शनिवार, 3 दिसंबर 2011

क्या आपका बच्चा भी नींद में बिस्तर गीला करता है?

सात-आठ साल की उम्र के बच्चों के माता-पिता अक्सर इस बात से परेशान रहते हैं कि उनका बच्चा नींद में पेशाब कर देता है। यह एक मानसिक समस्या है जिसका निश्चित तौर पर इलाज किया जा सकता है। आमतौर पर उम्र बढ़ने के साथ यह समस्या अपने आप ठीक भी हो जाती है। 

सामान्यतः यह एक मानसिक बीमारी है, जिसमें बच्चे के पेशाब की थैली के निद्रा के समय सिकुड़ने से मूत्र प्रवाह हो जाता है। जिसे रात को होने वाला मूत्रीय असंयम या नाक्चुर एन्यूरेसिस भी कहा जाता है। यह समस्या मूल रूप से मस्तिष्क में न्यूरो हारमोन, न्यूरो केमिकल एवं न्यूरो ट्रांसमीटर के आंतरिक असंतुलन से होती है।

अगर उचित समय पर इसका इलाज न किया जाए तो वयस्क अवस्था तक भी यही स्थिति बनी रहती है। रात को बिस्तर गीला करने की समस्या के कई कारण हैं। यदि समय पर इलाज न कराया जाए तो बच्चे में आत्मग्लानि एवं हीनभावना पैदा होने लगती है और उसका व्यवहार असामान्य होने लगता है। यहाँ तक कि कई केसेस में विवाह के बाद भी यह समस्या बनी रहती है। समय पर इलाज न होने से यह काफी तकलीफदायक एवं क्लिष्ट हो जाता है। 

करीब १ प्रतिशत लोगों में आमतौर पर मूत्रीय असंयम पाया जाता है। उम्र ०-१ वर्ष में यह करीब ८०-९० प्रतिशत बच्चों में होता है एवं एक वर्ष के बाद धीरे-धीरे नियंत्रित होता है, लेकिन ३ साल की उम्र के पश्चात यह समस्या अपने आप समाप्त हो जाती है। 

अगर इस उम्र के बाद भी समस्या बरकरार रहे तो इसका इलाज शीघ्र किसी मानसिक चिकित्सक के पास करवाना चाहिए। इसके प्रमुख कारण अत्यधिक ईर्ष्या, तनाव, माता-पिता का आपस में झगड़ा, बड़े बच्चों का अत्यधिक लगाव आदि है। मस्तिष्क की अपरिपक्वता भी एक कारण है। मस्तिष्क में हारमोन का न बनना या कम बनने से यह बीमारी अधिक जटिल होती है। पुरूषों में यह रोग अधिक पाया जाता है। स्त्रियों में यह रोग कम,लेकिन काफी जटिल होता है। कई बार गर्भाशय में खराबी होने से यह बीमारी देखी जाती है। बच्चों में कई बार पेट में कीड़े होने के कारण भी बिस्तर गीला करने की समस्या उत्पन्न हो सकती है। 

उपचार 
कारण के अनुरूप इलाज किया जाता है, लेकिन आवश्यक बिंदु याद रखें। बच्चों को सोने से पहले अधिक पानी न पीने दें। चाय, कॉफी एवं ज्यूस न दें। पेशाब कर के सुलाएँ । रात में एक या दो बार उठाकर मूत्रत्याग करवाएँ(डॉ. अभय जैन,सेहत,नई दुनिया,नवम्बर चतुर्थांक 2011)।

4 टिप्‍पणियां:

  1. अब तो बड़े हो गए हैं। हां, जिनके बच्चे इस रोर्ग से ग्रस्त हैं, उनके लिए उपयोगी आलेख।

    जवाब देंहटाएं
  2. आपके इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा दिनांक 05-12-2011 को सोमवारीय चर्चा मंच पर भी होगी। सूचनार्थ

    जवाब देंहटाएं

एक से अधिक ब्लॉगों के स्वामी कृपया अपनी नई पोस्ट का लिंक छोड़ें।