झाइयाँ एक ऐसी अवस्था है जिसमें चेहरे पर भूरे व काले रंग के धब्बे पड़ जाते हैं। यह दोनों गालों से शुरू होकर, बाद में बटर फ्लॉय शेप में होने लगते हैं। कभी-कभी यह नाक और आँख के ऊपरी हिस्से (भौंहे) में भी होते हैं।
कारण...
-हारमोनल असंतुलन : यह झाइयों का मुख्य कारण होता है। गर्भधारण करने की स्थिति में हो सकता है या गर्भ निरोधक गोलियाँ लंबे समय तक लेने से हो सकता है।
-अनुवांशिक कारणों से। धूप की किरणों से बचाव न करने की वजह से।
-कुछ कॉस्मेटिक उत्पाद जिनसे एलर्जी होने के बाद भी उपयोग करने के कारण।
-झाइयाँ थायरॉइड बीमारी के मरीज़ों में भी देखी जा सकती है।
-रजोनिवृत्ति के समय बढ़ जाती हैं।
प्रकार...
पिगमेंटेशन कितनी गहराई तक है, उसके अनुसार झाइयों को चार भागों में विभाजित किया गया है -
-एपीडर्मल झाइयाँ : इस अवस्था में केवल ऊपरी सतह ही प्रभावित होती है। इस तरह की झाइयों को ठीक करना आसान होता है।
- डर्मल झाइयाँ : इसमें पिगमेंटेशन त्वचा की गहराई तक होता है। इसका ट्रीटमेंट कठिन होता है।
-मिश्रित : इस तरह की झाइयों का ट्रीटमेंट काफी कठिन होता है। इसमें लेज़र और पील उपचार आदि को संयुक्त रूप में दिया जाता है।
-अस्पष्ट झाइयाँ : इस तरह की झाइयाँ बहुत गहरे रंग की त्वचा में पाई जाती हैं। ऐसी अवस्था में त्वचा की स्थिति के बारे में जानना आसान नहीं होता।
उपचार...
हारमोनल असंतुलन होने की वजह से झाइयों का उपचार करना कठिन होता है। सही ढंग से उपचार कराने पर यह ठीक हो जाती है।
गोरेपन की क्रीम...
झाइयाँ दूर करने के लिए हायड्रोक्विनोन, ट्रेटिनोइन, रेटिनॉइड्स, कोजिक एसिड और विटामिन-सी आदि कई तरह की क्रीम्स का त्वचा की प्रकार व पिगमेंटेशन के अनुसार उपयोग किया जाता है।
लेज़र उपचार...
लेज़र उपचार से भी काफी मदद मिलती है। लेसर में क्यू-स्विच्ड लेज़र का उपयोग करते हैं जिससे मिलेनोसाइट कम हो जाते हैं। यह उपचार लेने के लिए कई बार क्लिनिक पर जाना पड़ता है यानी यह कई सीटिंग्स में किया जाता है। ये सीटिंग्स महीने में एक बार होती हैं।
केमिकल पील उपचार...
इसमें ग्लाइकोपील, टी.सी.ए. पील, मेंडेलिक एसिड पील आदि विभिन्न पील का उपयोग होता है। पील उपचार के लिए कई सीटिंग होती हैं, इनमें १० दिनों का अंतराल होता है।
डर्माब्रेशन...
इसमें त्वचा की ऊपरी सतह निकल जाती है, जिससे दा़ग़-धब्बे कम होते हैं। केमिकल पील और डर्माब्रेशन आदि उपचार के बाद त्वचा पर लगाई जाने वाली दवाएँ ज़्यादा असरकारी होती हैं(डॉ. अनिल दशोरे,सेहत,नई दुनिया,दिसम्बर प्रथमांक 2011)।
अच्छी जानकारी दी है ।
जवाब देंहटाएंयह रोग महिलाओं में बहुत कॉमन है ।
उचित पोषण का भी ध्यान रखना ज़रूरी है ।