मंगलवार, 4 अक्टूबर 2011

मुंह की दुर्गंध से ऐसे बचें

मुंह से निकली"खुशबूदार" हवा से कार चलाते किसी युवक पर कड़क युवती ट्रैफिक पुलिस अधिकारी के लट्टू हो जाने का दृश्य विज्ञापन के लिए तो ठीक है लेकिन वास्तविकता उतनी खुशगवार नहीं है । मुंह से बदबू न निकले, इसकी सारी कोशिशों पर भी जब पानी फिर जाता है तो समझ में आता है कि यह रोमांटिक दृश्य कितना कठिन है । आप सोचते हैं कि मैं नियमित ब्रश करता हूं, देर तक करता हूं लेकिन फिर भी यह बदबू पीछा नहीं छोड़ती । ऐसा इसलिए होता है कि आपके मुंह में ऐसे कई ठिकाने छूट जाते हैं जहां ब्रश पहुंच ही नहीं पाता । इसलिए मुंह की "रेकी"(टोह लेने) करने की जरूरत है । अब उन ठिकानों के "मार्कर" के रूप में गोलियां आ गई हैं । उन्हें चूस कर कुल्ला करें,बदबू के इन ठिकानों का भंडाफोड़ हो जाएगा । जहां-जहां गुलाबी रंग उभर आए समझिए वहां आपके ब्रश कभी पहुंचते ही नहीं । इनकी टोह नहीं ली तो रोज ब्रश कर मुंह के बदबू दूर करने की सारी कोशिशों पर पानी फिरेगा ही । कहते हैं न कि एक सड़ा आम पूरी टोकरी आम को खराब कर देता है ।

बात करते हुए आपके मुंह से निकली बदबू सामने वाले का मूड बिगाड़ देती है । फिर वह बीवी हो, प्रेमिका हो, बॉस हो या कोई भी, आपको मुंह लगाने से बिदकेंगे । आप सामाजिक संबंधों में "मुंह की न खाएं" इसलिए मुंह की बदबू के इलाज को प्राथमिकता दें । ठीक से ब्रश करना पहला तरीका तो है ही लेकिन यह रोग कभी-कभी इतना गंभीर होता है कि सर्जरी तक करने की जरूरत पड़ जाती है । सर्जरी से मसूड़ों में बने बदबू के पॉकेटों को हटाना पड़ता है । ऐसे एंटीबॉयटिक गोलियां भी आ गई हैं जो बैक्टीरिया मार कर बदबू से छुटकारा दिलाती हैं । ताजा है लेजर तकनीक लेकिन नियमित ब्रश का कोई विकल्प नहीं । डेंटिस्ट मरीज को सही तरह से ब्रश करने की ट्रेनिंग जरूर दें।

पेट के रोगों का संकेत है मुंह की दुर्गंध
श्वास में बदबू एक सामान्य परेशानी है । इसे चिकित्सा की भाषा में हालिटोसिस भी कहते हैं । दरअसल, श्वास में बदबू कई कारणों से हो सकती है । ज्यादातर मामलों में दांतों में सड़न, मसूड़ों से खून आना (पायरिया), मुंह में घाव, पेट की खराबी, एसिडिटी, पेट के रोग आदि वजहों से हालिटोसिस हो सकता है ।

दांतों पर प्लैक जमने से भी मुंह से बदबू आती है । इसकी वजह बैक्टीरिया होते हैं । कभी-कभी दांतों में खाए गए भोजन के कण फंसे रह जाते हैं और सड़कर वहीं बदबू पैदा करते हैं । दूसरी प्रमुख वजह है अपच या इनडाइजेशन । उपरोक्त सभी स्थितियों में मुंह या सांस से बदबू आती रहती है । इस बदबू से बचने के लिए लोग मुंह में सौंफ,पान मसाला या माउथ फ्रेशनर का इस्तेमाल करते हैं लेकिन यह उचित नहीं है । श्वास में बदबू को पेट अथवा मुंह के रोगों के लक्षण के रूप में देखना चाहिए । यदि श्वास की बदबू के साथ मुंह से खून आए या खून की उलटी हो, दांतों व मसूड़ों से लगातार खून आए और मसूडों में सूजन हो तो शीघ्र चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए ।

श्वास में सामान्य बदबू को दांतों व मसूड़ों की नियमित सफाई और देखभाल से ठीक किया जा सकता है । आजकल विभिन्न प्रकार के टूथपेस्ट भी दांतों को खराब करने के लिए जिम्मेदार हैं । हाल के वैज्ञानिक सर्वेक्षण में भारत में प्रयुक्त लगभग ८५ प्रतिशत टूथपेस्ट को स्वास्थ्य के लिए हानिकारक बताया गया है । दांतों व मसूड़ों के स्वास्थ्य के लिए इनकी नियमित उंगली से मालिश एवं इन पर पिसा हुआ काला नमक व सरसों के तेल का लेप लगाना चाहिए । मसूड़ों के स्वास्थ्य के लिए नियमित विटामिन सी एवं बी कॉम्पलेक्स वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए । खट्टे रसदार फलों में विटामिन सी प्रचुर मात्रा में होता है ।

