सोमवार, 12 दिसंबर 2011

आप कितना जानते हैं नेत्रदान के बारे में?

दुनिया कितनी खूबसूरत है, इसका खयाल मात्र ही हमें रोमांचित कर देता है। लेकिन वैसे लोग जो इस दुनिया को देख पाने में असमर्थ हैं यानी जिनकी आंखें नहीं हैं, उनके लिए इस रंग-बिरंगी दुनिया का शायद कोई मतलब नहीं। ऐसे लोगों के लिए भी इस रंगबिरंगी दुनिया का मतलब हो सकता है, अगर उन्हें आंखें मिल जाएं। यह संभव है नेत्रदान से। जानिए, महादान माने जाने वाले नेत्रदान के बारे में ताकि आप भी किसी की जिंदगी में उजाला फैला सकें। 

दिल्ली के चाणक्यपुरी में रहने वाली सारिका सक्सेना की उम्र महज 17 साल है। 6 साल पहले एक सड़क हादसे में वह अपनी आंखें गंवा चुकी थी। लेकिन वह दिमाग से काफी तेज थी। हमेशा कुछ कर पाने के लिए बेचैन रहती। दुनिया को देखने व जानने के लिए बेचैन रहने वाली सारिका कभी आंखों से दुनिया देख पाएगी, यह कभी सोचा भी नहीं था। लेकिन नेत्रदान संस्था के सहयोग से उसकी आंखों में किसी और की आंख सफलतापूर्वक लगाई गई। फिर क्या था, उसकी दुनिया ही बदल गई। दुनिया को फिर से पास से देखने पर उसे भरोसा ही नहीं हुआ। अब सारिका बड़े जोश और कुछ करने की तमन्ना लिए सामान्य जिंदगी जी रही है। यह सब किसी के द्वारा किए गए नेत्रदान का नतीजा था। 

क्या है नेत्रदान 
मृत्यु के बाद किसी जरूरतमंद को अपनी आंखें देने की प्रक्रिया नेत्रदान कहलाती है। दान की गई आंखें कॉर्निया संबंधी अंधे लोगों के लिए ही उपयोगी होती हैं। इसमें अंधे व्यक्ति की आंखों में दान की गई आंखों को ऑपरेशन की मदद से लगाया जाता है। 

कैसे करें नेत्रदान 
नेत्रदान करने के लिए दिल्ली के आई बैंक या आई कलेक्शन सेंटर से संपर्क कर सकते हैं। ऐसे सेंटर या बैंक खास कर मेडिकल कॉलेज और आई हॉस्पिटल में होते हैं। यहां आप फोन से या निजी तौर पर जाकर संपर्क कर सकते हैं। सुविधा व अन्य जानकारी के लिए एमटीएनएल के फोन से 1919 पर फोन कर भी जानकारी ले सकते हैं। वहां वे लोग आपके नेत्रदान संबंधी निवेदन को रजिस्टर करेंगे और एक आई डोनेशन कार्ड देंगे। नेत्रदान के लिए रजिस्टर कराते समय परिवार के सभी सदस्यों का होना अच्छा माना जाता है। नेत्रदान के लिए रजिस्टर करते समय किसी तरह की फीस या शुल्क का प्रावधान नहीं लिया जाता। 

कौन कर सकता है नेत्रदान 
-हर स्वस्थ व्यक्ति नेत्रदान कर सकता है। 

-वैसे लोग, जिन्होंने चश्मा लगाया हो और जिनकी आंखों का कभी सफल ऑपरेशन हुआ हो, वे भी नेत्रदान कर सकते हैं

-किसी मृत व्यक्ति की आंखों को भी दान किया जा सकता है, चाहे उसने नेत्रदान के लिए रजिस्टर कराया हो या नहीं। 

 -वैसे रोगी जो रेबीज, टिटनस, एड्स, जॉन्डिस (पीलिया), ब्रेन ट्यूमर, फूड प्वॉइजनिंग, सेप्टोसेमिया, मांस में सड़न वाले रोगी नेत्रदान नहीं कर सकते। 

