गुरुवार, 27 अक्तूबर 2011

उत्तराखंड में फल-फूल रही है धन्वंतरि पद्धति

धन्वंतरि की प्राचीन चिकित्सा पद्धति उत्तराखंड में आज भी न सिर्फ जीवित है बल्कि फल-फूल रही है। उत्तरकाशी से लेकर हरिद्वार तक उत्तराखंड के गंगा तट पर बसे नगरों में धन्वंतरि की प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति न सिर्फ संरक्षित है बल्कि फल-फूल भी रही है। हरिद्वार और ऋषिकेश तो प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति से उपचार के ब़ड़े केंद्र के रूप में विकसित हैं। यहां उपचार का लाभ पाने के लिए विदेशों से भी ब़ड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं। ऋषिकेश के राज्य आयुर्वेदिक कॉलेज, आर एंड डी आयुर्वेदा, हरिद्वार के पतंजलि विवि और देव संस्कृति विवि में प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति के विभिन्न कोर्स भी प़ढ़ाए जा रहे हैं। कम अवधि के इन डिप्लोमा कोर्स की प़ढ़ाई कर छात्र विदेशों में अच्छी कमाई कर रहे हैं। प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति को विदेशों में लोकप्रिय बनाने में ऋषिकेश के परमार्थ निकेतन का भी ब़ड़ा योगदान है। 

प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति के तहत विभिन्न प्राकृतिक तरीकों से १६ से अधिक बीमारियों का इलाज किया जाता है। प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति के तरीकों में सूर्य स्नान, कीच़ड़ स्नान, शिरोधारा, आयुर्वेदिक मसाज, भाप से उपचार व चूर्ण उपचार प्रमुख हैं। प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति के तहत ऋषिकेश के राज्य आयुर्वेदिक कालेज में विभिन्न बीमारियों का इलाज सफलतापूर्वक किया जाता है। धूप, मिट्टी, तेल, दूध व आटे जैसी प्राकृतिक वस्तुओं के मसाज से यहां पुराने सिरदर्द, कमर दर्द, गर्दन दर्द, आखों की तकलीफ, श्वसन तंत्र की दिक्कत, हृदय व पाचन तंत्र संबंधी बीमारियों का इलाज किया जाता है। हरिद्वार स्थित शांतिकुंज पहुंचने वाले हजारों लोग प्रतिवर्ष प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति से उपचार कराते हैं। इसी प्रकार हरिद्वार में पतंजलि योगपीठ और भूमा निकेतन आश्रम भी प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति से उपचार करते हैं। इनके अलावा राज्य के अनेक होटल भी प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति के लिए प्रसिद्ध हैं। जिंदल नेचर केयर, लिजायर रिजार्ट, कनाटा रिजार्ट, होटल ग्रीन में प्राकृतिक चिकित्सा की व्यवस्था है। इतना ही नहीं बालीवुड के सितारे आमिर खान और राजनीति के दिग्गज लालकृष्ण आडवाणी भी उत्तराखंड में प्राकृतिक चिकित्सा का लाभ उठाकर तरोताजा होने पहुंचते रहे हैं। 

दोनों ही पूर्व में ग़ढ़वाल के होटल आनंदा में प्राकृतिक थैरेपी से लाभ ले चुके हैं। उत्तराखंड सरकार ने भी प्राकृतिक चिकित्सा और आयुर्वेद को ब़ढ़ाने के लिए पंचकर्म केंद्र के नाम से आयुर्वेदिक अस्पताल खोले हैं। जहां मरीजों का प्राकृतिक तौर तरीकों से इलाज किया जाता है(महेश पाण्डे और प्रवीन कुमार भट्ट,नई दुनिया,दिल्ली,24.10.11)। 
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कल सुबह सात बजे पढ़िएः 


आर्थराइटिस केवल उम्रदराज़ों की बीमीरी नहीं है

1 टिप्पणी:

  1. समय -समय पर ये संस्थाएं अपनी पत्रिकाओं के माध्यम से भी प्राकृतिक चिकित्सा का प्रचार -प्रसार करती रहतीं हैं

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