यदि आप होम्योपैथिक दवाओं का सेवन करना चाहते हैं तो मुंह व श्वास में बदबू की मुख्य वजह का पता लगाकर रोग लक्षणों के आधार पर दवा ले सकते हैं । प्रमुख होम्योपैथिक दवाओं में बैप्टिशिया, आर्सेनिक अल्ब, क्रियोजोटम, मक्यूरियस सोल, इमेटिन, नाइट्रिक एसिड, फास्फोरस, सोराइनम, एल्फ्यूरिक एसिड, नक्सवोमिका, सल्फर आदि अच्छी व लाभकारी दवाएं हैं लेकिन इनमें से आपके लिए किसी कारगर दवा के लिए आपके होम्योपैथिक चिकित्सक ही परामर्श दे सकते हैं । लक्षणों का गंभीर अध्ययन करके ही आपकी रामबाण होम्योपैथिक दवा निर्धारित की जा सकती है इसलिए अपने होम्योपैथिक चिकित्सक से जरूर परामर्श करें ।


न करें नज़रंदाज़
सांसों की दुर्गंध के लिए मूल रूप से चार अंगों की समस्याओं को उत्तरदायी माना जाता है - मुंह, गला व पेट। ऐसे में इनसे संबंधित रोगों की सही समय पर पहचान और चिकित्सा बहुत आवश्यक है । हो सकता है कि सांस की बदबू भी इनसे संबंधित ही किसी रोग का लक्षण हो । सबसे पहले बात करते हैं मुंह से संबंधित रोगों की जिसकी वजह से भी सांसों में दुर्गंध हो सकती है । यदि मसूड़ों से अचानक खून बहे (पायरिया), मसूड़ों में सूजन, दांतों में कीड़ा, मसूडों में पस भर जाना आदि समस्याओं से भी मुंह व सांस से बदबू आ सकती है । जीभ की नियमित सफाई न होने से भी यह समस्या होती है । जीभ में सूजन, पस या संक्रमण से भी यह समस्या होती है । गले से संबंधित समस्याओं में संक्रमण, कफ व फेफड़ों में संक्रमण जैसी समस्याओं के कारण भी सांसों में बदबू होती है । इसी प्रकार पेट की गड़बड़ी भी मुंह व सांसों से दुर्गंध आने की बड़ी वजह है ।

सांसों में दुर्गंध अपने आप में समस्या तो है ही, साथ ही कई अन्य रोगों का संकेत भी है इसलिए इसकी उपेक्षा न करें । प्रतिदिन कैविटी हटाने के लिए दांतों की साफ-सफाई व गरारे करें । पेट व मुंह के रोगों की पर्याप्त चिकित्सा करवाएं । दिन में दो बार ब्रश करें व दांतों की मसाज करें । अधिक समस्या हो तो भोजन करने के बाद भी ब्रश करें । जीभ हमेशा साफ रखें । पेट से संबंधित किसी भी समस्या को गंभीरता से लें और सही समय पर उसका उपचार करवाएं (वैशाली स्थित पुष्पांजलि क्रॉसले के अत्याधुनिक सेंटर डेंटल ऑप्टिमा प्लस एवं प्रीत विहार,दिल्ली स्थित डेंटल प्लस की प्रमुख, वुमेन डेंटल काउंसिल की उपाध्यक्ष और कॉस्मेटिक व इंप्लांट डेंटिस्ट्री की जानी-मानी हस्ती डाक्टर मीरा वर्मा से धनंजय की बातचीत तथा एमडी व राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त होम्योपैथिक चिकित्सक और "द हेरिटेज" पत्रिका के प्रधान संपादक डॉ. ए.के. अरूण से प्रियंका पांडेय पाडलीकर की बातचीत तथा आयुर्वेद में एमबीबीएस की उपाधि प्राप्त डाक्टर आकाश परमार के विचारों पर आधारित यह आलेख संडे नई दुनिया के 2 अक्टूबर,2011 अंक में प्रकाशित है) ।

7 टिप्‍पणियां:

  1. Nice .

    आपके लेख उपयोगी और सकारात्मक हैं।
    आभार !!!
    http://commentsgarden.blogspot.com/

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  2. उपयोगी जानकारी…………आभार्।

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  3. ज्यादातर लोग नज़रअंदाज़ ही करते हैं । खाने के बाद कुल्ला तक नहीं करते ।

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  4. बहुत उपयोगी और मूल्यवान जानकारी है |आपका बहुत-बहुत साधुवाद

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