मंगलवार, 4 अक्तूबर 2011

व्रत में शरीर को बीमारी का घर न बनने दें

आम तौर पर नवरात्र व्रत रखने वालों की सोच होती है कि व्रतों के 9 दिन में वे शरीर के पाचन तंत्र को आराम दे सकते हैं, हानिकारक पदार्थो को शरीर में जाने से रोक सकते हैं। लेकिन व्रत के खान पान में थोड़ी ही असावधानी उलटा कर देती है, बॉडी का डिटॉक्सीफिकेशन(शरीर के विकारों का निकलना) के बजाय एसिडिटी हो जाती है और मोटापा बढ़ जाता है। व्रत में सुबह दूध लिया जा सकता है। आलू तलने के बजाय उबले हुए ले सकते हैं उबला आलू कभी वजन नहीं बढ़ने देता। हर ढाई घंटे के बाद कुछ न कुछ लेते रहें। भोजन लेने में 3 से 4 घंटे या उससे अधिक का अंतर आता है तो मेटाबॉलिज्म स्लो हो जाता है। इससे वजन बढ़ता है और मोटापा होता है। व्रत में भोजन लेने के समय में काफी अंतर आने के बाद जैसे ही नॉर्मल डे में फिर से पहले की ढाई घंटे के अंतर पर खाना शुरू करते हैं तो बॉडी का पीएच लेबल बढ़ जाता है जिससे एसिडिटी हो जाती है और बाद में किडनी प्रॉब्लम बन सकती है।नीबू पानी और शहद ले सकते हैं। लस्सी ज्यादा से ज्यादा लें। आलू उबले ही लें, तल कर न लें, ग्रीन टी सबसे बेस्ट है, दिन में तीन चार बार ले सकते हैं। ग्रीन टी न सिर्फ वजन कम करती है, बॉडी की इम्युनिटी भी बढ़ाती है। व्रत के चावल के पुलाव बना सकते हैं। कूटू या सिंघाड़े के आटे की पूरी, परांठे या पकौड़े बनाने के बजाय उसकी रोटी बनाकर दही के साथ खाएं, सलाद लें। तला भोजन कम से कम लें(डाइटिशियन श्रेया गुप्ता से सत्येन ओझा की बातचीत पर आधारित यह जानकारी 2.10.11 के दैनिक भास्कर के चंडीगढ़ संस्करण में प्रकाशित हुई है)।

3 टिप्‍पणियां:

  1. बढ़िया जानकारी मगर आपने देने में बहुत दिन लगा दिये ...खैर कोई बात नहीं चलता है
    समय मिले तो कभी आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है
    http://mhare-anubhav.blogspot.com/

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  2. अच्छा है हम तो व्रत ही नहीं रखते है हम तो मानते है "भूखे पेट भजन ना हो गोपाला " :)

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