जब चीनी एजेंट भारत से मरीजों को स्टेम सेल थेरेपी के लिए अपने देश ले जाने लगे हैं, बराक ओबामा ने स्टेम सेल रिसर्च से प्रतिबंध हटा कर अमेरिका में इसकी प्रगति का मार्ग प्रशस्त कर दिया है, तब कहीं जाकर देश की मेडिकल शोध की सबसे बड़ी संस्था इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) की नींद टूटी है।
आईसीएमआर १७ दिसंबर से स्टेम सेल रिसर्च दिशा-निर्देश पर सार्वजनिक बहस ही शुरू कराने जा रही है। लेकिन स्टेम सेल विशेषज्ञों का मानना है कि भारत ने इस मामले में दुनिया के नेतृत्व का मौका अब खो दिया है। अब तक स्टेम सेल रिसर्च का दिशा-निर्देश तक जारी नहीं हो पाने की वजह से यहां इसकी प्रगति की राह एक अरसे से रुकी पड़ी है। स्टेम सेल थेरेपी वह अत्याधुनिक विधा है जिसमें शरीर में बीज कोशिकाओं ( स्टेम सेल) से हृदय रोग, स्ट्रोक, रीढ़ में चोट, मधुमेह, पार्किंसन एवं अलजाइमर रोग, रेटिना की खराबी आदि की वजह से क्षतिग्रस्त उतकों या कोशिकाओं की मरम्मत कर उसे पूर्व की अवस्था में ले आया जा सकता है। आईसीएमआर और डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी ने २००७ में ही तैयार गाइडलाइंस को अपनी वेबसाइट पर डाल दिया है। इस मुद्दे पर सर्वसम्मति के लिए लोदी रोड स्थित चिन्मय मिशन में १७ दिसंबर को उत्तरी क्षेत्र के लिए सार्वजनिक बहस होगी। ऐसी बहस पूरे देश में होगी। इनमें फालतू भ्रूणों के प्रयोग, शोध के लिए भ्रूण के निर्माण, इलाज के लिए अंगों की क्लोनिंग जैसे पहलुओं पर विचार होगा।
इस मामले में भारत ने बहुत बड़ा मौका गंवा दिया। दिशा-निर्देश में देरी की वजह से चीन पहले ही आगे निकल गया है। अमेरिका का आगे निकलना भी तय है। अमेरिका में बराक ओबामा के राष्ट्रपति चुने जाने तक नैतिक सवालों की वजह से स्टेम सेल पर प्रतिबंध लगा हुआ था।
बहरहाल, दिशा निर्देश में कहा गया है कि इलाज की अकूत संभावना को देखते इस रिसर्च को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। उचित अनुमति एवं पर्याप्त सुरक्षा मानकों के साथ वयस्क, रक्त मज्जा या नाल रक्त से प्राप्त स्टेम सेल पर आधारित रिसर्च किए जा सकेंगे।
कहा गया है कि सिर्फ स्टेम सेल प्राप्त करने के लिए भ्रूण पैदा नहीं किया जाना चाहिए। पति-पत्नी की अनुमति के बाद केवल फालतू, बचे हुए या पूरक भ्रूणों का ही उपयोग किया जाना चाहिए। ये भ्रूण केवल पंजीकृत कृत्रिम प्रजनन तकनीक केंद्रों से ही जुटाए जाने चाहिए। स्टेम सेल अध्ययन को तीन समूहों में बांटा गया है। एक जिसमें शोध की पूरी छूट होगी। दूसरे समूह में सीमित शोध ही किए जा सकेंगे एवं कुछ शोध पूरी तरह प्रतिबंधित रहेंगे। स्टेम सेल रिसर्च को नियंत्रित करने की पूरी व्यवस्था का भी खुलासा किया गया है(धनंजय,नई दुनिया,दिल्ली,16.12.11)।
चलिए आँखे खुली तो सही.
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