रविवार, 20 नवंबर 2011

.....ताकि बच्चा भीतर से भी तंदुरूस्त रहे

बढ़ते बच्चों के लिए वैसे तो सभी पोषक तत्वों की जरूरत होती है, लेकिन उनके शरीर में आयरन की पर्याप्त मात्र होना सबसे जरूरी है। शरीर में आयरन कई महत्वपूर्ण प्रोटीन एवं एंजाइम्स का हिस्सा होता है। इसकी कमी से बच्चों में एनीमिया हो सकता है। 

पहले साल में शिशु का विकास व वृद्धि दर किसी भी अन्य समय की अपेक्षा अधिक होती है। यह वह समय होता है, जब उसका वजन तीन गुना और लंबाई डेढ़ गुना बढ़ती है। साथ ही इसी दौरान बच्चे का महत्वपूर्ण शारीरिक विकास जैसे बैठना, चलना आदि भी होता है। ऐसे में बच्चे को सबसे ज्यादा जिस पोषक तत्व की जरूरत होती है, वो है आयरन। आयरन बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास के अलावा हीमोग्लोबिन के निर्माण के लिए भी जरूरी होता है। हीमोग्लोबिन कोशिकाओं को ऑक्सीजन पहुंचाने व रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सहायक होता है। 

बाल रोग विशेषज्ञ के अनुसार, आयरन की जरूरत 6 माह से सात साल के बच्चों एवं किशोरावस्था के दौरान लड़कियों में सर्वाधिक बढ़ जाती है। एक से तीन साल के बच्चे के लिए प्रतिदिन 12 मिलीग्राम और 4 से 6 साल के बच्चों के लिए 18 मिलीग्राम आयरन प्रतिदिन जरूरी होता है। एक स्वस्थ मां के दूध में इतना आयरन होता है कि वो 6 माह तक शिशु की आयरन की जरूरत पूरी कर देता है। साथ ही मां के दूध में उपलब्ध आयरन को शिशु का शरीर आसानी से पचा भी लेता है। शुरू के 6 महीनों में बच्चे की सभी जरूरतों की पूर्ति मां का दूध कर देता है, लेकिन आजकल महिलाएं कामकाजी हैं। ऐसे में कामकाजी मां का दूध शिशु को 6 महीने तक नहीं मिल पाता और बच्चे को बोतल का दूध पीना ही पड़ता है। ऐसे में शिशु में खून की कमी की समस्या होना आम बात है। 6 माह तक तो बच्चे को ठोस आहार नहीं दिया जाता, लेकिन 6 माह के होने के बाद भी बच्चे को यदि जरूरी आयरन, मिनरल और विटामिंस न मिलें तो बच्चा एनीमिक हो जाता है। 

खून की कमी के लक्षण 
बच्चा पीला दिखाई देने लगता है। बच्चे के चेहरे की लालिमा गायब हो जाती है। बच्चा जल्दी थक जाता है। कमजोरी व आलस का अनुभव करता है। जब बच्चा भागने पर या खेलने के दौरान जोर-जोर से हांफने लगता है और सांस लेने में कठिनाई होती है। एनीमियाग्रस्त बच्चों को इंफेक्शन भी आसानी से लग जाता है। 

बच्चे में सही हो ठोस आहार की शुरुआत 
एनीमिया की समस्या बहुत जल्दी शुरू होकर काफी लंबे समय तक बनी रह सकती है। इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि 6 माह का होने के बाद खुराक के जरिये बच्चे की आयरन की जरूरतें पूरी की जाएं। 6 माह के शिशु को पर्याप्त मात्र में आयरन देने के लिए उबली और मैश्ड की हुई सब्जियों से शुरुआत करें। उसके बाद उसे बोनलेस नॉनवेज देना शुरू करें। दालें, फलियां, अंकुरित अनाज, ब्रोकली व पत्तागोभी आयरन के अच्छे स्नोत हैं। 

ऐसे करें आयरन की कमी को पूरा 
सभी हरी पत्तेदार सब्जियों, काबुली चना, मसूर की दाल, अनार, चुकंदर, अनन्नास आदि में आयरन प्रचुर मात्र में पाया जाता है। चिकन और मछली से शरीर को मिलने वाले आयरन की उपलब्धता शरीर में अधिक देर तक रहती है। एक साल के बाद बच्चे के दूध की मात्र आधा लीटर से अधिक नहीं होनी चाहिए। खाना खाने के समय बच्चों को चाय या कॉफी न दें। इसमें मौजूद टेनिन आयरन के पाचन को कम कर देता है। शुरू के दो सालों में बच्चों को अधिक आयरनयुक्त आहार दें। आयरन सर्टिफाइड तैयार खाद्य पदार्थ भी बच्चों को दिए जा सकते हैं(मृदुला भारद्वाज,हिंदुस्तान,दिल्ली,17.11.11)।

9 टिप्‍पणियां:

  1. बढ़िया स्वास्थ्य वर्धक जानकारी |

    Gyan Darpan
    .

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  2. छाई चर्चामंच पर, प्रस्तुति यह उत्कृष्ट |
    सोमवार को बाचिये, पलटे आकर पृष्ट ||

    charchamanch.blogspot.com

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  3. अच्छी पोस्ट आभार !

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  4. बहुत ही बढ़िया और उपयोगी जानकारी

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  5. अच्छी पोस्ट आभार ! मेरे पोस्ट पर आपका स्वागत है । धन्यवाद।

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  6. बहुत अच्छी जानकारी मिली ... आभार

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