ड्रिंक , चाय - कॉफी पीते रहना काफी कैलरी जमा कर देता है। 

मौसमी फल 
मौसमी फल खाएं। जूस के बजाय साबुत फल बेहतर है। सेब , बेरी लें। सेब में पेक्टिन केमिकल होता है। सेब के साथ - साथ ज्यादातर सभी फलों के छिलकों में पेक्टिन पाया जाता है। यह फैट को अब्जॉर्ब करता है।

सोयाबीन और ड्राई फ्रूट्स 
सोयाबीन में मौजूद लेसिथिन केमिकल सेल्स पर फैट जमा होने से रोकता है। हफ्ते में कम - से - कम तीन बार सोयाबीन खाने से शरीर में फैट से लड़ने की क्षमता बढ़ती है। सोयाबीन को अंकुरित करके रोज सुबह लिया जा सकता है। इसके अलावा लहसुन का रस शरीर में मौजूद फैट्स को कम करने में मददगार है। लहसुन कच्चा खाएं और चबाकर खाएं तो बेहतर है। साथ ही मुट्ठी भर नट्स रोज खाने चाहिए। इनमें बादाम , किशमिश , अखरोट और पिस्ता ले सकते हैं। लेकिन ये फ्राइड न हों और इनमें नमक भी नहीं होना चाहिए। 

सफेद से परहेज , रंगीन से प्यार 
वजन कम करना चाहते हैं तो ज्यादातर सफेद चीजें ( आलू , मैदा , चीनी , चावल आदि ) कम करें और मल्टिग्रेन या मल्टिकलर खाने ( दालें , गेहूं , चना , जौ , गाजर , पालक , सेब , पपीता आदि ) पर जोर दें। 

दूध ,दही और पनीर 
बिना फैट वाला दूध या दही खाएं। दूध में फैट कम करने के लिए उसमें पानी मिलाने से बेहतर है कि मलाई उतार लें। पानी मिलाने से दूध में पोषक तत्व कम होते हैं। सोया से बना पनीर , दूध और दही खा सकते हैं। जिन्हें दूध या सोया प्रॉडक्ट से एलर्जी है , वे राजमा , नीबू , टमाटर , मेथी , पालक , बादाम , काजू जैसी चीजें खाकर कैल्शियम की कमी पूरी कर सकते हैं। 

पानी व तरल पदार्थ 
दिन में 2-3 लीटर पानी व तरल पदार्थ लें। पानी न सिर्फ फैट कम करता है , बल्कि शरीर से जहरीले तत्वों को भी निकालता है। यह भूख कम करता है और कब्ज रोकता है। खाने के 15 मिनट बाद घूंट - घूंट कर गर्म पानी पीना चाहिए। जब भी पानी पिएं , ठंडे या सादे की बजाय गुनगुने पानी को तरजीह दें। 

सबसे जरूरी है स्पेशलिस्ट से सलाह करके योजना बनाना और उस पर लगातार अमल करना। आमतौर पर लोग वजन घटाने के लिए डाइटिंग को ही एक तरीका मानते हैं और भूखे रहने लगते हैं , जो सही नहीं है। डाइटिंग का मतलब भूखे रहना नहीं है , बल्कि सही वक्त पर उचित मात्रा में कम कैलरी और लो फैट वाली फाइबर युक्त चीजें खाना है। 

असल में जब हम कम खाते हैं तो बॉडी का मेटाबॉलिज्म कम हो जाता है और मिनरल व विटामिन की कमी हो जाती है। इसलिए जरूरी है कि आप भरपूर , लेकिन सही खाना खाएं। 

वजन घटाने के लिए हमें थ्री - डाइमेंशनल ( तीन पहलुओं पर ) कोशिश करनी होगी : 1. कैलरी कम लें। शरीर को कम कैलरी मिलेगी तो वह पहले से जमा कैलरी का इस्तेमाल करेगा। 2 . ज्यादा कैलरी बर्न करें। एक्सरसाइज और शारीरिक मेहनत करने पर शरीर में जमा फालतू कैलरी बर्न होगी। 3. स्ट्रेस कम करें। इससे आपको भूख ज्यादा लगती है और आप इमोशनल ईटिंग करते हैं। 

मसलन , अगर आपने 4 किलो वजन कम करने का टारगेट है तो सबसे पहले खाने में से 1000 कैलरी की कटौती करें। फिर कैलरी खर्च करें। आधे घंटे तेज सैर से 80 कैलरी तक बर्न हो जाती हैं। बाकी के लिए एरोबिक्स , जॉगिंग , स्विमिंग या दूसरी एक्सरसाइज की जा सकती हैं। 

तीसरी जरूरी चीज है , लाइफस्टाइल में बदलाव। लिफ्ट के बजाय सीढ़ियों का इस्तेमाल करें , नौकर से पानी मांगने के बजाय खुद उठकर जाएं , आसपास रिक्शे या दूसरे वीइकल के बजाय पैदल जाएं। इन छोटी - छोटी चीजों से काफी कैलरी काफी खर्च होती हैं। एक महीने में 3-4 किलो वजन घटाना सही रहता है। डाइट और एक्सरसाइज के अलावा वजन घटाने के कुछ और भी तरीके हैं। इनमें से कुछ घर में अपनाए जा सकते हैं तो कुछ के लिए एक्सपर्ट या जिम का सहारा लेना होगा(नवभारत टाइम्स,दिल्ली,20.11.11)।

7 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सारी तरकीब आजमा ली। इस आलेख के उपायों को भी आजमा कर देखता हूं।

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  2. अच्छी और विस्तृत जानकारी ।
    अब कौन कितना मानता है , यह कहना मुश्किल है ।

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  3. बहुत ही काम का लेख है

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  4. अच्छी जानकारी आभार !

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  5. BMI में जो पैमाना दिया है क्या महिलाओ पुरुषो के लिए एक ही है यदि हा तो मै फिट के श्रेणी में आती हूँ पर मै मोटी हो गई हूँ ये सुन सुन कर कान पाक गए है और वास्तव में मै हो गई हूँ फिर तो ये पैमाना गलत है | बाकि सब तो कंट्रोल हो जाता है बस मिठाई और आइसक्रीम का क्या करू जो पिस के हिसाब से नहीं बल्कि एक बार में kg or ml में खाती हूँ :) | लेख तो काम का दिख रहा है एक बार जरुर आजमाया जा सकता है धन्यवाद |

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