-पानी में डूब कर मरने वाले व्यक्ति की आंखों को दान नहीं किया जा सकता। 

किसे मिलता है फायदा 
वैसे लोगों की आंखों में ही नेत्रदान में मिली आंखों को लगाया जा सकता है, जिनमें कॉर्निया से संबंधित अंधापन है। दरअसल कॉर्निया आंखों के सामने एक तरह का लेंस होता है। किसी बीमारी की वजह से, दुर्घटना, संक्रमण, कैमिकल बर्न आदि के कारण कॉर्निया अचानक काम करना बंद कर सकता है और देखने की क्षमता खत्म हो सकती है। नेत्रदान में इसी कॉर्निया को बदल दिया जाता है, जिससे संबंधित व्यक्ति देखने में समर्थ हो जाते हैं। 

कब ली जाती हैं आंखें 
किसी द्वारा दान की गई आंखें उसकी मृत्यु के तुरंत बाद ली जाती हैं। सूचना मिलने पर आई कलेक्शन सेंटर के डॉक्टरों की टीम मृत व्यक्ति के घर जाती है और 15-20 मिनट के ऑपरेशन के बाद आंख निकाल लेती है। डॉक्टर सिर्फ आंखों के कॉर्निया वाले हिस्से को ही निकालते हैं, न कि पूरी आंख। चिकित्सा जगत के अनुसार मृत्यु के बाद 5-6 घंटे तक आंखें स्वस्थ होती हैं। 

दिल्ली में प्रमुख आई बैंक 
-एडवर्ड माउमीनी आई बैंक 1/31, इंस्टीट्यूशनल एरिया, फेज-2, शेख सराय, दिल्ली 
-गुरुगोविंद सिंह इंटरनेशनल आई बैंक, 31,डिफेंस एनक्लेव, विकास मार्ग, दिल्ली- 110092 
-नेशनल आई बैंक(एम्स), अंसारी नगर, नई दिल्ली-110029 
-रोटरी डेल्ही सेंट्रल आई बैंक सर गंगाराम अस्पताल, राजेन्द्र नगर(सौरभ सुमन,हिंदुस्तान,दिल्ली,7.12.11)

10 टिप्‍पणियां:

  1. bahut mahtvpoorn jaankari di hai aapne.bahut bahut aabhar.

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  2. बेहद आवश्यक पोस्ट! सबों तक पहुंचे यह सन्देश!
    आभार!

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  3. लोगों में अभी जागरूकता कम है । नेत्र दान की सुविधाएँ भी कम हैं ।
    लेकिन बहुत आवश्यकता है ।
    अच्छा प्रयास है ।

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  4. sach me ham me jagrukta kam hai...aaj ye lekh padh kar bahut kuchh jankari mil gayi. address k sath cont. no. bhi likh dete to hame ek aur sahuliyat mil jati.

    aabhar.

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  5. जागरूक करती जानकारी.....धन्यवाद

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  6. बहुत अच्छी जानकारी ....

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  7. बहुत सार्थक महत्वपूर्ण प्रस्तुति....
    कार्निया में सफेदी की वजह से दृष्टि हीनता का जीवन बिताने पर मजबूर व्यक्तियों में एक बहुत बड़ा वर्ग बच्चों का है जिन्हें “कार्निया प्रत्यारोपण” से दृष्टी प्राप्त हो सकती है... हमारे देश में आवश्यकता का २० प्रतिशत कार्निया ही दान में प्राप्त हो पाता है... आज नेत्रदान को क्रियाकर्म का एक आवश्यक अंग बना लेने की आवश्कता है....
    नेत्रदान का संकल्प, दृष्टीहीनता का विकल्प है,
    यह मार्ग है अमरत्व का, अन्यथा जीवन क्या? अत्यल्प है.


    सादर.

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