सोमवार, 12 दिसंबर 2011

क्यों लगता है दांतों में ठंडा-गरम?

दाँतों में ठंडा गरम लगना एक बहुत आम समस्या है। हाजमा दुरुस्त नहीं रहने के कारण एसिडिटी इसकी एक बड़ी वजह है। बहुत अधिक एसिडिटी हो जाने पर पेट का एसिड खट्टे पानी के रूप में मुँह में आता रहता है। कैल्शियम से बने दाँत की परत एसिड के संपर्क में आने से गलने लगती है। दाँत का सुरक्षा कवच गलकर निकल जाने से ही दाँतों में ठंडा या गरम महसूस होता है। 

खाने-पीने की खराब आदतों एवं बढ़ते तनाव की वजह से एसिडिटी बढ़ती चली जा रही है। साथ ही सवाल उठता है कि दाँत में ऐसा क्या हो जाता है कि उसे ठंडा पानी बर्दाश्त नहीं होने लगता है। दाँत के भीतर के संवेदनशील भागों की रक्षा के लिए सबसे ऊपर एक परत होती है जिसे एनेमेल कहते हैं। लेकिन हमारी विभिन्न बुरी आदतों की वजह से वह परत पतली होती चली जाती है। एनेमेल के भीतर की परत को डेंटीन कहते हैं। डेंटीन तक तो ठीक है लेकिन जैसे ही डेंटीन की परत घिस जाती है तो पल्प आ जाता है जिसके भीतर नर्व (तंत्रिका) होता है। जब डेंटीन का आवरण भी घिस कर खत्म हो जाता है तो फिर नर्व के पानी के संपर्क में आने से इसमें दर्द होने लगता है। खाने, पीने, चबाने की अपनी खराब आदतों से दाँत की रक्षा के लिए बनी ऊपरी परत को नुकसान पहुँचाने वालों के लिए भारी कष्ट का मौसम आ गया है। जाड़े में इन "नंगे" हुए दाँतों को जो ठंड लगती है, उसके दर्द से पूरा शरीर सिहर उठता है। सुबह उठते ही ठंडे पानी से कुल्ला करते ही दाँत में दर्द होने लगता है। 

दाँतों के लिए ऊपरी परत समझिए एक "स्वेटर" की तरह ही है। कोल्ड ड्रिंक्स भी इस समस्या की वजह बन रही है। कोल्ड ड्रिंक्स (सभी एयरेटेड ड्रिंक्स) में भी अम्ल होता है। वह भी एनेमेल को एसिडिटी की तरह ही नुकसान पहुँचाता है। आज कल छोटे-छोटे बच्चे इस समस्या के साथ आने लगे हैं। 

नींबू और संतरे के रस भी एनेमेल को नुकसान पहुँचाते हैं, लेकिन उतना नहीं। सुपारी खाने की आदत से भी दाँत घिस जाते हैं। बहुत लोग होते हैं जो दिन भर सुपारी चबाते रहते हैं। इससे एनेमेल घिस जाता है। बहुत पान खाने वाले जब पान खाना छोड़ देते हैं तो उनको दाँतों में ठंडा लगने लगता है। 

कई तरह से लगती है सुरक्षा कवच में सेंध 
दरअसल होता यह है कि पान के साथ सुपारी चबाते रहने से उनका नर्व तो बाहर निकल आता है। लेकिन कत्थे की परत पानी से नर्व को बचाती रहती है। पान खाना छोड़ते ही पानी सीधे नर्व के संपर्क में आ जाता है। कुछ लोगों को नींद में दाँत किटकिटाने की आदत होती है। इससे भी एनेमेल झड़ता है। हमेशा च्यूंगम चबाते रहने, पेंसिल चबाते रहने से जैसी आदतें भी एनेमेल को क्षति पहुंचती है। सबसे पहले,एनेमल घिसने के कारणों पर रोकथाम लगाएं। दवायुक्त टूथपेस्ट का प्रयोग करने से 60 प्रतिशत लोगों की यह समस्या इससे ही खत्म हो जाती है। माउथवाश भी फायदा करता है। डेंटीन के बाहर आ जाने पर फिलिंग कराना ज़रूरी होता है लेकिन जब डेंटीन की परत भी खत्म होकर नर्व बाहर आ जाता है,ते रूट कैनाल नामक इलाज़ कराना पड़ता है। 

इसे भी आजमाएं


विशेष टूथपेस्ट : संवेदनशील दाँतों के लिए विशेष टूथपेस्ट उपलब्ध हैं। साधारण टूथपेस्ट के बजाय इनका उपयोग करें। व्हाइटनरयुक्त टूथपेस्ट का उपयोग नहीं करें, यह दाँतों पर कठोरता से काम करते हैं। इनसे तकलीफ बढ़ जाती है।

ब्रश हो नरम : सॉफ्ट या एक्स्ट्रा सॉफ्ट ब्रश का ही उपयोग करें। कड़क ब्रिसल्स से दाँत घिसने लगते हैं। दाँत संवेदनशील होने पर अक्सर लोगों को ब्रश करते हुए दर्द उठता है। कड़क ब्रिसल्स प्राकृतिक रूप से होने वाली मरम्मत के काम में भी अवरोध पैदा करते हैं। दातों पर हल्के से ऊपर-नीचे ब्रश करें। ब्रश करने का तरीका ग़लत होने पर भी संवेदनशीलता बढ़ जाती है।  

खाना हो सामान्य ताप पर 
अधिक ठंडी या गर्म चीज़ें खाना पूरी तरह बंद कर दें। ठंडी और गर्म दोनों ही प्रकार की चीज़ें संवेदनशील दांत सहन नहीं कर सकते। इसलिए,यह सुनिश्चित कर लें कि आप जो भी खाएं वह सामान्य तापमान पर हो। नमक के पानी से कुल्ला करना दांत का दर्द दूर करने का एक आम उपाय है। लेकिन संवेदनशील दांतों में जो दर्द होता है,उस पर यह असरकारी नहीं रोता। उल्टा,इससे दर्द और बढ़ सकता है। 

एसिडिक चीज़ों से बचें 
मिठाइयां,नींबू,टमाटर,सॉफ्ट ड्रिंक और ऐसे अन्य अम्लीय चीज़ें न लें। यह दांतों को हुए नुक़सान को और बढ़ा देते हैं(डॉ. अनुपम भार्गव,सेहत,नई दुनिया,दिसम्बर प्रथमांक 2011)

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