शुक्रवार, 28 अक्टूबर 2011

आर्थराइटिस को सिर्फ बढ़ती उम्र की परेशानी न समझें

भारत में हर उम्र के करीब ४ करोड़ ६० लाख लोग ऑर्थराइटिस और इससे संबंधित बीमारियों से ग्रस्त हैं। यह सिर्फ उम्रदराज हो रहे लोगों की समस्या नहीं है, जैसा कि आमतौर पर समझा जाता है। यह कोई नई बीमारी भी नहीं है, यह सदियों से मानव समाज को परेशान करती रही है। इतिहासकारों के अनुसार प्राचीन यूनानी व रोमन साहित्य में ऑर्थराइटिस के विभिन्ना रूपों का जिक्र मिलता है, कुछ तो यहाँ तक कहते हैं कि गुफा मानव भी इससे पीड़ित हुआ करता था। आज ऑर्थराइटिस इतना व्यापक हो चुका है कि ६ लोगों में से एक तथा तीन परिवारों में से एक इससे पीड़ित है। अनुमान है कि अगले २० सालों में इसके मरीजों की संख्या ६ करोड़ ७० लाख से अधिक हो जाएगी। 

ऑर्थराइटिस क्या है? 
 ऑर्थराइटिस यानी जोड़ों में सूजन को कहा जाता है, वास्तव में "ऑर्थराइटिस" शब्द एक व्यापक नाम है, जो सौ से ज्यादा जोड़ की बीमारियों के लिए प्रयोग किया जाता है। 

ऑस्टियोऑर्थराइटिस : यह सबसे आम किस्म का गठिया है, जो अधेड़ उम्र व वृद्ध लोगों को परेशान करता है। यह रोग जोड़ों के कार्टिलेज में विकार आने से होता है। कार्टिलेज जोड़ों में मौजूद एक लचीली हड्डी होती है, जिससे जोड़ों का मुड़ना संभव हो पाता है। 

फाइब्रोमायाल्जिया : यह दूसरा सबसे आम ऑर्थराइटिस है। यह अधिकतर महिलाओं को होता है। इसमें पेशियों या जोड़ों में दर्द होता है और संक्रमण का कोई चिन्ह नहीं होता। इसे अक्सर गलती से क्रोनिक फटीक सिंड्रोम या असाध्य थकान समझ लिया जाता है। आमतौर पर इसमें सर्जरी की आवयकता नहीं होती।

र्‌यूमेटॉइड ऑर्थराइटिस : यह एक चिरकालिक, दैहिक रोग है, जिसमें पूरे शरीर के ऊतकों में दाहक परिवर्तन होते हैं। इसमें जोड़ों की मैम्ब्रेन लाइनिंग में जलन होती है, जिससे दर्द, अकड़न व सूजन हो जाती है। परिणामस्वरूप मरीज चलने-फिरने में मुश्किल महसूस करता है, जोड़ का आकार बिगड़ जाता है, वह एक सीध में नहीं रहता और कई बार जोड़ पूरा ध्वस्त हो जाता है। यह पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को तीन गुना अधिक होता है। 

स्वास्थ्यवर्द्धक खाना खाएं 
आर्थराइटिस की १०० से ज्यादा किस्में हैं और सबसे आम किस्म के आर्थराइटिस में मरीजों को खान-पान में बदलाव करने की सलाह दी जाती है। इससे न केवल दर्द में आराम मिलता है, बल्कि इससे जुड़ी अन्य जटिलताओं के उत्पन्ना होने का जोखिम भी घट जाता है। उदाहरण के तौर पर गाउट एक ऐसा आर्थराइटिस है, जिसका खान-पान से बहुत नजदीकी रिश्ता है। यद्यपि आर्थराइटिस मुख्यतः जोड़ों की बीमारी है, किंतु यह उन पेशियों व जोड़ों के ऊतकों पर भी हमला करता है, जो जोड़ के चारों और मौजूद होते हैं। आर्थराइटिस की बीमारी कई वजहों से हो सकती है। इनमें रोग प्रतिरोधक प्रणाली में आई खामी की वजह से, जोड़ों में टूट फूट, संक्रमण, चोट या फिर आनुवांशिक कारण प्रमुख हैं। वजह चाहे जो भी हो, तकलीफ सभी में एक-सी होती है, यानी हड्डियाँ जब जोड़ों से टकराने लगें तो समझना चाहिए कि जोड़ अपने स्थान से हिल गए हैं। 

घुटना प्रत्यारोपण... 
घुटने के जोड़ का प्रत्यारोपण इस तरह के मरीजों के लिए एक सौगात है। इससे न केवल रोजमर्रा का काम आसान हो जाता है, बल्कि मरीज का आवागमन भी बढ़ जाता है। इससे उसके पूरे शरीर में रक्त का संचार भी ठीक से होने लगता है। 
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संध्या सात बजे जानिएः


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6 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत उपयोगी जानकारी ... हड्डियों की ठीक रखना ही सबसे उत्तम सहारा है वैसे तो ...

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  2. बढ़िया जानकारी तो आपने हमेशा कि तरह दी ही है किन्तु खास कर इस रोग से पीड़ित रोगियों के लिए क्या खायें क्या न खायें यह नहीं बताया।
    यदि समभव हो तो वो भी बताइये आभार ....

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  3. mere blog par aapki koi tippani delete nahin hui hai,bhai sahab.
    aapne meri pichhli post par 11th oct.ko tippani di thi vo dikh rahi hai aur present post par aaj tippani di hai jo 27th oct.ki date men display ho rahi hai.
    aap ki koi tippani delete nahin hui hai.

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